चौथे स्नान पर्व वसंत पंचमी पर 15 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
मौसम में आए अचानक बदलाव के बीच उमड़ता रहा श्रद्धा और आस्था का रेला
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PRAYAGRAJ: माघ मेले के चौथे स्नान पर्व वसंत पंचमी पर मौसम ने अचानक करवट बदल लिया। सुबह से चल रही सर्द हवाओं और बादलों की लुकाछिपी के बीच बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। सरकारी दावों की माने तो वसंत पंचमी पर शाम छह बजे तक 15 लाख लोगों ने स्नान करके पुण्य अर्जित किया।
भोर से ही शुरू हो गया स्नान व पूजन
वसंत पंचमी पर मंगलवार भोर से ही स्नान करने का सिलसिला शुरू हो गया। जो देर शाम तक जारी रहा। इस दौरान दिन में कई बार बादलों के घेरे ने सूरज की रोशनी को ढक लिया। इस बीच चल रही ठंडी हवाओं के कारण कुछ समय के लिए ही मौसम में थोड़ी नमी भी आ गई। उसके बाद भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। सिटी के साथ ही आस-पास के एरिया से भी लाखों की संख्या में संगम पहुंचे श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया और विधि विधान के साथ तीर्थ पुरोहितों की मौजूदगी में पूजा अर्चना की।
सुरक्षा के रहे खास इंतजाम
वसंत पंचमी स्नान पर्व को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे। इस दौरान मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होती रही। इसके साथ ही पुलिस की टीमें भी लगातार मेला क्षेत्र में गश्त करती रही। जल पुलिस की टीमें भी घाटों पर तैनात रही। जिससे किसी भी दुघर्टना को होने से पहले ही रोका जा सके। पुलिस के आलाधिकारी भी मेला क्षेत्र का लगातार निरीक्षण करते रहे। इसके साथ ही एटीएस, बीडीएस, एसडीआरएफ, गोताखोरों की टीम भी पूरे समय तैनात रही।
धूना अनुष्ठान का हुआ आरम्भ
वसंत पंचमी के साथ ही तपस्वी नगर में धूना अनुष्ठान की भी शुरुआत हो गई। माघ मेला के खाक चौक स्थित तपस्वी नगर महात्माओं ने संगम स्नान के बाद संकल्प लेकर तपस्या आरंभ की। इस दौरान उन्होंने चारों ओर जलता हुआ कंडा रखकर उसके बीच में बैठकर आराध्य को स्मरण किया। इसके बाद सिर पर घड़ा में आग रखकर ध्यान लगाया। धूना तपस्या का ये सिलसिला गंगा दशहरा तक अनवरत जारी रहेगा। गंगा दशहरा के अवसर पर हवन करके तपस्या का समापन होगा। अखिल भारतीय श्रीपंच तेरह भाई त्यागी अयोध्या के श्रीमहंत रामसंतोष दास ने बताया कि धूना तपस्या सात चरणों में पूरी होती है। इसमें प्रतिदिन कम से कम पांच घंटे आग जलाकर धूप में बैठकर तपस्या करनी होती है। कहीं जाना होता है तो बीच-बीच में रुककर धूना तपस्या करके आगे की ओर बढ़ते हैं। तपस्या में हर आयु वर्ग के संयासी शामिल होते हैं।