एक नजर में आंकड़े
47596
एक अप्रैल से 25 मई के बीच पाए गए कुल केसेज
1149
10 साल तक की उम्र के संक्रमित
3055
11- 20 साल तक के संक्रमित
20077
21 से 40 साल तक संक्रमित
15863
41 से 60 साल तक संक्रमित
6925
61 से 80 साल तक संक्रमित
527
80 साल से अधिक संक्रमित
इस बार 18 साल से कम उम्र के 9 परसेंट तक संक्रमित पाये गये, जिनको कोरोना संक्रमण से संघर्ष करना पड़ा
कोरोना का संक्रमण पहली लहर में जहां बुजुर्गो को अपना शिकार बना रहा था वहीं दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण से युवा और बच्चे भी नहीं बच पाये।
दूसरी लहर में 18 साल से कम उम्र के संक्रमितों की संख्या 9 परसेंट पहुंच गई है। यह चिंता का विषय है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन भी इसे लेकर गंभीर है। यह भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर के संक्रमितों में बच्चों की संख्या बढ़ सकती है। यह आंकड़े पर भी उसी ओर इशारा कर रहे हैं।
बच्चों में भी दिखने लगे लक्षण
कोरोना संक्रमण की पहली लहर में ऐसा नहीं है कि बच्चे संक्रमित नहीं हुए थे, लेकिन उनमें लक्षण सामने नहीं आ रहे थे।
इस बार सामने आए मामलों में बच्चों में कोरोना के सर्दी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण सामने आने लगे हैं।
यहां तक कि बच्चों को एसआरएन अस्पताल में बने चाइल्ड कोरोना वार्ड में भर्ती भी कराना पड़ा।
केवल आंकड़ों पर जाएं तो एक अप्रैल से लेकर 25 मई तक 10 साल तक के बच्चों में संक्रमण की तादाद 2.5 फीसदी और 18 साल तक यह संख्या 9 फीसदी तक पहुंच गई।
जांच कराने आगे आए पैरेंट्स
स्वास्थ्य विभाग की माने तो बच्चों के केसेज बढ़ने का बड़ा कारण पैरेंट्स का जागरुक होना भी है। माता-पिता अब सर्दी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षणों को नजर अंदाज नहीं कर रहे हैं। बकायदा उनकी जांच कराई जा रही है, जिससे कोरोना पाजिटिव मामलों की पहचान भी हो रही है।
आप भी हो जाइए होशियार
जिस तरह से कोरोना के बढ़ते मामले बच्चों और किशोरों में देखे जा रहे हैं उसके चलते पैरेंट्स का होशियार होना जरूरी है। बच्चों को घर पर अधिक समय तक रहने दिया जाए और बाहर बिना मास्क और सैनेटाइजर नहीं जाने दिया जाए। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों में कोरोना जैसे लक्षण नजर आते ही जांच कराना जरूरी है। वरना स्थिति गंभीर भी हो सकती है। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए एसआरएन में 80 और बेली में 40 बेड के बच्चों के लिए आईसीयू वार्ड बनाने की कवायद की जा रही है।
युवाओं पर सबसे ज्यादा कहर
दूसरी लहर में बच्चों और किशारों के मामले जरूर बढ़े लेकिन वायरस ने सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं को पहुंचाया है।
21 से 40 साल के एज ग्रुप में सर्वाधिक 20077 केसेज सामने आए हैं।
मरने वाले मरीजों में भी इस एजग्रुप की संख्या काफी रही। जबकि पहली लहर में बुजुर्गो पर कोरोना ने अधिक कहर ढाया था।
यही कारण है कि तीसरी लहर में बच्चों को बचाकर रखने की बात कही जा रही है।
हालांकि ऐसा होने के कयास लगाए जा रहे हैं, स्वास्थ्य विभाग इसे स्पष्ट तौर पर स्वीकार नहीं कर रहा है।
पिछली लहर में 18 साल तक के मामले काफी कम थे, लेकिन इस बार यह 9 फीसदी तक पहुंचे हैं। ऐसे में बच्चों में कोरोना के लक्षणों को नजर अंदाज नहीं करना है बल्कि उनकी तत्काल जांच कराकर इलाज शुरू करा देना है।
डॉ। ऋषि सहाय, नोडल कोविड 19 प्रयागराज