255
एमएलडी है शहर में पानी की सप्लाई
240
एमएलडी है शहर में पानी की डिमांड
255
ट्यूबवेल से शहर में होती है पानी की आपूर्ति
20
एमएलडी क्षमता का खुशरूबाग में बना है वाटर पंप
125
लीटर है शहर में प्रति कैपिटा पानी की खपत
- ट्यूबवेल और डब्ल्यूटीपी होंगे टैप, साफ्टवेयर से होगी मॉनीटरिंग
- सिटी में पानी के इनटेक का तैयार होगा डाटा
- स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत लांच हो रही योजना
शहर में पानी की डिमांड और सप्लाई के बीच कितना पानी वेस्ट हो रहा है। यह पता लगाने का अभी तक कोई उत्तम साधन मौजूद नहीं है, लेकिन जल्द ही स्मार्ट सिटी मिशन की ओर से वाटर स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा इक्विजनन) सिस्टम लांच किया जा रहा है। इसके तहत शहर में पानी के इनटेक का डेटा तैयार किया जाएगा। इसके अगले चरण में डिस्ट्रीब्यूशन का खाका तैयार किया जाएगा। जिससे शहर में एनआरडब्ल्यू (नान रेवेन्यू वाटरर) की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
एक साफ्टवेयर से जुड़ेंगे सभी रिसोर्सेज
फिलहाल शहर में पानी की सप्लाई दो तरीकों से हो रही है। जानकारों की माने तो पहला ट्यूबवेल और दूसरा संसाधन डब्ल्यूटीपी है यानी वाटर संप है। यह खुशरूबाग में स्थित है और इसकी क्षमता 20 एमएलडी बताई जा रही है। बाकी 255 ट्यूबवेल भी शहर में पानी की सप्लाई में दिन रात लगे हैं। इन सभी को स्काडा के तहत एक साफ्टवेयर से टैप कर दिया जाएगा। जिससे इनसे सप्लाई होने वाले पानी की मात्रा का पूरा अंदाजा लगा लिया जाएगा। खुशरूबाग में इस सिस्टम को लगाया जा रहा है।
डिमांड से अधिक हो रही सप्लाई
इस समय सिटी में पानी की डिमांड से अधिक सप्लाई की जा रही है। जल संस्थान के मुताबिक शहर की आबादी को रोजाना 240 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है, पर 255 एमएलडी पानी अवलेबल कराया जा रहा है। इसके अलावा लोगों के पास पानी के अपने संसाधन भी मौजूद हैं। लेकिन हमारे पास ऐसा कोई मानीटर नहीं है जो यह बता सके कि लोग इस समय कितना पानी यूज कर रहे हैं और कितना पानी एनआरडब्ल्यू में जा रहा है।
कैसे हो रहा वेस्टेज
शहर में पर कैपिटा 125 लीटर रोजाना की खपत मानी जाती है। मतलब एक व्यक्ति को 24 घंटे में इतने पानी की आवश्यकता है। लेकिन ठंड में भी इतना ही पानी लगता है क्या? यह बड़ा सवाल है। गर्मियों में भी इस स्टैंडर्ड डाटा से कम पानी है लोग यूज करते हैं। लेकिन सप्लाई बारह महीने एक जैसी होती है। ऐसे में डिमांड के हिसाब से सप्लाई किए जाने से पानी की बर्बादी को आसानी से रोका जा सकेगा।
दूसरे चरण में आएगा डिस्ट्रीब्यूशन
पहले चरण में पानी के इनटेक को स्काडा के तहत टैप किया जाएगा और इसके बाद दूसरे चरण में वाटर डिस्ट्रीब्यूशन को स्काडा के अंतर्गत टैप किया जाएगा। जब दोनों चरण का काम पूरा हो जाएगा तब उतना ही पानी सप्लाई किया जाएगा जितना की डिमांड होगी। इस सिस्टम से पानी की एकुरेट डिमांड और सप्लाई का अंदाजा लगाया जा सकेगा।
वाटर स्काडा स्मार्ट सिटी मिशन का महत्वपूर्ण पार्ट है और इस सिस्टम को जल्द ही स्टार्ट कर दिया जाएगा। इससे हम पानी की एक्चुअल खपत के हिसाब से पानी की सप्लाई की स्थिति को जान सकेंगे। अभी हम पहले चरण यानी इनटेक के सिस्टम को तैयार कर रहे हैं। इसके बाद डिस्ट्रीब्यूशन का नंबर आएगा।
विपिन कुमार, असिस्टेंट मैनेजर, स्मार्ट सिटी मिशन प्रयागराज