प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज में बीएसपी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद उनकी हत्या के मुख्य आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके छोटे भाई पूर्व विधायक अशरफ को बनाया गया था। मामले को लेकर इकलौते गवाह उमेश पाल थे, जो बीएसपी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के करीबी रिश्तेदार थे। मुख्य गवाह बनने के बाद उमेश पाल को लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही थी, जिसकी आशंका खुद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल जता चुकी थी। साथ ही प्रमुख गवाह उमेश पाल ने भी धमकियों के बारे में जिक्र किया था और खुद को जान का खतरा बताया था।

यह है असली कहानी
राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई काफी तीव्र गति से चल रही है। वर्ष 2005 में जब विधायक राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई तो लगभग सभी गवाह एक के बाद एक करके पक्षद्रोही होते चले गए। जिस समय मुकदमे की सुनवाई हो रही थी। उस समय सपा का शासनकाल था। उसके बाद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी कि सपा के शासनकाल में अभियुक्तगण अत्यंत प्रभावी हैं इसलिए ट्रायल पर रोक लगा दी जाये। उच्च न्यायालय ने ट्रायल पर रोक लगा दी थी। जैसे ही बसपा की सरकार वर्ष 2007 में बनी। अतीक अहमद और उसके भाई के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये गए। राजू पाल हत्याकांड के गवाह जो कोर्ट में मुकर गए थे। उन सब ने थाने में एफआईआर लिखवाया कि उनका अपहरण कर लिया गया था और यह कहा गया कि कोर्ट में अगर नहीं मुकरोगे तो जान से मार दिए जाओगे, इसलिए जान के डर से कोर्ट में बयान से मुकरना पड़ा था। राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल समेत कई लोगों ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। एक साल फरार रहने के बाद वर्ष 2008 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार होकर अतीक अहमद को प्रयागराज लाया गया।

ऐसे शुरू हुई दुश्मनी
अतीक अहमद और राजू पाल की कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई इतनी आगे बढ़ गई जहां से पीछे लौटना मुश्किल हो गया था। साल 2004 में फूलपुर लोकसभा सीट से अतीक अहमद ने चुनाव लड़ा था। अतीक चुनाव जीत गए। सांसद चुने जाने के बाद अतीक ने शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। शहर पश्चिमी विधानसभा सीट खाली हो गई। अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। बसपा ने राजू पाल को चुनाव लड़ाया। राजू पाल को जब बसपा ने टिकट दिया तो राजू पाल की अच्छी-खासी हिस्ट्रीशीट थी। शहर पश्चिमी सीट पर अतीक अहमद ने लगातार पांच बार चुनाव जीता था। मगर वर्ष 2004 के मई माह में अशरफ उप चुनाव हार गए। वर्ष के दिसंबर माह में राजू पाल पर दो हमले हुए। 25 जनवरी 2005 को हुए हमले राजू पाल की हत्या हो गई।

हाल में दर्ज तक कराया था मुकदमा
उमेश पाल ने 25 अगस्त 2022 को धूमनगंज थाने में अतीक व उसके गुर्गों के खिलाफ जान से मारने व एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया था। अधिवक्ता उमेश पाल ने पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि शाह उर्फ पीपल गांव की करोड़ों की जमीन अतीक के करीबियों ने कब्जा करने की कोशिश की। जब वह उस जमीन की चौहद्दी कराने गए तो उन्हें रोक दिया गया। आरोप था कि अतीक के करीबी असलहा लेकर पहुंचे और जमीन कब्जा करने लगे। विरोध पर उन्हें असलहा सटा दिया। आरोपियों ने कहा कि अतीक भाई का फोन आया है। एक करोड़ रुपये दो वरना जमीन को भूल जाओ। फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के जरिए अतीक के लोग कब्जा करना चाहते है। इस मामले में अतीक अहमद, खालिद जफर मो। मुस्लिम, दिलीप कुशवाहा, अबू साद को नामजद करते हुये छह अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।