प्रयागराज ब्यूरो । अगर आप घर पर किसी कारण से समय नहीं दे पा रहे हैं। अपने बच्चों से दूर हैं तो बच्चों के मोबाइल स्टेट्स पर नजर रखिए। बच्चों के मोबाइल स्टेट्स बहुत गंभीर संदेश देते हैं। स्टेट्स बताते हैं कि बच्चों का मूड कैसा है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही आपके बच्चे को परिवार से दूर ले जा सकती है। ये कदम आत्मघाती भी हो सकता है। अगर बच्चे का स्टेट्स आपकी समझ से बाहर है तो फिर काउंसलर का सहारा लीजिए। मगर देर मत कीजिए। आपकी देरी बच्चे के लिए घातक हो सकती है।
स्टेट्स से समझिए बच्चे का मूड
हाईटेक होती जा रही सोसाइटी में अब समय की कमी का रोना हर तरफ है। चाहे नौकरी हो या फिर बिजनेस् ऐसे में जाहिर है कि गार्जियन का घर पर बच्चों को पर्याप्त समय दे पाना मुश्किल हो जा रहा है। गार्जियन देर से घर पहुंचे तो बच्चे सो गए हैं। सुबह देर से सोकर उठे तो पता चला बच्चे स्कूल जा चुके हैं। ऐसे में बच्चों का मोबाइल आपका मददगार बन सकता है। आप कहीं भी हों। बच्चे के मोबाइल स्टेट्स को चेक करते रहिए।
ये सिग्नल देते हैं मोबाइल स्टेट्स
शेर- अगर आपका बच्चा स्टेट्स पर शेर या किसी अन्य जानवर का तस्वीर लगा रहा है तो फिर समझ लीजिए कि उसका मूड गरम है। वह अपने फ्रेंड सर्किल में या फिर क्लास में किसी न किसी से विवाद की स्थिति में है।
फूल- अगर बच्चा अपने मोबाइल स्टेट्स में फूल लगा रहा है तो फिर वह किसी के साथ रिलेशन में जुडऩा चाहता है।
पंच लाइन- बच्चा अगर स्टेट््स में पंच लाइन लिख रहा तो समझने की जरुरत है कि वह क्या संदेश दे रहा है। किसी को लव ऑफर है। किसी को चेतावनी है। या फिर किसी ने उसे हर्ट कर दिया है।
ब्लैंक- अगर बच्चे के मोबाइल पर स्टेट्स ब्लैंक है तो फिर वह कूल पोजिशन में है या फिर बाहरी दुनिया से कटा सा महसूस कर रहा है।
भजन- अगर बच्चे के मोबाइल स्टेट्स पर भजन या फिर भगवान की तस्वीर है और ऐसे स्टेट्स लगातार लगाए जा रहे हैं तो फिर उसमें कांफिडेंस की कमी हो सकती है। वह अकेला महसूस कर रहा है।

मनोविज्ञान शाला पहुंच रहे बच्चे
तमाम गार्जियन अपने बच्चों को काउंसिलिंग के लिए मनोविज्ञान शाला ले जा रहे हैं। वहां पर काउंसलर बच्चों की बात सुनकर उनके सॉल्व करने की कोशिश कर रहे हैं। कई बार तो बगैर बच्चे के ही गार्जियन पहुंच रहे हैं। गार्जियन बताते हैं कि बच्चे किसी तरह की हरकत कर रहे हैं और काउंसलर से पूछते हैं कि उनको कैसे हैंडल किया जाए।

सबसे ज्यादा शिकायत मोबाइल फोबिया की
गार्जियन अब अपने बच्चों का मोबाइल चेक करने लगे हैं। मनोविज्ञान शाला पहुंचने वाले तमाम गार्जियन ने काउंसलर को बताया कि मोबाइल में यू ट्यूब पर बच्चे बहुत सी ऐसी चीजें देखते हैं शायद जिनकी जरुरत उन्हें नहीं होती है। अब इस समस्या का सटीक जवाब काउंसलर के पास भी नहीं होता है। क्योंकि बच्चा मोबाइल यूज करते समय उसमें क्या देखने लगेगा, उस पर कैसे रोक लग लगाई जा सकती है। इसका कोई फिट फार्मूला खोज पाना मुश्किल हो जा रहा है।
नंबर गेम
150 बच्चों ने अप्रैल में कराई काउंसिलिंग
125 बच्चों ने मई में कराई काउंसिलिंग
160 बच्चों ने जून में कराई काउंसिलिंग
110 बच्चों ने जुलाई में पहुंचे मनोविज्ञानशाला
90 बच्चों ने अगस्त में कराई काउंसिलिंग
1250 बच्चों की हुई ग्रुप काउंसिलिंग
60 फीसदी बच्चे मोबाइल फोबिया से पीडि़त


ये है काउंसलर की टिप्स
- बच्चों पर नजर रखें पर शक का भाव न रखें।
- बार बार सीधे मोबाइल चेक न करें।
- स्टेट्स के जरिए बच्चों को वॉच करें।
- बच्चों के दोस्तों से भी बात करें।
- बच्चों के दोस्तों को अपने घर बुलाएं।
- बच्चों के दोस्तों की एक्टिविटी को करें वॉच

मनोविज्ञान शाला में आ रही ये शिकायतें
- बच्चे छोटे भाई बहनों की पिटाई कर रहे।
- झूठ बोलकर घर से पैसे ले जा रहे।
- बगैर बताए घर से घूमने निकल जा रहे।
- बच्चे कोचिंग नहीं पहुंच रहे।
- देर रात तक मोबाइल देखते हैं बच्चे।
- स्कूल जाने में आनाकानी की समस्या।


मोबाइल जरुरत भी है और समस्या भी। मोबाइल ने बच्चों को नालेजबल बनाया है तो उससे बच्चों को बहुत सी ऐसी चीजें देखने समझने को मिलती हैं जो कि उनके लिए जरुरी नहीं। ऐसे में बच्चों को कम्फर्ट फील कराना ही एक रास्ता है। आपके शक का भाव या फिर नाराजगी बच्चों के लिए दिक्कत पैदा कर सकता है। ऐसे में धीरे धीरे उसका फेमिली अटैचमेंट कम हो सकता है। जोकि आने वाले समय में बड़ी दिक्कत खड़ी कर सकता है।
कमलेश कुमार, काउंसलर, मनोविज्ञानशाला


मोबाइल स्टेट्स से बच्चे के मूड को समझने में आसानी हो सकती है। जरुरत है बस थोड़ा सौ धैर्य रखने की। अगर बच्चा मोबाइल स्टेट्स ऐसा लगा रहा है जिसका कोई संदेश है तो फिर उसे बात करनी चाहिए। या काउंसलर के पास उसे ले जाना चाहिए।
डा.कमलेश तिवारी, मनोविज्ञानी