प्रयागराज ब्यूरो । शहर में स्मार्ट सिटी के द्वारा कराए जा रहे कार्यों में घोर अनियमितता और मनमानी बरती जा जा रही है। स्टमार्ट सिटी के अधिकारियों द्वारा पर बगैर सर्वे व शहर की जरूरत को जाने समझे कार्यों को कराए जाने का आरोप लगाया गया। नगर निगम की सदन में पार्षदों ने कहा कि स्मार्ट सिटी के अधिकारी बजट ही नहीं पूरी योजना को सार्वजनिक करने से भागते रहते रहते हैं। उनके जरिए शहर में करोड़ों व अरबों के रुपये को पानी में बताया जा रहा है। पार्षदों के द्वारा मांग की गई कि स्मार्ट सिटी के लोग उनके मोहल्ले में काम कराते हैं। मगर किसी भी पार्षद को यह नहीं बताते कि कौन सा काम वे कब और कितने बजट से करवा रहे हैं। इस पर सदन में स्मार्ट सिटी के कार्यों की मानीटरिंग के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित करने का प्रस्ताव पास किया गया।
सदन में पार्षदों ने लगाए गंभीर आरोप
सदन की बैठक में पार्षदों ने कहा कि शहर मेरा, पब्लिक हमारी, वार्ड मेरा और विकास व सहूलियत का मानक तय करेंगे स्मार्ट सिटी के लोग? यह रवैया बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि स्मार्ट सिटी के लोग इसी तरह से पूरे शहर को व पार्षदों को डार्क में रखकर कार्य कराएंगे तो उसका खुला विरोध किया जाएगा। सदन एक प्रस्ताव पास करके स्मार्ट सिटी के अधिकारियों व कार्याे में अनियमितता और मनमानी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र शासन को भेजा जाय। एक स्वर में पार्षदों ने कहा कि स्मार्ट सिटी के अधिकारी कभी किसी को कुछ भी बताने से कतराते भागते रहते हैं। योजनाओं और बजट के बारे में पूछने पर सब कुछ छिपाया जाता है। कभी जानकारी के लिए पीडीए से संपर्क करने की बात करते हैं तो कभी मंडलायुक्त से। सदन में पार्षदों ने यह सवाल किया स्मार्ट सिटी के अधिकारी कार्यों की बाबत आवाम को बताने से भागते क्यों हैं। इसके पीछे उनकी मंशा सही नहीं है। पूर्व में स्मार्ट सिटी के द्वारा कराए गए कार्यों की जांच के लिए भी शासन को पत्र लिखा जाय। शहर में स्मार्ट सिटी के द्वारा जितना भी काम कराया गया है उसमें 95 प्रतिशत कार्यों व निर्माण जनता के हित व प्रयोग में नहीं आ रहे हैं।