प्रयागराज (ब्यूरो)। टीईटी 2011 को लेकर विवाद सिर्फ इतने तक ही नही थमा था। परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को भी पास कराने की बात सामने आयी थी। शिक्षा माफियाओं ने यूपी बोर्ड की फेक आईडी भी तैयार करा दी थी। जिसमें सैकड़ों की संख्या में फेल अभ्यर्थियों को पास दिखाया गया था। टीईटी 2011 का जिन लगातार बीच-बीच में बाहर निकलता था। बोर्ड सचिव के रूप में तैनात रहे पूर्व निदेशक अमरनाथ के कार्यकाल में भी 311 अभ्यर्थियों को बोर्ड के ही कुछ कर्मचारियों की मिली भगत से पास कर दिया गया। मामले का खुलासा होने के बाद जांच के दोषी पाए गए कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 2012 टीईटी में भी उस समय विवाद खड़ा हो गया। जब परीक्षा के दौरान क्वैश्चन पेपर में निबंध पूछ लिया गया था। परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों ने पेपर में निबंध पूछने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। इसके बाद से टीईटी को लेकर लगातार कोई ना कोई विवाद सामने आता रहा है।
2019 में पेपर लीक करने का प्रयास
शिक्षक पात्रता परीक्षा 2019 में गाजीपुर में परीक्षा के पहले पेपर लीक करने का प्रयास किया गया था। नकल माफियाओं ने पेपर कापी करके उसकी फोटोकापी भी तैयार करना शुरू कर दिया था। संयोग से इसकी भनक उसी समय एसटीएफ की टीम को लग गयी तो उसने आरोपी नकल माफियाओं को गिरफ्तार कर लिया। उधर, प्रयागराज जिले में भी धूमनगंज एरिया में स्थित एक स्कूल से पेपर सॉल्वर गैंग के मेंबर्स को उपलब्ध करा दिया गया। दूसरी पाली की परीक्षा के दौरान मामला सामने आने पर पेपर अभ्यर्थियों के पास पहुंचने से पहले ही एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सॉल्वर गैंग के मेंबर्स को गिरफ्तार कर लिया। प्रकरण में स्कूल के प्रबंधक आदि की भी गिरफ्तारी की गई थी।