प्रयागराज (ब्यूरो)।
47 ओवर हेड (पानी टंकी) से होती है जलापूर्ति
322 मिनी पम्प हैं जिनसे होती है डायरेक्ट सप्लाई
342 बड़े वाटर पम्प से भी सिटी में होती है सीधी सप्लाई
252830 घरों में है पानी का कनेक्शन
यमुना का 80 एमएलडी पानी सप्लाई
जलकल विभाग द्वारा शहर के अंदर 400 एमएलडी यानी मिलियन लीटर प्रति दिन पानी की सप्लाई करता है। इसमें करीब 20 से 25 प्रतिशत पानी महकमा वेस्ट मानता है। मतलब यह कि करीब 322 एमएलडी पानी हर रोज लोगों के घरों में यूज हो रहा है। इसमें लगभग 80 एमएलडी वाटर यमुना का पानी है। यमुना का पानी करेलाबाग में लगे 11 मोटर से विभाग खुशरोबाग जलकल विभाग में बने टैंक में स्टोर करता है। यहां इस पानी को तकनीकी विधि व ब्लीचिंग आदि का प्रयोग करके शोधित करता है। इसके बाद यमुना के इस पानी को लोगों के घरों में सप्लाई कर देता है। शेष पानी की सप्लाई विभाग 47 ओवर हेड (जगह-जगह बनी पानी टंकी) और लगाए गए 664 छोटे बड़े पम्प से डायरेक्ट करता है। विभागीय लोगों के दावे हैं कि वर्ष में एक बार ओवर हेड वाटर टैंक की सप्लाई की जाती है। जबकि दबी जुबान महकमें के लोग बताते हैं कि पानी टंकियों की सफाई जल्दी होती ही नहीं है। बहुत सक्रिय हुए तो टंकियों में ब्लीचिंग पाउडर डाल दिया जाता है। हालांकि पानी में ब्लीचिंग डालने का काम भी कभी- कभार ही होता है। जिन पम्पों से डायरेक्ट पानी की सप्लाई होती है, विभाग का दावा है कि वहां डोजल लगाए गए हैं। डोजर से पानी में रफ्ता-रफ्ता ब्लीचिंग गिरता रहता है। जबकि विभागीय सूत्र कहते हैं कि पम्प पर लगाए गए डोजर कई जगह काम ही नहीं कर रहे हैं।
देखिए क्या है सप्लाई वाटर की स्थिति
रिपोर्टर ने दो ऐसे स्थानों को सिलेक्ट किया जहां पर होवर और पम्प से सीधे वाटर की सप्लाई होती है
इसके बाद टीडीएस मीटर से वहां ग्लास में पानी लेकर पानी की गुणवत्ता को रिपोर्टर द्वारा परखा गया
मीटर की स्क्रीन पर ओवर हेड से सप्लाई किए जा रहे पानी में 560 टीडीएस लिखकर आ गया
जबकि पम्प से डायरेक्ट सप्लाई किए जा रहे पानी का 513 टीडीएस मीटर की स्क्रीन पर दिखाई दी
जबकि वाटर शोध से जुड़े लोग व एक्सपर्ट बताते हैं पानी में 120 या 130 टीडीएस होता है बेस्ट होता है
क्रिटिकल यानी सूखाग्रस्त एरिया के पानी में 200 से 300 तक के टीडीएस को भी चलायमान और पीने योग्य माना जाता है
जबकि मीटर से किए गए जांच के दौरान सप्लाई के पानी में 560 व 513 टीडीएस पाया गया है जो मानक से काफी अधिक है
अब शोधकर्ताओं की बात पर गौर करें तो सप्लाई के पानी में मानक से काफी ज्यादा टीडीएस है
टीडीएस के अधिक होने से पानी में कठोरता व उसमें पाए जाने वाले कुछ तत्व अधिक होते हैं जो सेहत के लिए ठीक नहीं होते
समय-समय पर ओवर हेड टंकी की सफाई कराई जाती है और ब्लीचिंग आदि भी डाले जाते हैं। यदि कहीं प्रदूषित पानी की सप्लाई हो रही तो लोग शिकायत करें तत्काल एक्शन लिया जाएगा। सफाई का काम विभाग खुद करवाता है। पिछले वर्ष कराई भी गई थी। अभी मार्च का महीना है, इसके बाद फिर सफाई का काम किया जाएगा।
हरिश्चंद्र बाल्मीकी, महाप्रबंधक जलकल विभाग
आजाद नगर में दूषित पेयजल आपूर्ति से लोग परेशान
आजाद नगर साउथ मलाका मोहल्ले में इधर कई दिनों से दूषित पेयजल आपूर्ति से लोग परेशान हैं। संबंधित विभाग के अधिकारियों को लोग शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिससे दिन प्रतिदिन समस्या गहराती जा रही है।
आजाद नगर साउथ मलाका में करीब दो सप्ताह से सुबह और शाम को दूषित पेयजल आपूर्ति हो रही है। काफी देर तक नल खुला छोडऩे के बाद धीरे-धीरे पानी साफ होता है। मोहल्ले के संदीप कुमार, विवेक श्रीवास्तव, बबलू आदि का कहना है कि पानी मटमैला होने के साथ ही दुर्गंधयुक्त रहता है। इसके सेवन से संक्रामक बीमारियों के पनपने की संभावना है। दूषित पानी के सेवन से कई लोग पेट संबंधित बीमारियों से पीडि़त भी हो चुके हैं। समाजसेवी सर्वजीत सिन्हा का कहना है कि उन्होंने कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों से इसकी शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। चेतावनी दी कि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो अधिकारियों के कार्यालय पर धरना दिया जाएगा।