प्रयागराज (ब्यूरो)। शहरी महिलाओं में 40 फीसदी ऐसी हैं जो ब्रेस्ट फीडिंग नही कराती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनका नौकरी करना है। घर से बाहर जाने वाली महिलाओं के पास बच्चों को बे्रस्ट फीडिंग कराने का समय नही रहता है। इसी तरह बहुत सी महिलाएं अपनी फिगर कांशस होने की वजह से भी ब्रेस्ट फीडिंग नही कराती हैं। हालांकि इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। बता दें कि एक से सात अगस्त के बीच विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करने की मुहिम चलाई जा रही है।
बढ़ रही है कुपोषितों की संख्या
ब्रेस्ट फीडिंग में कमी के चलते जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार जिले के 6 वर्ष तक के कुल 4,55,543 बच्चों में वजन और ऊंचाई मांपी गई है। इसमें 12,692 आंशिक कुपोषित और 2,570 बच्चे अति कुपोषित मिले हैं। इनकी निगरानी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कर रही हैं। अधिकारियो का कहना है कि अगर जन्म से बच्चों को छह माह तक ब्रेस्ट फीडिंग कराई जाए तो उनका चौतरफा विकास होगा। वैसे ही बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा दूध बच्चों के लिए किसी अमृत से कम नही होता है।
ब्रेस्ट फीडिंग के फायदे
- बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
- उसके शरीर की बनावट मेंटेन रहती है।
- ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माताओं का शरीर खराब नही होता है।
- प्रापरली बे्रस्ट फीडिंग कराने से ब्रेस्ट कैंसर से बचाव होता है।
- जच्चा-बच्चा दोनों को तमाम बीमारियों से निजात मिलती है।
सर्वे में यह बात सामने आई है। मेरी महिलाओं से अपील है कि कम से कम छह माह तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। इससे वह आजीवन स्वस्थ रहता है। स्तनपान कराने से शरीर की बनावट पर कोई फर्क नही पड़ता है।
डॉ। मुकेश वीर सिंह, एचओडी, चिल्डे्रेन अस्पताल प्रयागराज