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वर्ग गज जमीन में बना था विजय टॉवर

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मंजिला विजय टॉवर में थीं कई दुकानें

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करोड़ रुपये बताई गई अनुमानित कीमत

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हफ्तों के लिए कोर्ट ने दी गई थी मोहलत

अल्लापुर स्थित विजय टॉवर को पीडीए की टीम द्वारा शुक्रवार को किया गया ध्वस्त

हाईकोर्ट से मिली मोहलत समाप्त होने के बाद एक्शन मोड में आए पीडीए अफसर

PRAYAGRAJ: आगरा जेल में बंद बाहुबली विधायक विजय मिश्रा फेमिली की मुसीबतें घटने का नाम नहीं ले रहीं। शुक्रवार को पीडीए द्वारा अल्लापुर स्थित विजय टॉवर को ध्वस्त कर दिया। यह टॉवर विजय मिश्रा की पत्‍‌नी रामलली व सास इंद्रकली के नाम बताया गया। कोर्ट द्वारा इस टॉवर को स्वयं ध्वस्त करने की मोहलत उन्हें दी गई थी। दिए गए छह हफ्ते का समय बीत गया और उनके जरिए कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया गया। कोर्ट द्वारा दी गई मोहलत की समय सीमा समाप्त होने के बाद पीडीए एक्शन मोड में आया। पिछले वर्ष विजय अल्लापुर में ही विजय मिश्रा के मकान को भी ढहाया गया था।

पत्‍‌नी व सास के नाम था टॉवर

यह टॉवर तीन महीने पूर्व ही पीडीए की कार्रवाई लिस्ट में था। बताते हैं कि खबर मिलने पर विजय मिश्रा फेमिली कोर्ट की शरण जा पहुंची। हाईकोर्ट द्वारा पीडीए को कार्रवाई करने से मना करते हुए छह हफ्तों की मोहलत दिया गया। पीडीए अफसरों के मुताबिक कोर्ट ने कहा था कि इस समय सीमा के भीतर विजय टॉवर को वे स्वयं ध्वस्त करा दें। कोर्ट द्वारा दी गई मोहलत की समय सीमा समाप्त हो गई। मगर, विजय फेमिली द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कराया गया। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को पीडीए की टीम कार्रवाई के लिए जार्जटाउन के अल्लापुर स्थित विजय टॉवर पहुंची। टीम को देखते हुए कार्रवाई के विरोध में उतरे लोगों को अफसरों ने

कोर्ट के आदेश से अवगत कराया। इसके बाद इस टॉवर को ढहाने में जेसीबी जुट गई। बताया गया कि यह टॉवर 350 वर्ग गज में बनाया गया था। पांच मंजिला इस टॉवर की अनुमानित कीमत आठ करोड़ रुपये बताई गई। बतादें कि करीब चार महीने पूर्व भी अल्लापुर स्थित विजय मिश्रा के अलीशान मकान को पीडीए द्वारा ढहाया गया था। इस मकान पर हुई कार्रवाई के वक्त उनकी पत्‍‌नी व बेटी द्वारा जमकर विरोध किया गया था।

इस तरह बढ़ा था सियासी कद

विजय मिश्रा नैनी सेंट्रल जेल से पिछले वर्ष चित्रकूट कारागार भेजे गए थे। चित्रकूट से उन्हें आगरा जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।

बाहुबली भू-माफिया विजय मिश्रा दिलीप मिश्रा के करीबी भी बताए जाते हैं। भदोही में ब्लाक प्रमुख बनने के बाद से इस परिवार की सियासी जड़ तैयार हुई।

ज्ञानपुर सीट से 2002, 2007 और 2012 में वह सपा के टिकट से विधायक चुने गए। 2017 में अखिलेश यादव ने उनका टिकट काट दिया था।

बावजूद निषाद पार्टी के टिकट से चुनाव लड़कर विजय मिश्रा ने जीत हासिल की। मोदी लहर पर उनकी जीत भारी पड़ी।

उस वक्त खुद विजय मिश्रा ने कहा था कि 1980 के करीब वह भदोही पहुंचे और वहां एक पेट्रोल पम्प के मालिक बन गए। इसके बाद कुछ ट्रक खरीद लिए।

उसी समय उन्हें पंडित कमलापति ने चुनाव लड़ने की सलाह दी थी। उन्होंने ही कांग्रेस से टिकट दिलवाया तो 1990 तक वह ब्लाक प्रमुख बन गए।

तब राजीव गांधी से विजय के अच्छे ताल्लुकात हो गए थे। राजीव गांधी के जाने के बाद विजय का कांग्रेस से नाता टूटा तो सपा मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव से नजदीकियां बढ़ गई थीं।

विजय टॉवर को स्वयं ढहाए जाने के लिए कोर्ट से उन्हें मोहलत मिली थी। समय सीमा समाप्त होने के बावजूद वह कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए। इस लिए पीडीए द्वारा विजय टॉवर के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई।

आलोक पांडेय, जोनल अधिकारी पीडीए