प्रयागराज ब्यूरो । अतीक को यूं ही माफिया नहीं का जाता है। उसके दुश्मनों से ज्यादा उसके चाहने वालों की लिस्ट में नाम हैं। यह सभी प्रत्येक कांड में उसके मददगार भी साबित होते रहे हैं। जिसका नतीजा है कि अतीक की हत्या के बाद भी उसके मददगारों की फेहरिस्त में नामों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। पुलिस को तीन और नाम पता चले हैं। जिनका अपराध से सीधा वास्ता नहीं रहा है लेकिन अतीक और उसके गैंग की मदद में ये तीनों नाम अक्सर चर्चा में आते रहे हैं। इन तीनों मददगारों का नाम उमेश पाल हत्याकांड में जोड़ा जा सकता है।

गैंग की लिस्ट नए सिरे से हो रही तैयार

अतीक के गैंग आईएस 227 की सूची को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। इस गैंग का लीडर अतीक था। अतीक के मारे जाने के बाद जब उसके गैंग की लिस्ट निकाली गई तो पता चला कि लिस्ट में शामिल सौ से अधिक मेंबर्स में से तमाम या तो दुनिया से रुखसत हो चुके हैं या फिर अपराध से तौबा कर चुके हैं। जिस पर पुलिस ने गैंग लिस्ट नए सिरे से बनाने की कवायद शुरू की।

चकिया और करेली के हैं तीनों मददगार

पुलिस ने जब गैंग की लिस्ट के लिए मुखबिरों की टीम लगाई तो पता चला कि चकिया और करेली के रहने वाले तीन शख्स अतीक के बेहद करीबी रहे हैं। तीनों साइलेंट मोड में अतीक और उसके गैंग की मदद करते रहे हैं। उमेश पाल हत्याकांड में भी तीनों का कनेक्शन होने की बात सामने आने पर पुलिस अब सरगर्मी से तीनों के बारे में पता लगा रही है। बताया जा रहा है कि तीनों का नाम सीधे तौर पर कभी अतीक के साथ नहीं जुड़ा, मगर अतीक के विश्वस्त गैंग के सदस्य उनके सम्पर्क में रहते थे। उमेश पाल हत्याकांड में तीनों के रोल को लेकर पुलिस छानबीन में जुटी है।

हत्या के बाद फरार हो गए थे तीनों

पुलिस को पता चला है कि जब तीनों को यह जानकारी हुई कि उमेश पाल हत्याकांड की पूरी घटना सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई है तो तीनों ने भी अपना घर छोड़ दिया था। हत्याकांड के पहले तीनों ने क्या मदद की थी या फिर हत्याकांड के बाद तीनों को क्या मदद करनी थी। इस बारे में मजबूत तथ्य मिलने के बाद पुलिस तीनों को उठा सकती है। हालांकि अभी तक की जांच में ये माना जा रहा है कि इन तीनों का नाम उमेश पाल हत्याकांड में किसी न किसी मदद के तौर पर जुड़ेगा जरुर।