- कारखाना मालिक ही करवा रहे बुकिंग, एक हफ्ते बाद की सभी ट्रेनों का लगभग टिकट हो चुका है बुक

- लाकडाउन खुलने व ढील की छूट मिलने पर हजारों श्रमिक काम पर लौटने को बेताब

PRAYAGRAJ: देश के अन्य राज्यों में लॉकडाउन खुलने व ढील की छूट मिलने पर हजारों श्रमिक मुंबई-दिल्ली वापस जाने के लिए बेताब हैं। कई कारखाना मालिकों ने श्रमिकों के लिए टिकट तक का इंतजाम किया है। वे उन्हें रात में काम करने के लिए बुला रहे हैं। ऐसे में मुबंई-दिल्ली की ट्रेनों में भीड़ बढ़ गई है। जबकि एक हफ्ते पहले तक ट्रेनों में सैकड़ों सीटें खाली जा रही थी। जिन ट्रेनों में एक दिन पहले तक सैकड़ों सीटें खाली थी। उनके स्लीपर और टूएस क्लास के तत्काल में भी वेटिंग शुरु हो गई है। सोमवार को मुंबई-दिल्ली जाने वाली कई ट्रेनों का स्टेटस फुल रहा।

रैंडम जांच का बढ़ाया गया दायरा

मुंबई- दिल्ली में लॉकडाउन शुरू होने के पहले से यूपी-बिहार के लाखों श्रमिक की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया था। करीब डेढ महीने तक वापसी की मारामारी मची रही। रेलवे को अतिरिक्त ट्रेनें चलानी पड़ी। इसके उलट अब कोरोना संक्रमण के केस घटने पर श्रमिक वापस महानगरों की ओर जाने लगे हैं। एक जून से लेकर सात जून तक लगभग मुबंई-दिल्ली जाने वाली ट्रेनों के सीटें फुल है। ऐसे में अब रेलवे से जुड़े कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। वहीं रेलवे विभाग ने रैंडम होने वाली कोविड जांच में तेजी लाने की तैयारी कर ली है। एक टीम सिटी साइट तो दूसरी टीम जंक्शन साइट रैडम जांच करेगी। यह टीम संदिग्ध लोगों की जांच करेगी। अफसरों की माने तो रैडम कोविड जांच सेंटर बनाने पर बातचीत चल रही है। ताकि हर सफर करने वालों की जांच हो सकें।

घर बैठने से तो अच्छा है

वाराणसी के तेजबहादुर कुमार और मिर्जापुर के रामगोपाल ने बताया कि उन्हें कारखाना मालिकों ने ही ऑनलाइन टिकट बुक कर भेजा है। कारखाना मालिकों ने फोन पर बताया है कि अब रात में काम हो सकेगा। कोरोना के केस काफी कम हो गए हैं। काफी कामों के लिए सरकार ने छूट भी दी है। घट बैठने से अच्छा है कि कुछ अच्छा पैसा आएगा। घर की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधे पर है। अभी पत्नी के इलाज में जमा पूंजी लग गई।

नेट बैकिंग के जरिये भेजे खाने के पैसे

फतेहपुर से ट्रेन पकड़ने आये कैलाश और जगदीश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद बड़ी मुश्किल से घर आए थे। लौटने के बाद कारखाना मालिक फिरोज भाई ने लगातार संपर्क बनाए रखे। उनकी तरह कई श्रमिकों को नेट बैकिंग के जरिये खाने-पीने के लिए पैसे भी भेजे। बीते हफ्ते टिकट बुक कर फोन किया कि अब आ जाओ, काम शुरू होने वाला है। ऐसे में दोनों उसी कारखाने में काम करने वाले 20-25 लोगों के साथ वापस जाने को तैयार हो गए।

नहीं मिल रहे कन्फर्म टिकट

नैनी के रहने वाले विनोद पाल ने बताया कि सभी ट्रेनों के एसी क्लास में शनिवार को लगभग सभी सीटें फुल थी। जबकि स्लीपर व जनरल में चार्ट बनने के बाद तक वेटिंग चल रही थी। इसी तरह रविवार के बाद जून तक लगभग ट्रेनों के स्लीपर और टूएस क्लास में वेटिंग बढ़ती जा रही है।