नगर निगम ने मनमाने तरीके से एससी-एसटी आबादी दिखा किया खेल
अब एससी-एसटी की आबादी के आधार पर वार्डो की होगी नंबरिंग
जिस वार्ड में होगी सबसे अधिक आबादी वही होगा एक नंबर
balaji.kesharwani@inext.co.in
ALLAHABAD: नगर निगम इलाहाबाद द्वारा अप्रैल में आनन-फानन तैयार की गई परिसीमन लिस्ट में बड़े पैमाने पर खामियां सामने आई हैं। इस परिसीमन लिस्ट में वार्डो की एससी-एसटी और जनगणना वर्ष 2011 की एससी-एसटी आबादी में काफी अंतर हैं। लिस्ट को शासन ने निरस्त कर जनगणना वर्ष 2011 के आधार पर 31 जुलाई तक नई लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है। अब देखना ये है कि नौ दिन में नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन नियमों का कितना पालन कर पाता है।
जनगणना 2011 को बनाएं आधार
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2011 में देश में जनगणना कराई गई थी। इसे मुख्य आधार माना गया। जनगणना निदेशालय द्वारा ब्लाक के साथ ही शहर के 80 वार्डो की अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति की जनगणना प्रकाशित की गई है। लेकिन नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा परिसीमन के लिए नए सिरे से जनगणना कराई गई। सरकार का आदेश है कि वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार ही परिसीमन किया जाए।
आखिर सही कौन है भाई?
नगर निगम की ओर से जनगणना वर्ष 2011 के आंकड़ों को न लेते हुए मनमाने तरीके से परिसीमन किया गया। वार्डो में एससी-एसटी आबादी की जो गणना दिखाई गई है, उसमें और जनगणना निदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों में काफी अंतर है। इससे ये साबित होता है कि या तो जनगणना निदेशालय वर्ष 2011 के आंकड़े गलत हैं या फिर नगर निगम के डाटा।
नहीं किया गया ऐसा
शासन का आदेश था कि जिस वार्ड में सबसे अधिक एससी-एसटी आबादी मिलती है, उसे एक नंबर वार्ड घोषित किया जाए। इसी के अनुसार घटते क्रम में एससी-एसटी आबादी के अनुसार 80 वार्ड घोषित करने थे, लेकिन नगर निगम ने ऐसा नहीं किया।
आरटीआई से खुली पोल
परिसीमन लिस्ट मिलने के बाद आंकड़ेबाजी की हकीकत सामने आने पर पूर्व पार्षद एवं समाज सेवी कमलेश सिंह दादा ने आरटीआई के थ्रू व्यवस्था पर प्रहार किया। उन्होंने जनगणना वर्ष 2011 के आंकड़ों और नगर निगम के आंकड़ों में दिख रहे अंतर से शासन को अवगत कराया तो गवर्नर कार्यालय ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया। इसके बाद नगर निगम द्वारा पूर्व में तैयार परिसीमन लिस्ट को निरस्त कर नियमानुसार लिस्ट तैयार करने का आदेश जारी किया गया। इस संबंध में प्रमुख सचिव राज्यपाल जूथिका पाटणकर ने प्रदेश निर्वाचन आयुक्त को पत्र भी जारी किया है।
नगर निगम की ओर से जनगणना 2011 से अधिक वार्डो में दिखाई गई एससी आबादी-
वार्ड नगर निगम अनु। जाति
जनसंख्या 2011
राजापुर 5241 4618
सुलेमसराय 4939 5665
मलाकराज 4272 3619
सादियाबाद 4062 3240
इंजीनियरिंग 4031 3969
कॉलेज क्षेत्र
अशोक नगर 3995 2967
हरवारा 3915 3618
जयंतीपुर 3889 3847
हिम्मतगंज 3796 1998
विश्वविद्यालय 3558 2858
क्षेत्र
पिछले दिनों नगर निगम के 80 वार्डो के जारी परिसीमन लिस्ट में की गई थी गड़बड़ी। जनगणना 2011 के अनुसार जारी ब्लाक वार अनुसूचित जाति आबादी और नगर निगम के परिसीमन लिस्ट में शामिल अनुसूचित जाति आबादी में पाया गया काफी अंतर।
परिसीमन का ये है नियम-
जनगणना के आधार पर तैयार एससी-एसटी आबादी जिस वार्ड में होती है, सबसे अधिक वो वार्ड होता है शहर का पहला वार्ड। उसके बाद लगातार घटते क्रम के अनुसार तय होनी चाहिए वार्डो की संख्या। परिसीमन के लिए प्रत्येक वार्ड में 21 परसेंट एससी और दो परसेंट एसटी के अनुसार 23 परसेंट के आधार पर होता है आरक्षण। एससी-एसटी की आबादी के अनुसार तैयार परिसीमन लिस्ट के अनुसार क्रमवार दस वार्डो का एससी के लिए होगा आरक्षण।
परिसीमन लिस्ट में गड़बड़ी हुई है। मनमाने तरीके से आंकड़ेबाजी कर वार्डो का क्षेत्र बदला गया है। शासन ने जब जनगणना 2011 को आधार मानने का निर्देश दिया था तो नगर निगम को सर्वे कराना ही नहीं चाहिए था। अब शासन ने 31 जुलाई तक परिसीमन लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है। इतने कम समय में सही तरीके से परिसीमन हो पाएगा, ये नहीं कहा जा सकता है।
अभिलाषा गुप्ता
मेयर, नगर निगम
इलाहाबाद