2015 में यूएस की मदद से इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी डेवलप करने का हुआ था ऐलान
दो साल तक कई अमेरिकी कंपनियां आई, प्रजेंटेशन हुआ फिर ठंडा पड़ गया मामला
ALLAHABAD: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच मुलाकात में दौरान जोश देखकर इलाहाबादियों की उम्मीदें फिर से बढ़ गई हैं। यह वह शहर था जहां से 2015 में इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के रूप में डेवलप करने की पहल हुई थी। इसके बाद अमेरिकी इंवेस्टर्स ने यहां आकर संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी थी। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद यह प्रयास ठंडे पड़ गए। एक बार फिर दोनो देशों के बीच रिश्तों में गर्माहट ने अमेरिकी इंवेस्टर्स के आगमन की संभावना बनेगी।
तीन साल बाद अमेरिका पहुंचे हैं मोदी
2014 में केन्द्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर में अमेरिका का दौरा किया था। 29 सितंबर 2014 को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उन्होंने देश के लिए तमाम ओएमयू पर साइन किया था। इसी में भारत के इलाहाबाद समेत देश के तीन शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में डेवलप किए जाने में मदद करना भी शामिल था। इसके लिए बकायदा एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। दो अन्य शहर अजमेर और विशाखापत्तनम थे। इसके बाद अमेरिकी कंपनियों ने यहां आकर सर्वे और अधिकारियों के साथ मिटिंग का सिलसिला शुरू कर दिया तो उम्मींद बंधी की पांच साल के भीतर इलाहाबाद का नक्शा बदल जाएगा। लेकिन, दो साल के भीतर ही बात आई-गई हो गई। इंवेस्टर्स ने भी आना बंद कर दिया। प्राब्लम इंवेस्टमेंट के बाद रिटर्न में थी। जिसे यहां अधिकारी अपने प्रजेंटेशन में जस्टिफाई नहीं कर पाए थे।
यूएस की 350 कंपनियों को आना था
जनवरी 2015 में एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल के एक्सपर्ट कई बार इलाहाबाद आए। यूएस एम्बेसी के अधिकारियों व मंत्रियों ने भी इलाहाबाद का दौरा किया। यहां आकर शहर को देखा। सभी विभागों से इलाहाबाद को स्मार्ट बनाने के लिए प्लान मांगा। 10 फरवरी 2017 को यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल की प्रेसीडेंट डायने फैरेल के साथ तीन सदस्यीय टीम इलाहाबाद पहुंची थी। टीम ने डेवलपमेंट के लिए तैयार किए गए डीपीआर को देखने के बाद भरोसा दिलाया था कि जल्द ही यूएस पॉजिटिव वे में आगे बढ़ेगा। क्योंकि इरिचैम, आईबीएम, मोटाल, रिसिस्को, रिफाटो, रैम्बो जैसी करीब साढ़े तीन सौ से अधिक कंपनियों ने इलाहाबाद में इनवेस्ट करने में इंट्रेस्ट दिखाया है। वे पीपीपी मोड में काम करने को तैयार हैं। उनका मकसद ऐसा सिस्टम डेवलप करना होगा, जिससे यहां के लोग स्मार्ट और ईजी लाइफ जी सकें।
किया गया था वादा
सबको रोजगार मिलेगा, शहर में नए उद्योग-धंधे चालू होंगे।
अत्याधुनिक मूलभूत ढांचा,
शानदार सड़कें, घर बनेंगे
24 घंटे बिजली-पानी मिलेगी।
शहरवासी पूरी तरह से डिजिटल आधार पर जुड़े रहेंगे।
स्वच्छ परिवेश, पर्यावरण
हरियाली होगी।
गंदगी दूर होगी और प्रदूषण खत्म होगा।
हाईटेक ट्रांसपोर्ट सिस्टम और ईको फ्रेंडली वाहनों की वजह से आवागमन की सुविधा होगी।
प्रधानमंत्री के न्यौते पर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने भारत आए ओबामा ने स्मार्ट सिटी के लिए तैयार एमओयू पर साईन किया था। बाद में इसपर कोई काम नहीं हो सका। अब जब इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया है, तो उम्मीद है कि अमेरिका भी अपने पुराने वादे को पूरा करेगा।
-अभिलाषा गुप्ता,
मेयर नगर निगम