दो की मौत के बाद लोगों में दहशत, अब तक सात मरीज चिन्हित
स्वाइन फ्लू और जुकाम की जानकारी का अभाव बन सकता है जानलेवा
ALLAHABAD: स्वाइन फ्लू से दंपति की मौत के बाद लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। जानकारी के अभाव में जुकाम और फ्लू के बीच का अंतर निकालना मुश्किल हो रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि दोनों के लक्षणों में ज्यादा अंतर है। ऐसे में होशियारी बरतना जरूरी है। अगर जुकाम लंबे समय तक टिका हुआ है तो डॉक्टरी सलाह जरूर ली जाए। जरूरत पड़े तो बीमारी की प्रॉपर जांच कराना भी आवश्यक है।
जुकाम पहचानना है जरूरी
जुकाम को नैसोफैरिनजाइटिस, राइनोफैरिनजाइटिस और नजले के नाम से जाना जाता है। लोग फ्लू को मामूली जुकाम समझकर गलती कर बैठते हैं। इसलिए दोनों के बीच अंतर जानना बेहद जरूरी है। ए, बी व सी, तीन प्रकार का फ्लू होता है लेकिन फैलता एक ही तरह से है। जबकि, मौसम के बदलाव को बर्दाश्त नही कर पाने पर शरीर को सर्दी-जुकाम की समस्या घेरने लगती है।
लक्षण
जुकाम में सबसे पहले गले में खराश और जलन होती है।
इसके बाद नाक बहने और हल्का बुखार भी बना रहता है।
पचास फीसदी लोगों में गले की खराश रहती है और इतने ही लोगों को खांसी और कफ बना रहता है।
छुआछूत से फैलता है फ्लू
सर्दी-जुकाम की तरह फ्लू भी संक्रामक रोग है और एक-दूसरे में छूने, खांसने और छीकने से होता है। इसलिए बिना हाथ धोए अपने नाम, मुह आदि को नही छूना चाहिए। फ्लू में 103 डिग्री तक तेज बुखार की शिकायत होती है।
लक्षण
बुखार, कंपकपी, नाक बहना और सिरदर्द
मांसपेशियों में पीड़ा और शारीरिक दर्द
सूखी खांसी और उल्टी
असामान्य थकावट और भूख में कमी
पेट या छाती में दबाव महसूस होना
एक की हुई है स्वाइन फ्लू से मौतत!
राजरूपपुर में हुई पति-पत्नी की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग केवल एक की मौत के पीछे स्वाइन फ्लू को कारण मान रहा है। अधिकारियों का कहना है कि 65 वर्षीय अरुणा श्रीवास्तव को डायबिटीज थी और इसी कारण उनकी हालत में सुधार नही हो रहा था। जबकि पति वीरेंद्र श्रीवास्तव की मौत केवल बुखार से हुई है। कहा कि अहमदाबाद से आए उनके बेटे को भी जुकाम की समस्या है। बता दें कि वीरेंद्र श्रीवास्तव की चार दिन पूर्व राजरूपपुर में मौत हो गई थी जबकि उनकी पत्नी ने गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इन बातों का रखें ध्यान
घर और घर के आसपास के इलाके में साफ-सफाई रखिए।
एच1एन1 वायरस सुअरों में पाया जाता है, इसलिए इसे स्वाइन फ्लू कहते हैं।
तेज उमस वाले मौसम में यह वायरस अत्यंत सक्रिय होते हैं।
शौच के बाद और खाने से पहले हाथों को भली प्रकार से साबुन से धोना चाहिए।
इलाहाबाद में अब तक सात एच1एन1 के मरीजों की पुष्टि हुई है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए ट्रिपल लेयर वाला एन 95 मास्क पहनना चाहिए।
मरीजों को टैमीफ्लू नामक दवा खाने को दी जाती है।
लोगों को जागरुक होना चाहिए। पहली बात तो हर नार्मल जुकाम को स्वाइन फ्लू नही समझना चाहिए और फ्लू और जुकाम के लक्षणों में अंतर पता होना चाहिए। बीमारी के लक्षण फ्लू से मिल रहे हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करिए।
डॉ। एएन मिश्रा,
जिला संक्रामक रोग नियंत्रण अधिकारी
स्वाइन फ्लू की दस्तक के बावजूद लोग जागरुक नही हैं। उनको ऐसी जानलेवा बीमारियों के प्रति खुद को तैयार करना होगा।
सुफियान अंसारी
ऐसी बीमारियों से बचने के लिए जागरुकता जरूरी है। खुद को और दूसरों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करके हम अपने समाज को बचा सकते हैं।
अंकुर सिंह
यह एक संक्रामक बीमारी है। इससे बचाव के लिए सावधानी बरतनी होगी। लेकिन, मेडिकल स्टोर्स पर लिमिटेड मास्क का स्टाक होना चिंता का विषय है।
रिपु सूदन
स्वाइन फ्लू के बारे में पूरी जानकारी हमे मीडिया से मिलती है। बाकी स्वास्थ्य विभाग या जिला अस्पतालों में हमे बीमारियों के बारे में कुछ भी नही बताया जाता है।
विवेक गोंड