प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर में डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोगों से नियम विरुद्ध वाटर टैक्स वसूला जा रहा है। कुछ पार्षद जलकल द्वारा लिए जा रहे इस वाटर टैक्स को नियम विरुद्ध बताते हैं। नियत के विपरीत वाटर टैक्स वसूली को लेकर कार्यकारिणी की बैठक में हंगामा भी हुआ था। यह बात अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। हाउस टैक्स से कई गुना वाटर टैक्स की वसूली को कम करने की डिमांड बढ़ गई है। हालांकि नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में उठाए गए मुद्दे को जलकल के अफसर खारिज करते हैं। कहना है कि वाटर टैक्स नियमानुसार ही लिया जा है।
अपार्टमेंट में फिर इतना टैक्स क्यों?
नगर निगम कार्यकारिणी समिति की बैठक में पार्षद व समिति सदस्य शिवसेवक सिंह द्वारा मुद्दा उठाया गया था। कई महीने से इस मसले को लेकर वह आवाज मुखर कर रहे हैं। कहना है कि जलकल सदन के निर्णय का भी पालन नहीं कर रहा है। उन्होंने नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 173 के उपखण्ड दो का हवाला दिया था। कहना था कि जलकल विभाग शहर में डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोगों से मनमाना वाटर टैक्स वसूल रहा है। नियमानुसार साढ़े बारह प्रतिशत वाटर टैक्स ही लिया जाना चाहिए था। इस नियम का पालन नहीं करते हुए विभाग जलमूल्य के नाम पर कनेक्शन धारकों से 40 से 50 व 60 प्रतिशत वाटर टैक्स ले रहा है। यह सरासर गलत है। बैठक में उनके जरिए उठाए गए इस मुद्दे का हल भले नहीं निकला पर पब्लिक के बीच वाटर टैक्स चर्चा का विषय बन गया है। अपार्टमेंट में सारी व्यवस्थाएं वहां के लोगों द्वारा खुद की व कराई जाती हैं। वह सीवर से लेकर सफाई तक का पैसा अलग से नगर निगम को देते हैं। अपार्टमेंट का दायरा पूर्व निर्धारित होता है। उसे न तो घटाया जा सकता है और न ही बढ़ाया जा सकता है। उसका पूरा स्ट्रक्चर एक जैसा ही होता है। बावजूद इसके अपार्टमेंट में रहने वालों से भी जलमूल्य के नाम पर हजारों रुपये प्रति फ्लैट से वाटर टैक्स की वसूली कर रहा है। हालांकि लिए जा रहे वाटर टैक्स को विभाग नियमानुसार कम करने को तैयार नहीं है।
01 लाख 80 हजार हंै सिटी में वाटर कनेक्शन
402 एएलडी पानी का शहर में होता है सप्लाई
09 एसटीपी में सोधित होता है यूज वाटर
300 एमएलडी 80 फीसद पानी जात है एसटीपी
हाउस टैक्स से कई गुना अधिक वाटर टैक्स लिया जाना गलत है। कार्यकारिणी की बैठक में जिस बिन्दु व नियम पर चर्चा हुई वह नियम तत्काल लागू किया जाना चाहिए। जलकल विभाग पब्लिक से जबरिया वसूली कर रहा है।
अजीत, नैनी
अधिकारी हमेशा पब्लिक को नियमों के पालन का ज्ञान देते हैं। जब विभाग खुद नियमों का पालन नहीं करे तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। जब साढ़े बारह प्रतिशत का मान है तो उतना ही वाटर टैक्स लिया जाना चाहिए। नियम के विपरीत लिया जा रहा टैक्स अवैध वसूली ही कही जाएगी।
विनोद अरोरा
हमारा मानना है कि सरकारी विभाग हो या पब्लिक जो नियम व अधिनियम कहते हैं उसका पालन होना चाहिए। जलकल विभाग पालन क्यों नहीं कर रहा इस तरफ शीर्ष अफसरों को ध्यान देना चाहिए। क्योंकि यह हर व्यक्ति से जुड़ा मसला है।
विकास अग्रवाल
देश के संविधान व कानून का का उल्लंघन अपराध की श्रेणी में आता है। फिर वह नियम वुरुद्ध वाटर टैक्स का लिया जाना हो या फिर बात कुछ और। विभाग नहीं सुन रहा तो नगर निगम कार्यकारिणी के सदस्यों को कोर्ट जाना चाहिए। यही एक रास्ता है।
आशुतोष मिश्रा, अधिवक्ता अशोक नगर