-प्रयागराज ब्यूरो । इस समय आंखों का संक्रमण यानी कंजक्टवाइटिस चरम पर है। बारिश नहीं होने से रोग तेजी से फैल रहा है। इसकी वजह से अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की लाइन लगी है। वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो इस संक्रमण से फटाफट निजात पाने के लिए स्टेरायड आई ड्राप का धड़ल्ले से यूज कर रहे हैं। इससे उनको आराम तो तत्काल मिल रहा है लेकिन साइड इफेक्ट का भी खतरा मंडरा रहा है। डॉक्टरों की माने तो ऐसे आई ड्राप का यूज करने से मरीज की आंखों की रोशनी भी जा सकती हे।
जल्दी ठीक होने की चाहत
आमतौर पर कंजक्टवाइटिस के ठीक होने से सात से चौदह दिन का समय लगता है। एहतियात बरतने और नार्मल आई ड्राप लुब्रिकेंट यूज करने पर यह पांच से आठ दिन में भी ठीक हो जाता है। लेकिन लोग दो से तीन दिन में आराम पाने की चाहत में स्टेरायड आई ड्राप का यूज कर रहे हैं। यह फौरी तौर पर आंखों को आराम देता है लेकिन अधिक यूज करने पर इससे ग्लूकोमा या कटरेक्ट होने के चांसेज हो जाते हैं। कार्निया इनवाल्व होने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है। डॉक्टर्स कतई स्टेरायड के यूज करने की सलाह नही देते हैं।
प्लेन एंटी बायटिक लेने की सलाह
डॉक्टर्स कहते हैं कि अंधाधुंध स्टेरायड आई ड्राप का यूज खतरनाक है। इनके बिना डॉक्टरी सलाह ओवर द काउंटर बिक्री को रोकना चाहिए। इससे लोगों की आंखों को नुकसान पहुंच रहा है। कंजक्टवाइटिस का संक्रमण बढऩे पर ऐसे केसेज भी आने लगे हैं। ऐसे में अगर आंखों में लालिमा, चुभन, जलन और खुजली की शिकायत हो रही है तो अधिकतम प्लेन एंटी बायटिक का यूज कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके साथ एंटी एलर्जिक और लुब्रीकेंट आई ड्राप का यूज किया जा सकता है।
स्टेरायड यूज करने के नुकसान
- आंखों में एंटी बायटिक रजिस्टेंस पावर बढ़ सकती है जो भविष्य में संक्रमण होने पर अधिक खतरनाक साबित होगी।
- ग्लूकोमा और कटरेक्ट होने के चांसेज अधिक।
- कार्निया कनेक्ट होने पर आंखों की रोशनी जाने का खतरा।
- स्टेरायड उपयोग के दो सप्ताह बाद कार्निया पर धब्बे होने या दबाव बढऩे का खतरा।
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एम्स ने मरीजों को चेताया
देश भर में आई फ्लू के मामले बढऩे पर खुद एम्स नई दिल्ली ने भी मरीजों को स्टेरायड का यूज नही करने की सलाह दी है। इतना ही नही, अस्प्ताल ने अपने दवा प्रोटोकाल में इसे शामिल भी नही किया है। डॉक्टर्स का कहना है कि मरीज दवा की दुकानों से खुद ऐसे ड्राप खरीदकर यूज कर रहे हैं जो बिल्कुल ठीक नही है।
आई फ्लू में करें ये इलाज
डॉक्टर की सलाह पर आई ड्राप का इस्तेमाल
- आंखों की सफाई के लिए काटन और ठंडे का पानी का करे यूज
- आंखों को धोने के लिए माइल्ड साबुन का इस्तेमाल करें।
- आई ड्राप इस्तेमाल करने से पहले हाथों को साबुन से कसकर धुलें।
- अगर दोनों आंखें लाल नही हैं तो दोनों में एक ही आई ड्राप का यूज न करें।
- आंखों को रगडऩे से बचें, इससे लक्षण अधिक खराब हो सकते हैं।
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मार्केट से गायब हुई एंटी बायटिक
जैसे जैसे आई फ्लू यानी कंजक्टवाइटिस के मामले बढ़ रहे हैं मार्केट से एंटी बायटिक आई ड्राप की कमी बढ़ती जा रही है। बड़ी दवा कंपनियों के आई ड्राप नदारद हो गए हैं। दवा व्यापारी लालू मित्तल कहते हैं कि मार्केट में शार्टेज हो गई है। लोगों को पहले यह देखना होगा कि उन्हें दवा की जरूरत है या नही। अगर एलर्जिक कंजक्टवाइटिस है तो आसानी से ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि मार्केट से आई ड्राप लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
वर्जन
मरीजों को स्टेरायड का जरा भी यूज नही करना है। मरीज बिना इलाज के भी ठीक हो सकते हैं बशर्ते वह एहतियात बरतते रहें। डॉक्टर के कहने पर ही प्लेन एंटी बायटिक का इस्तेमाल करें। अधिक स्टेरायड लेने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
प्रो। एसपी सिंह, डायरेक्टर, एमडीआई हॉस्पिटल
मरीजों को पैनिक होने की जरूरत नही है। आई फ्लू में दो से तीन दिन प्राब्लम होती है। कभी कभी यही एक सप्ताह तक भी मरीज को परेशान करता है लेकिन घबराने की जरूरत नही है। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही दवा का यूज करें। खुद से दवा मत खरीदकर डालें।
डॉ। एमके अखौरी, अधीक्षक, बेली अस्पताल