- देश में सूर्य ग्रहण अदृश्य होने के कारण नहीं पड़ेगा कोई खास असर

- ज्योतिष के आधार पर राशियों पर ही दिखेगा ग्रहण का प्रभाव

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PRAYAGRAJ: सनातन धर्म के प्रमुख पर्व और त्यौहारों में वट सावित्री व्रत का भी विशेष महात्म है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस पेड़ को त्रिमूर्ति यानी ब्रम्हा, विष्णु और महेश की प्रतिमूर्ति माना जाता है। ये दिन सावित्री के समर्पण और उनके सम्मान करता है। क्योकि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज से बचाकर लायी थी। पुरानी मान्यताओं के अनुसार उसके बाद से ही इस पर्व को मनाया जाता है। लेकिन इस बार वट सावित्री व्रत के साथ ही सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। हालांकि सूर्य ग्रहण भारत मे अदृश्य है। इसलिए सामान्य तौर पर तो इसका कोई खास असर नहीं दिखेगा। लेकिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार राशियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

अमावस्या पर महत्वपूर्ण समय

अमावस्या प्रारंभ- 9 जून 2021 दोपहर 01:23 बजे से

अमावस्या समाप्त- 10 जून, 2021 को शाम 03:30 बजे तक

वट सावित्री व्रत 2021 का शुभ मुहूर्त

व्रत और पूजन का मुर्हूत पूरे दिन है, लेकिन राहू काल व गुलिक काल में पूजन नहीं करना चाहिए

राहू काल - दिन में 1.30 से 3.16 तक

गुलिक काल - सुबह 8 बजे से 10.5 बजे तक

वट सावित्री व्रत 2021 की पूजा विधि

- सूर्योदय से पहले महिलाएं तिल और आंवला पानी में मिलाकर स्नान करती हैं।

- वो नए कपड़े, चूडि़यां, सिंदूर आदि पहनती हैं।

- बरगद के पेड़ के नीचे पूजा की जाती है। जहां पेड़ नहीं होता है वहां बरगद के पेड़ की एक छड़ी मिट्टी में खोदी जाती है और जहां ये भी उपलब्ध नहीं है वहां हल्दी और चंदन की लकड़ी के लेप से लकड़ी पर बरगद के पेड़ का चित्र बनाया जाता है।

- बरगद के पेड़ पर जल, फूल, चावल, चने के बीज और घर में बने विशेष व्यंजन का भोग लगाया जाता है।

- महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करती हैं और उसके चारों ओर पीले और लाल धागे बांधते हुआ उसका जाप करती हैं।

- वो सत्यवान और सावित्री की कथा सुनते हैं।

- प्रसाद बांटा जाता है।

- महिलाएं गरीबों को अन्न, वस्त्र आदि दान करती हैं.वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और अपने परिवार के सदस्यों की भलाई के लिए मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण व्रत होता है।

- सूर्य ग्रहण देश में अदृश्य रहेगा। इसलिए इसका कोई खास असर सामान्य तौर पर नहीं पड़ेगा। हालांकि ज्योतिषीय गणना के अनुसार राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। इस दिन ही शनिदेव की जयंती भी मनायी जाएगी। जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह की पीड़ा है। वे लोग इस दिन अवश्य ही शनिदेव की पूजा करें।

पं। दिवाकर त्रिपाठी, पूर्वाचली

ज्योतिषाचार्य, उत्थान ज्योतिष संस्थान

- जहां ग्रहण दिखाई देगा उसका असर वहीं होता है। देश में ग्रहण नहीं दिखाई देगा। ऐसे में यहां पर कोई असर नहीं होगा।

आचार्य अविनाश राय, ज्योतिषाचार्य