प्रयागराज (ब्यूरो)। पति व पत्नी के अटूट प्रेम के पर्व करवाचौथ बुधवार को है। मंगलवार को पूरे दिन मार्केट में इसका नजारा साफ दिखाई देता रहा। जहां महिलाएं अपने पतियों के साथ शापिंग करती दिखी। इस दौरान मेंहदी से लेकर श्रृंगार के सामान की दुकानों आदि पर भी इसका साफ असर दिखाई देता रहा। मार्केट में न्यू मैरिड कपल्स से लेकर हर एज ग्रुप के कपल्स में पर्व को लेकर उत्साह दिखा।
महिलाओं से गुलजार हुआ मेंहदी बाजार
मंगलवार को मेंहदी की मार्केट में भी अलग-अलग डिजाइन को लेकर काफी क्रेज देखने को मिला। सिविल लाइंस में मेंहदी लगाने वाले मिथुन रावत बताते है कि इस बार एरबिक मेंहदी के डिजाइन की सबसे अधिक डिमांड रही। एक हाथ की मेंहदी का रेट 100 रुपए और दोनों हाथ में मेंहदी लगवाने का रेट 200 रुपए निर्धारित किया गया था। वहीं घर पर जाकर भी मेंहदी लगाने की सुविधा भी मौजूद रही। इसके लिए 500 व 1000 रुपए रेट तय किया गया था। महिलाएं जहां मेंहदी लगवाने में व्यस्त थी। कुछ महिलाओं ने अपने पति के नाम का पहला अक्षर मेंहदी के साथ लिखवा रखा था, तो कुछ ने पूरा नाम ही लिखवा रखा था।
डिनर के लिए रेस्टोरेंट में दिखी एडवांस बुकिंग
सिटी के कई होटल व रेस्टोरेंट में भी बुधवार को करवाचौथ के अवसर पर लोगों ने एडवांस बुकिंग करा रखी है। टेम्टेशन रेस्टोरेंट संचालक अमित जौहरी ने बताया कि उनके यहां बड़ी संख्या में लोगों बुकिंग करायी है। हालांकि सिंगल टेबल बुक कराने वाले अधिक है। जबकि कुछ लोगों ने बुधवार को डिनर के लिए फैमली टेबल भी बुक करा रखा है। हालांकि इस दौरान कोविड 19 के प्रोटोकाल का भी रेस्टोरेंट की ओर से विशेष ध्यान रखा जा रहा है। जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके।
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शाम 5.55 से 7.52 बजे तक पूजन का विशेष मुहूर्त
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार बुधवार की शाम 7.57 बजे चंद्रोदय होगा। वहीं पूजन का विशेष मुहूर्त शाम 5.55 से 7.52 बजे तक रहेगा। इस समय अवधि में वृष लग्न रहेगा। वृष लग्न का स्वामी शुक्र हैं जो सौभाग्य कारक ग्रह हैं। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग, मृगशिरा नक्षत्र, शिव-अमृत योग व्रती महिलाओं की समस्त कामना पूर्ण करेंगे। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के पति को चिरायु, पुत्र, पौत्र के साथ निश्चल लक्ष्मी (अधिक समय साथ रहने वाली) की प्राप्ति होती है।
मंदिरों में नहीं जुटेगी भीड़
करवा चौथ पर हर साल मां ललिता देवी, अलोपशंकरी, सावित्री मां सहित देवी मंदिरों में सामूहिक कथा का पाठ किया जाता था। लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण इस बार किसी भी स्थान पर सामूहिक कथा व पूजन का आयोजन नहीं होगा। ऐसे में इस बार व्रती महिलाएं घर पर ही विधि विधान के साथ पूजन करेगी।
निरोगी काया देता है चंद्रमा
आचार्य सुधाकर शास्त्री बताते हैं कि करवाचौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा धार्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। चंद्रमा मन का कारक व औषधियों को संरक्षित करता है। कार्तिक मास में औषधियों के गुण विकसित अवस्था में होते है। यह गुण उन्हें चंद्रमा से ही प्राप्त होता है। ये व्यक्ति के स्वास्थ्य और निरोगी काया को बनाता है। करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान इसी कारण है। इससे मानव को आयु, सौभाग्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है। जबकि चलनी से देखने पर चंद्रमा की सकारात्मक किरणें शरीर में प्रवेश करती हैं।