प्रयागराज (ब्यूरो)। उसे घटना में इस्तेमाल गाड़ी का चालक बताया गया है। वह घटना में शामिल था, इसका खुलासा पुलिस ने ही किया था। दूसरा चकिया में वह मकान ध्वस्त किया जाना जिसमें अतीक का परिवार कथित रूप से किरायेदार था। तीसरी कार्रवाई सदाकत की गिरफ्तारी के रूप में सामने आयी है। उसके नाम का खुलासा भी पुलिस ने अपनी तरफ से किया है। इसके बाद भी अभी तक न तो पुलिस ने कोई क्लीयर कट स्टोरी मीडिया से शेयर की है और और न ही नामजद किसी आरोपित तक पहुंचने में सफल हो पायी है। पुलिस टीमें गाजीपुर से लेकर गोरखपुर, आजमगढ़ के अलावा मऊ और वाराणसी जिलों में भी सक्रिय हैं। लेकिन, कार्रवाई बताने लायक शायद पुलिस के पास अब तक कुछ नहीं है।
शाख पर बन आई है बात
बसपा विधायक राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल व उनके गनर की हत्या साधारण घटना नहीं है। एक तो खुलेआम दिन के उजाले में उमेश व उनके गनर पर गालियां बरसाई गईं। दूसरा यह कि पुलिस को चैलेंज करने अपने जनपद ही नहीं पूरे प्रदेश में अपना इकबाल बुलंद करने के लिए शूटर बगैर नकाब के थे। तीसरी सबसे बड़ी बात यह कि सभी को मालूम था आस पास सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हुए हैं और पब्लिक का मूवमेंट जारी है फिर भी उन्हें इतना कांफिडेंस था कि वे गोलियों को बरसाते हुए उमेश की हत्या करके भागने में सफल हो जाएंगे। हुआ भी कुछ ऐसा। चौथी सबसे बड़ी यह कि शूटरों ने घटना को उस कंडीशन में अंजाम दिया जब वह जानते थे कि उमेश पाल के साथ उनके गनर भी मौजूद रहते रहते हैं।
इस घटना से पूरा उत्तर प्रदेश हिल गया। सदन तक में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को जवाब देना पड़ा। इतने जघन्य और चैलेंजिंग वारदात में मौत के घाट उतारे गए उमेश पाल की पत्नी जया पाल द्वारा नामजद किए गए पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद, उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन और भाई अशरफ एवं गुड््डू व गुलाम एवं अतीक अहमद के बेटों में खुद अतीक और अशरफ पहले से जेल में हैं। इन दोनों को छोड़ दिया जाय तो वारदात को हुए पांच दिन का वक्त बीत गया और पुलिस एक भी नामजद आरोपित को अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। लोगों के बीच इन बातों को लेकर दो दिनों से जबरदस्त चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब पुलिस की कार्रवाई को लेकर जितने लोग उतनी तरह की बातें करना शुरू कर दिए हैं।
पहली बार ऐसा हुआ जब बोलने से भाग रहे अफसर
जिले के अंदर पहली बाद ऐसा देखने को मिल रहा है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उनके मुंह पर सरकार की कार्रवाई का ताला इस कदर लग गया है कि वह फोन खुद कर पब्लिक के सामने भी आने से कतरा रहे हैं। लोगों का कहना इसके पीछे उन्हें डर इस बात का है कि कहीं कुछ मुंह से निकल आय और घटना से नाराज सीएम बड़ी कार्रवाई न दें।
रात दिन खुद को मीटिंग में व्यस्त बताने वाली पुलिस के पास फोन पर पांच मिनट भी किसी से बात करने का वक्त नहीं है। कमिश्नरेट लागू होने से पहले वह अटाला कांड रहा हो या फिर ट्रिपल और फोर मर्डर जैसी बड़ी वारदातें, अधिकारी खुलकर जिम्मेदारी लेते हुए सख्त कार्रवाई किए हैं। लोगों का कहना है कि पहली बार ऐसा है जब अधिकारी उमेश मर्डर केस जैसे मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।