पेयजल की बर्बादी रोकने के लिए स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनाए जा रहे नए प्लान
बिल्डिंगों में काफी धीमा है रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगवाने का काम
प्रयागराज- शहर में पानी की बर्बादी रोकने के कई उपाय किए जा रहे हैं। इन पर बनाई गई योजनाओं के संचालन के लिए फाइलें तैयार की जा रही हैं। बैठक कर अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में एचीवमेंट का ग्राफ काफी लो है। अभी तक अपेक्षाकृत रिजल्ट सामने नहीं आ सका है। लाखों आलीशान बिल्डिंग वाले इस शहर में गिनती की जगह वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है। हालांकि वाटर वेस्टेज रोकने के लिए कई योजनाओं को लांच करने की भी तैयारी की जा रही है।
140 ने किया कम्प्लायंस, पुराने पर नहीं दबाव
नियमानुसार 300 वर्गमीटर से अधिक एरिया वाली सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंग्स में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से इस नियम का पालन कराने की कोशिश की जा रही है। बताया जाता है कि नियम लागू होने के बाद कुल 140 बिल्डिंग्स में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम संचालित किया जा रहा है। यह सभी बिल्डिंग हाल ही में निर्मित हुई हैं। जबकि हजारों ऐसे प्राइवेट बिल्डिंग हैं जो पहले बनी हैं लेकिन इनमें यह सिस्टम नहीं लगा है। पीडीए का कहना है कि नियमानुसार इनको प्रेरित किया जा रहा है कि यह अपने यहां स्वेच्छा से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएं।
सरकारी भवनों में भी रफ्तार धीमी
प्राइवेट में सरकार का बस नहीं चलता लेकिन सरकारी में चाहे तो सौ फीसदी भवनों में इस सिस्टम को लागू किया जा सकता है। लेकिन ऐसा फिर भी नहीं हो रहा। अभी तक केवल 15 सरकारी भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा सका है। बाकी में काम शुरू करने की कोशिश है। खासकर नए बनने जा रहे भवनों में पानी की बर्बादी रोकने की कवायद की जा रही है। लेकिन यह कवायद कितनी सफल होगी, यह योजना की रफ्तार देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या है नियम
- जिन भवनों का क्षेत्रफल 300 वर्गमीटर से अधिक है वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है।
- 1.5 से 2 लाख रुपए में संचालित हो जाता है सिस्टम।
- अगर भवन का एरिया नियमों के दायरे में है तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने के बाद ही उसे पूर्णता प्रमाणपत्र दिए जाने का प्रावधान है।
- नियम के तहत 260 रुपए प्रति वर्गमीटर की सिक्योरिटी मनी जमा कराई जाती है।
- नियमों के उल्लंघन पर भवन को सीज करने या जब्त किए जाने का प्रावधान है।
क्या है वाटर हार्वेस्टिंग
वाटर हार्वेस्टिंग का अर्थ है जल का अधिक से अधिक संरक्षण। जिस प्रकार हम अपने सुखद भविष्य के लिए धन का संरक्षण करते हैं। उसी प्रकार मानव जाति के भविष्य के लिए जल का संरक्षण आवश्यक है। वर्षा जल को हम अपने छत से जमीन मे एक पिट मे जमा कर जमीन के जल स्तर को बढ़ा सकते हैं। रसोईघर के पानी को भी बगीचे मे प्रयोग कर जल संरक्षित किया जा सकता है।
नहीं है कोई कार्ययोजना, समीक्षा करेंगे अधिकारी
भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नियम का पालन कराने के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण के पास कोई ठोस प्लान नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गई है। बैठकों में हम समीक्षा कर संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हैं। अगर किसी एरिया या भवन में नियम का पालन नहीं हो रहा है तो उसे नोटिस भेजकर कड़ी कार्रवाई की जाती है।
रोजाना होती है लाखों लीटर पानी की बर्बादी
शहर में पानी की बर्बादी का आंकड़ा किसी के पास नहीं है। डिमांड के अनुरूप पानी की भरपूर सप्लाई की जाती है लेकिन यूज उतना नहीं होता है। आमतौर पर गाडि़यों की धुलाई और टूटी पाइप लाइनों से दिनभर में बड़ी मात्रा में वाटर वेस्टेज होता है। इसी वेस्टेज आंकड़े का पता लगाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वाटर स्काडा योजना लांच की जा रही है। इसमें हाईटेक तरीके से पानी के वेस्टेज का पता लगाया जाएगा। इसके एक साफ्टवेयर के जरिए सभी संसाधनों को टैप कर जोड़ा जाएगा। इससे यह पता लगेगा कि शहर में कितनी पानी की आपूर्ति है और कितना वेस्टेज हो रहा है। शहर में प्रति व्यक्ति 125 लीटर पानी की रोजाना आपूर्ति की जा रही है।
255
एमएलडी है शहर में पानी की सप्लाई
240
एमएलडी है शहर में पानी की डिमांड
255
ट्यूबवेल से शहर में होती है पानी की आपूर्ति
20
एमएलडी क्षमता का खुशरूबाग में बना है वाटर पंप
125
लीटर है शहर में प्रति कैपिटा पानी की खपत
स्मार्ट सड़कें बचाएंगी पानी
स्मार्ट सिटी के पहले चरण में शहर में सरदार पटेल मार्ग समेत कुल आठ सड़कों को स्मार्ट रोड बनाया गया। स्मार्ट रोड पर हरियाली से पैदल चलने वाले लोगों की सुविधा का ख्याल रखा जाता है। अभी बारिश होने पर पूरा पानी सड़कों से नाली में चला जाता है। मगर आने वाले दिनों में घास के माध्यम से बारिश का पानी छोटे-छोटे टैंक में जाएगा। फिर धीरे-धीरे पानी रिस कर जमीन के नीचे पहुंचेगा। इससे शहर में गिरते जल स्तर को रोका जा सकेगा। स्मार्ट सिटी के तहत इस योजना पर भी काम शुरू किया जा रहा है।
सरकारी और प्राइवेट ऐसी सभी बिल्डिंग जिनका एरिया 300 वर्गमीटर से अधिक है वहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। अब तक कुल 155 बिल्डिंग्स में इस नियम का पालन कराया गया है। जो लोग नहीं कर रहे हैं उनकी समीक्षा कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आलोक पांडेय, विशेष कार्याधिकारी, पीडीए प्रयागराज
जो भी कामर्शियल नई बिल्डिंग बन रही है उनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है। इसके लिए पीडीए द्वारा सिक्योरिटी मनी ली जा रही है और समय समय पर निरीक्षण भी किया जाता है। यह अच्छी पहल है और मेरी राय में सभी को वर्षा जल संचयन के लिए इस नियम का पालन करना चाहिए।
सुशील खरबंदा, अध्यक्ष, सिविल लाइंस व्यापार मंडल प्रयागराज
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हम वाटर स्काडा का प्रोजेक्ट ला रहे हैं। इसमें प्रति व्यक्ति होने वाले वाटर वेस्टेज का डाटा भी निकाला जाएगा। जिसकी गणना होने के बाद उतने पानी की आपूर्ति की जाएगी जितनी जरूरत है। जल संचयन के लिए भी कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
विपिन कुमार, असिस्टेंट मैनेजर, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट प्रयागराज