प्रयागराज ब्यूरो ।जिले में विकास के नाम पर बह रही वृक्षों के विनाश की आंधी मानव जीवन ही नहीं, वन्य जीवों व पर्यावरण संतुलन के लिहाज से भी ठीक नहीं है। पिछले दो साल में विकास के नाम पर पीडीए व अन्य विभागों द्वारा 7 हजार से भी अधिक स्वस्थ व हरे भरे पेड़ कतर दिए गए। शोधार्थियों व वनविदों की मानें तो एक स्वस्थ व छाया या फलदार वृक्ष जितनी चीजें धरती पर बगैर पैसा लिए देता है, उतनी चीजों की व्यवस्था करने के लिए सरकार को दस करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। ऐसे में आप एक वृक्ष की कीमत दस करोड़ से भी अधिक कह सकते हैं।

यह रिपोर्ट पढ़कर चौंक जाएंगे आप
वन विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे प्रदेश में 30 करोड़ वृक्ष तैयार करने के बाद प्रति दिन 12.30 करोड़ लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध आक्सीजन मिलेगी। स्वस्थ व मध्यम आयु का एक वृक्ष प्रति दिन 225.80 लीटर शुद्ध आक्सीजन देता है। इस तरह तीस करोड़ वृक्ष तैयार होने के बाद 6.774 करोड़ लीटर आक्सीजन का उत्पादन होगा। एक्सपर्ट बताते हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति को जीवित रहने के लिए रोज 550 लीटर पेड़ों से मिलने वाली आक्सीजन का उपयोग करता है। यदि यह सभी रोपित किए जाने वाले पौधे वृक्ष बनकर तैयार हो जाए तो वे रोज 12.30 करोड़ व्यक्तियों को ही आक्सीजन दे सकते हैं। शोध छात्र शनि सिंह की मानें तो यदि मानव निर्मित आक्सीजन का मूल्य 04 रुपये प्रति लीटर भी मान लिया जाय तो रोपित तैयार उन तीस करोड़ वृक्षों से जितनी आक्सीजन मिलेगी उतना आक्सीजन खरीदने के लिए सरकार को 50 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। अब एक वृक्ष से प्रति दिन मिलने वाले 225.80 लीटर शुद्ध आक्सीजन की कीमत का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। यह तो सिर्फ आक्सीजन की बात है। एक वर्ष से मिलने वाली छांव, रुकने वाले मिट्टी के कटाव, वन्य जीवों जैसे बंदरों व पक्षियों के आश्रय की व्यवस्था, प्राप्त होने वाले फल व उस वृक्ष से बारिश में होने वाली वाटर रिचार्जिंग, झडऩे वाली पत्तियों से जमीन की ग्रो हुई उर्वरा शक्ति और जीवन के अंत में उस वृक्ष की लकड़ी
आदि पैसा खर्च करके यदि सरकार को प्रबंध करना हो तो कम से कम दस करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। बावजूद इसके इन वेशकीमती वृक्षों को विकास के नाम पर प्रयागराज में मेला प्राधिकरण व पीडीए और नगर निगम के लोग बगैर सोचे-समझे स्वस्थ व हरे-भरे पेड़ काटने से बाज नहीं आ रहे हैं।

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जानिए कितने फायदे व कीमती हैं वृक्ष
वनाधिकारी एएन चतुर्वेदी ने 1988-1989 में अल्मोड़ा नगर की जलापूर्ति व्यवस्था का अध्ययन किया। पाया कि अल्मोड़ा नगर के जल ग्रहण क्षेत्र में 1264 हेक्टेयर वन क्षेत्र वर्ष 1964 तक हर साल नगर को 60 लाख के जल की पूर्ति करता था। यानी प्रति हेक्टेयर वन द्वारा प्रति वर्ष 4950 रुपये की जल पूर्ति यानी वाटर रिचार्जिंग वृक्ष किया करते थे।
वनविद डी ब्राण्डिस ने अपने शोध में पाया था कि जिन पहाड़ी क्षेत्रों के आसपास वन नष्ट कर दिए गए, वहां बहने वाले प्राकृतिक या वर्षा जल स्रोत सूख गए उनमें जल की मात्रा नगण्य होती गई।
वर्ष 1818 में बेरार में जंगल के अंदर एक सड़क बनाई गई। सडक़ के कुछ भाग को सुरक्षित रक्षा गया। जिससे इस क्षेत्र का वन अधिक घना हो गया। जबकि शेष भाग अपने मूल रूप में कम घना हुए।
ऐसी स्थिति में वर्षाकाल में यह देखा गया कि घने व खुले जंगल से निकले वाली जल धाराएं नदी नाले बाढ़ ग्रस्त हो गए। जबकि घने जंगल वाले क्षेत्र में नदी व नाले शांत एवं बाढ़ रहित रहे। इस क्षेत्र में निर्माणाधीन पुलों पर क्षति भी नहीं के बराबर रहा।
कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रो। टीएमदास के अनुसार एक वृक्ष अपने जीवनकाल में जितना आक्सीजन उत्सर्जन, वायु प्रदूषण नियंत्रण, वर्षा के दौरान भू-क्षरण नियंत्रण व मृदा की उर्वरता में वृद्धि, वन्य प्राणियों को आश्रय, व भोजन उपलब्ध करवाने जैसी पर्यावरणीय सेवाएं देता है।
शोध में उन्होंने पाया कि एक वृक्ष 50 वर्ष के जीवनकाल में उपलब्ध करवाई गई पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्य 1,93250 अमेरिकी डालर है। मतलब कि लगभग 1.25 करोड़ है।
प्रोफेसर टीएन दास द्वारा वृक्ष के 50 वर्ष के जीवनकाल में प्राप्त होने वाली विभिन्न सेवाओं के मूल्य का भी आंकलन अमेरिकलन डॉलर में किया है। जिसे जानने के लिए दिए गए सारिणी पर गौर करें।
अध्ययन में पता चला है कि पेड़ों से हरी-भरी एक एकड़ वन भूमि को उजाडऩे पर पर्यावरण का उतना ही नुकसान होता है। जितना कि एक कार तीस वर्षों में खतरनाक गैस का उत्सर्जन करती है।
अमेरिकन रिसर्च रिपोर्ट पर गौर करें तो हरियाली या बाग बगीचा में रोज पांच मिनट कसरत से व्यक्ति को मानसिक मजबूती मिलती है। साथ ही मानसिक रोग का खतरा कम होता हे।
एक हेक्टेयर वन प्रति वर्ष औसत तीन मैट्रिक टन अशुद्ध हवा यानी कार्बनडाई आक्साइड ग्रहण करता है। और शुद्ध आक्सीजन देता है। वाष्पोत्सर्जन द्वारा एक वृक्ष एक दिन में 400 लीटर तक जल वाष्प वातारण में भेजता है।
हर व्यक्ति सांस लेने के लिए 1.752 टन आक्सीजन का प्रयोग करता है। एक वृक्ष एक वर्ष में करीब 1.6 टन आक्सीजन देता हे। मतलब एक वृक्ष अपने जीवन काल में उतना ही आक्सीजन देता है। जितने की एक व्यक्ति को अपने जीवन कॉल में सांस लेने के लिए जरूरत है।
वन व नदियों के के विशेषज्ञ व शोधार्थी बताते हैं शोध में पाया गया है कि प्रति वर्ष 4.7 अरब टन मिट्टी नष्ट होती है। मुख्य कारण नदियों का तेज बहाव व कटाव है। इससे नदियों में गाद जमा हो रही है। जिससे नदियों का अस्तित्व तो संकट में है ही बाढ़ का भी खतना बढ़ रहा है।
कागजी उत्पादों के निर्माण में पूरे विश्व में प्रत्येक मिनट लगभग 20 फुटबाल मैदान के बराबर जंगलों को काटा जा रहा है। इस लिए जंगलों को बचाने के लिए आवश्यक है अधिक वृक्ष रोपे जाएंगे।


50 वर्ष के वृक्ष से लाभ व लाभ मूल्य
वृक्ष से उपलब्ध सेवा मूल्य डालर में
एक वृक्ष से आक्सीजन 31,250
वायु प्रदूषण नियंत्रण 62,000
भूक्षरण नियंत्रण मृदा उर्वरता ग्रो 31.250
वृक्षों से वर्षा में वाटर रिचार्जिंग 37.500
वन्य जीवों को आश्रय व भोजन 31.250


वृक्ष काटने के पूर्व एनओसी विभागों के द्वारा वन विभाग से ली जाती है। जितने पेड़ काटे जाते हैं, उसका दस गुना पौधों की रोपाई की जाती है। विकास सरकार की नीति है। लिहाजा वृक्षों के लिए विकास को रोकना संभव हैं। काटे गए वृक्षों से कहीं ज्यादा नए वृक्ष तैयार करने के प्रयास वन विभाग कर रहा है।
अरविंद यादव, डीएफओ प्रयागराज