काल्विन की ओपीडी खुलते ही मरीजों की बढ़ने लगी तादाद, जल्द शुरू होगा ऑपरेशन

PRAYAGRAJ: काल्विन हॉस्पिटल में शुरू हुई ओपीडी कराहते मरीजों के लिए बड़ी राहत बन गई। कोविड संक्रमण व लॉकडाउन के चलते बंद ओपीडी के चालू होते ही यहां मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। शुक्रवार को यहां ओपीडी में करीब 550 मरीज पहुंचे थे। मरीजों के लिए खुशी की बात यह है कि जल्द ही काल्विन हॉस्पिटल में ऑपरेशन वर्क भी शुरू किए जाएंगे। कोरोना कॉल और लॉकडाउन की वजह से ओपीडी के साथ यहां ऑपरेशन कार्य भी बंद कर दिए गए थे। चूंकि अभी कोरोना का खतरा कम नहीं हुआ है। इसलिए यहां उपचार के सारे काम कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही किए जा रहे हैं।

कोरोना जांच बाद ही होंगे ऑपरेशन

बढ़ते कोविड मरीजों को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया था। बावजूद इसके संक्रमण घटने का काम नहीं ले रहा था। स्थिति को देखते हुए हॉस्पिटल्स की ओपीडी व ऑपरेशन वर्क भी बंद कर दिए गए थे। मरीजों के लिए खुशखबरी यह है कि जल्द ही यहां ऑपरेशन वर्क भी शुरू हो जाएगा। ऑपरेशन का कार्य कोरोना सहित अन्य तमाम जरूरी जांच के बाद ही किए जाएंगे। हॉस्पिटल में इलाज के लिए ओपीडी हो या फिर वार्ड, बगैर मास्क व थर्मल स्केनिंग के प्रवेश नहीं मिलेंगे। यह व्यवस्था सख्ती के साथ हॉस्पिटल में लागू किए जा रहे हैं।

इस तरह काटे मुसीबत भरे दिन

ईश्वर न करे कोरोना व लॉकडाउन जैसे दिन फिर कभी आए। सारे हॉस्पिटल ओपीडी बंद कर रखे थे। घर में बच्चे की तबीयत खराब हुई थी। बड़ी मुश्किल से एक जान पहचान के लोग थे। उनके कहने पर एक क्लिन के डॉक्टर ने दवाएं वाट्सएप की थी। वाट्सएप कॉलिंग के जरिए वह इलाज कर रहे थे। उन्हें का नंबर एक परिचित के जरिए मिला था। जरूरत पर उन्हीं से संपर्क करते थे।

सीमा केसरवानी, बलुआघाट

सरकारी हॉस्पिटल की ओपीडी बंद थी तो प्राइवेट में भला कौन देखता। भगवान भरोसे जीवन चल रहा था। मेरे गांव के एक डॉक्टर हैं। उन्हीं का नंबर लिए थे। घर या परिचित में किसी को तकलीफ होने पर उन्हीं से बात करके दवाएं ले लेते थे। चूंकि परिचित के थे तो रात में भी वह फोन उठा लेते थे। इस लिए हमें उनसे बड़ी मदद मिल गई थी। कई परिचित को भी उन्हें बीमारी बता कर दवा दिलवाए थे।

उमेश झा, करेली लालकॉलोनी

लॉकडाउन में मेरी कोशिश थी कि खानपान सही और नियमित रखा जाय। ताकि बीमारियां हो ही नहीं। बच्चों पर पूरा परिवार मिलकर विशेष ध्यान देते थे। इस लिए हमें बहुत डॉक्टर की जरूरत नहीं पड़ी थी। काढ़ा सुबह शाम हर कोई घर में पिता था। एक होम्योपैथ के डॉक्टर मोहल्ले में हैं। जिसे जरूरत होती थी उन्हीं से मदद ले लेता था। एक बार पेट में दर्द हुआ था। उन्हीं से दवा लिए थे और आराम हो गया था।

इफ्तेखार अली, चौक रानीमंडी

उस समय हमें फीवर आ गया था। घर वालों के साथ हम भी परेशान हो गए थे। ईश्वर की कृपा रही कि घरेलू उपचार से काफी आराम मिल गया था। फिर वही उपचार तीन चार दिनों तक किए थे। बुखार ठीक हो गया था। करते भी क्या? लॉकडाउन में कहीं कोई डॉक्टर इलाज तो कर नहीं रहे थे। सरकारी हॉस्पिटल में भी ओपीडी बंद ही चल रही थी। जाते भी कहां। इस लिए कोशिश रही कि घरेलू नुख्शे से काम चलाया जाय।

सुशील कुमार, नैनी

कोविड कॉल में ओपीडी चल भी रही होती तो जाना खतरे से खाली नहीं था। मेरा पूरा परिवार इस मुसीबत के वक्त सूझबूझ का परिचय दिया। हम सभी आए दिन फिट रहने के अखबारों में छप रहे तरीकों को देखकर उस पर अमल किया करते थे। कई हेल्प लाइन नंबर आदि प्रकाशित थे जिसे नोट कर रखे थे। हालांकि ईश्वर की कृपा रही कि इनमें से किसी की भी कोई जरूरत नहीं पड़ी।

अरुण धीर, हरवारा

अभी ओपीडी शुरू हुई है। पहले दिन से ही ओपीडी में मरीजों की काफी भीड़ रही। सबसे ज्यादा पेशेंट सीजनल बीमारियों के रहे। जल्द ही हॉस्पिटल में ऑपरेशन भी शुरू कर दिए जाएंगे।

डॉ। सुषमा श्रीवास्तव, एसआईसी काल्विन हॉस्पिटल