प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पुलिस के मुताबिक करेली के जलालपुर भर्ती निवासी 70 वर्षीय बसंत लाल भोर में सोकर उठा था। कुछ ही देर बाद वह फिर से बिस्तर पर लेट गया। सुबह घर वाले उठे और बसंत के कमरे में पहुंचे तो पता चला कि वह फांसी लगाकर जान दे चुके हैं। कमरे में उनकी बॉडी फांसी के फंदे से लटक रही थी। यह देखकर परिवार में कोहराम मच गया। बात मालूम चली तो मौके पर पहुंची करेली पुलिस छानबीन की। इसके बाद बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया। पुलिस की मानें तो परिजनों ने बताया कि वह बीमारी के चलते काफी परेशान था। इसी तरह सिविल लाइंस एरिया स्थित हाईकोर्ट के पास टीनशेड में अधेड़ की बॉडी फांसी के फंदे से लटकती हुई मिली। छानबीन में पुलिस को पता चला कि उसका नाम राजू है। काफी कोशिश के बावजूद उसके घर का एड्रेस पुलिस को नहीं मिल सका। पुलिस द्वारा बॉडी को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया। बताते चलें कि शनिवार से रविवार सुबह तक अलग-अलग थाना क्षेत्रों में चार लोगों ने सुसाइड किया था। इस तरह 36 घंटे में छह लोगों द्वारा सुसाइड किया।

पिछले 24 घंटे में यहां हुईं घटनाएं
शनिवार रात कर्नलगंज एरिया के न्यू कटरा आरबीटीआई परिसर में 28 वर्षीय रेखा बाल्मीकि ने जान दे दी थी
रविवार सुबह नैनी के अरैल गांव में 22 वर्षीय प्रतियोगी छात्र प्रदुम्न ने किराए के रूम में फांसी लगा लिया। वह मीरजापुर का रहने वाला था।
मऊआइमा में रविवार को पूराकाजी गांव निवासी सुभाष की 30 वर्षीय पत्नी रीना उर्फ निब्बी ने घर में सुसाइड किया था
कोरांव के शहीद नगर मोहल्ले में हुई थी। यहां कपासी खुर्द के 26 वर्षीय संदीप उर्फ ने जान दी थी

सुसाइड के पूर्व दिखते हैं लक्षण
सुसाइड से लोगों को बचाने के लिए सिर्फ एक ही जरिया है वह उनके परिजन
सुसाइड जैसी घटनाएं क्षणिक गुस्से में तत्काल करने वाले बिरले केस होते हैं
सुसाइड के पहले कोई बात व्यक्ति के दिमाग में जरूर चल रही होती है
यह बात कुछ भी हो सकती है, दिमाग में ऐसी बातें आते ही लक्षण दिखने लगते हैं
घटना तभी होती है जब उनमें आए लक्षण को दोस्त व परिजन इग्नोर करते हैं
इन लक्षणों को समझने के लिए ऐसे व्यक्तियों को थोड़ा समय देना पड़ता है
उनके लहजे और बॉडी लैंग्वेज को भी गंभीरता से समझने और देखना चाहिए
कोई गुमशुम हो जाय व हर बात पर गुस्सा करे, एकांत खोजे तो खतरा समझ लें
ऐसे लक्षण व्यक्ति में आने दिखे उसके मन की बात जानने की कोशिश करें
परिजन व दोस्त उसे समय दें और उसके मुताबिक बात कर माइंड वाश व चेंज करें
संभव हो तो किसी तरह मनोचिकित्सक के पास ले जाएं और काउंसलिंग कराएं

आज लोगों के पास समय कम है। वह अपनों को न तो वक्त दे पा रहे और न ही उनकी समस्या सुन रहे। यही वह दशा है जब व्यक्ति खुद को अकेला समझने लगता है। ऐसी स्थिति उसके दिमाग में सुसाइड जैसी बातों को जन्म दे देती है।
डॉ। राकेश पासवान मनोचिकित्सक