प्रयागराज (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने गुरुवार को हाइडिल कॉलोनी 20 क्लाइव रोड, सिविल लाइंस का रियलिटी चेक किया तो किसी भी घर में मीटर लगा नहीं मिला। पूछने पर एक बिजली स्टाफ ने बताया कि यह कॉलोनी साहब लोगों की है। लेकिन बिजली का पेमेंट करते हैं। इस पर रिपोर्टर ने सवाल किया। जब मीटर ही नहीं लगा तो बिजली का बिल किस हिसाब से जमा करते होंगे। उतने में एक अधिकारी आ गए। उन्होंने बताया कि उनकी सैलरी से एक हजार रुपये प्रति माह कटता है। बिजली चाहे जितना यूज करो। सबका बराबर कटता है। वहीं सभी बिल्डिंग के बाहर लगे फेस चेंजर पर सवाल पूछा गया। स्टाफ ने बताया कि अलग-अलग फेस का कनेक्शन जुड़ा है। जब एक फेस में कोई प्रॉब्लम के चलते लाइट कट जाती है तो चेंजर से चेंज कर दूसरी फेस की बिजली यूज किया जाता है। मुस्कुराते हुए कहा बिजली विभाग की कालोनी है। इतनी तो छूट रहेगी ही। यह भी पता चला कि जिन्हें सरकारी क्वाटर नहीं मिला है। उन लोगों

के लिए भी सिस्टम सेट है।

हर घर में एसी

रियलिटी चेक के दौरान पाया गया कि हर घर में कम से कम दो एसी लगा हुआ है। कॉलोनी के आसपास रहने वाले लोग बताते है कि इस कॉलोनी की लाइट जाती है। लेकिन तुरंत आ जाती है। दो उपकेंद्रों के अलग-अलग कई फेस से कनेक्शन जुड़ा हुआ है। आम आदमी जुड़े तो दिक्कत होती है। सूत्रों की माने तो एक घर का कम से कम चार हजार रुपये की बिजली खपत होती है। क्योंकि एक एसी न्यूनतम चलने पर दो से ढाई हजार रुपये का बिल बनता है। बाकि उपकरणों को तो छोड़ ही दीजिए।

उपकेंद्रों पर मीटर लगे हैं। घरों का बिजली इस्तेमाल करने पर पैसा भुगतान किया जाता है। आने वाले वक्त में नियम बदलेगा तो मीटर भी लग जाएगा।

- विनोद गंगवार मुख्य अभियंता