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सिलेंडर एक टन लिक्विड आक्सीजन से तैयार होता है

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टैंकर शनिवार को प्रयागराज को मिली लिक्विड आक्सीजन

शहर में आक्सीजन की किल्लत से परेशान हुए मरीज

खाली सिलेंडर लेकर काट रहे हैं बाजार का चक्कर

नैनी प्लांट पर भीड़ को देखकर पुलिस को करना पड़ रही लाठीचार्ज

शहर में आक्सीजन की किल्लत से मरीज परेशान हो रहे हैं। हालात यह हैं कि एसआरएन अस्पताल में एक सिलेंडर पर दो मरीजों को रखा जा रहा है। वहीं सिटी के कई अस्पतालों में मरीजों को मजबूरी में आक्सीजन कंसंट्रेटर का यूज किया जा रहा है। इससे मरीजों को पूरा आराम नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मांग के हिसाब से सप्लाई होने पर सभी मरीजों को सुविधा प्रदान की जा सकती है। तब तक लोगों को इंतजार करना होगा।

केवल बेड बढ़ रहे, आक्सीजन नहीं

प्रशासन द्वारा मरीजों की संख्या को देखते हुए रोजाना नए अस्पतालों को खोला जा रहा है लेकिन इन अस्पतालों को आक्सीजन नहीं मिल पा रही है। अस्पताल संचालकों का कहना है कि जब आक्सीजन नहीं मिलेगी, मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सकेगा। आंकड़ों के अनुसार शासन ने रोजाना 50 नए बेड बढ़ाने का आदेश दिया है लेकिन शहर में आक्सीजन की सप्लाई जस की तस बनी हुई है।

फुल मोड में है प्रोडक्शन

शहर में आक्सीजन का प्रोडक्शन इस समय फुल मोड में है।

आधा दर्जन प्लांट से रोजाना 2800 सिलेंडर बनाए जा रहे हैं। लेकिन यह फिर भी यह कम पड़ रहे हैं।

ऐसे में अस्पतालों ने यहां आक्सीजन कंसंट्रेटर लगा रखा है। इससे मरीजों को आक्सीजन सप्लाई दी जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग का कहना हे कि प्लांट को अगर लिक्विड आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिलने लगे तो इससे नए सिलेंडर बनने लगेंगे।

बता दें कि एक टन लिक्विड आक्सीजन से सौ सिलेंडर तैयार होते हैं। शनिवार को प्रयागराज को एक टैंकर लिक्विड आक्सीजन मिली है।

मंगलवार से शुरू होगा नया प्लांट

आक्सीजन की सप्लाई की किल्लत को देखते हुए विधायक हर्ष बाजपेई का नया प्लांट दो दिन में शुरू होने जा रहा है। इससे रोजाना 400 नए सिलेंडर तैयार हो जाएंगे। इससे किल्लत दूर होगी। बताया जा रहा है कि इस समय अस्पतालों में बेड नहीं मिलने से सैकड़ों की संख्या मरीज घरों पर क्वारंटीन हैं। इनको भी आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इनके परिजन सुबह से शाम तक खाली सिलेंडर लेकर प्लांट का चक्कर काट रहे हैं। नैनी स्थित प्लांट में पुलिस को भीड़ को हटाने के लिए लाठी तक चलानी पड़ रही है।

आखिर क्यों है इतनी क्राइसिस

डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना मामलों में केवल पांच से सात फीसदी मामलों में ही आक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन इसका उल्टा हो रहा है। लोग अपने मन से आक्सीजन सिलेंडर लगा रहे हैं। वह डॉक्टर से सलाह भी नहीं ले रहे हैं। देखने में आया है कि घर पर सिलेंडर लगाने वालों को फायदा नहीं हो रहा है। उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है। इसलिए बिना सलाह आक्सीजन का स्वयं यूज नहीं करना चाहिए।

आक्सीजन की क्राइिसस बनी हुई है, लेकिन लोगों ने भी पैनिक क्रिएट किया हुआ है। बिना सलाह वह धड़ल्ले से आक्सीजन का यूज कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि जल्द ही क्राइसिस को कम किया जाए। हम प्लांट पर लिक्विड आक्सीजन मंगाने की कोशिश कर रहे हैं।

डॉ। वीके मिश्रा,

एसीएमओ व नोडल आक्सीजन सप्लाई स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज