एक एकाउंट खोलवाने वाले एजेंट को जामताड़ा से मिलते हैं पांच हजार रुपये कमीशन

पैसा एकाउंट से ट्रांसफर होने पर अलग मिलता है कमीशन

आनलाइन लेन-देन के लिए बैंक एकाउंट खोलवाने, आनलाइन पेमेंट की सुविधा देने वाले किसी प्लेटफॉर्म पर एकाउंट खोलवाने के लिए कोई आपको मोटीवेट कर रहा है तो आप सावधान हो जाइए। थोड़ी क्वैरी खुद भी कर लीजिए। कम से कम उस सख्त का डिटेल अपने पास जरूर रखिये तो खाता खुलवाने के लिए आपसे आग्रह कर रहा हो। एक्युअली इसमें तमाम लोग फ्रॉड एक्टिविटी में इनवाल्व हैं। ये पूरा डिटेल तो आपका इस्तेमाल करते हैं लेकिन एकाउंट के साथ लिंक फोन नंबर जामताड़ा में बैठे अपने आका का यूज करते हैं। एकाउंट खोलवाने वाले को कमीशन के तौर पर पांच हजार रुपये मिलते हैं। इसके बाद एकाउंट से कोई ट्रांजेक्शन होने पर बोनस अलग मिलता है। यह सनसनीखेज खुलासा मंगलवार को पुलिस ने किया। दो शातिर पकड़े गये। इनके पास से दस लाख लोगों की एकाउंट डिटेल मिली है। पुलिस भी इंवेस्टिगेशन में मिली जानकारी से एलर्ट हो उठी है। उसने केस की जांच का दायरा बढ़ा दिया है।

इस तरह निकालते थे रुपये

साइबर शातिर विभिन्न कंपनियों के बिजनेस पार्टनर, रिटेलर, डिस्ट्रीब्यूटर के नाम का इस्तेमाल करते थे

ऑनलाइन पेमेंट बैंक एप गो पेमेंट, स्पाइसमनी, एपीएस, सीएसपी, जयश्री गूगल पे, पेटीएम का इस्तेमाल रुपयों को इधर-उधर करने के लिए करते थे

वे पब्लिक को एकाउंट ब्लॉक का मैसेज सेंड करते थे। इसे एक्टिवेट करने के लिए दिये गये लिंक पर क्लिक करने के लिए कहते थे

लिंक पर क्लिक करके आनलाइन होते ही वे वेरीफिकेशन के लिए ओटीपी भेजने की बात करते थे

ओटीपी मिलते ही वे अपना काम कर जाते थे। पैसा फेक आईडी पर खोले गए बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे

खाते में पैसा आने के बाद एटीएम का इस्तेमाल करके वह कैश निकाल लेते थे

जहां आनलाइन मनी ट्रांसफर नहीं हो पाती थी वहां शापिंग करते वे मनी खर्च करते थे

आनलाइन शापिंग का सामान ऐसे स्थान पर मंगवाया जाता था जहां से शातिरों का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता था

इस ग्रुप के साथ जामताड़ा झारखंड का धर्मेंद्र उर्फ बाबू भाई और उसका भाई वाराणसी निवासी योगेंद्र नारायण सिंह भी जुड़े हुए हैं

इनका साफ्ट टारगेट सीनियर सिटीजन होते थे जिनका डिटेल इन्हें बैंक डेटा बेस से मिलता था

काम हो जाने के बाद फेक कस्टमर केयर को ये बंद कर देते थे और बैंक मैनेजर या ट्रेजरी ऑफिसर बनकर कॉल करके लोगों को अपना शिकार बनाते थे।

नागालैंड से देवरिया तक ठगी

शातिरों ने कबूल किया कि उन्होंने जून महीने में करोड़ों रुपए की ठगी विभिन्न प्रांतों के लोगों से की है। नागालैंड से 08 लाख, उत्तर प्रदेश के देवरिया से 04 लाख, इटावा से 16 लाख रुपए की ठगी को उन्होंने कुबूल भी किया। पुलिस की कार्रवाई के बाद इटावा से ठगे गए एक व्यक्ति के खाते में दस लाख रुपये वापस आ गए थे। प्रतापगढ़ के व्यक्ति से दो लाख रुपये ठगी कर गैंग के गुर्गो ने खाते में ट्रांसफर करवाए थे। धीरज पांडे के लैपटॉप व मोबाइल में करीब 10 लाख लोगों के बैंक अकाउंट का डेटाबेस सेव मिला जो कई प्रदेशों का है। लैपटॉप में सैकड़ों लोगों की आईडी, पैन कार्ड, आधार कार्ड फोटो भी सेव मिला।

इस टीम ने किया खुलासा

साइबर ठगी का यह मामला सामने आने के बाद गिरफ्तारी के लिए डीआईजी/ एसएसपी ने पूरी टीम लगा दी थी। टीम में खुल्दाबाद इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह यादव व कांस्टेबल राजेश कुमार, करेली इंस्पेक्टर बृजेश सिंह व कांस्टेबल मिथिलेश यादव, धर्मेंद्र यादव तथा महिला कांस्टेबल बबिता चौधरी, नारकोटिक्स सेल के एसआई आशीष कुमार व कांस्टेबल संतोष सिंह व साइबर सेल के कांस्टेबल पीयूष बाजपेई एवं नीरज सिंह शामिल रहे।

साइबर ठगी से बचने के लिए सावधानी सबसे बेहतर तरीका है। किसी भी लिंक या मैसेज को ओपन ही न करें। उसमें लिखे मैसेज को लिंक पर क्लिक करने के बजाय अपने स्तर से वेरीफाई करें। कोई दिक्कत है अपने बैंक की ब्रांच से सम्पर्क करें। लिंक पर क्लिक करके रिस्पांस करने पर हमेशा खतरा रहेगा।

सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी

डीआईजी/एसएसपी

गिरफ्तार किए गए शातिर

धीरज पांडेय निवासी भिट बिरौरा का पूरा थाना फतनपुर जिला प्रतापगढ़

राहुल पाण्डेय पुत्र हनुमान प्रसाद पाण्डेय निवासी दरियापुर पावर हाउस थाना रानीगंज प्रतापगढ़

बरामदगी

12 सिम कार्ड

01 लैपटॉप

02 मोबाइल फोन

83 हजार रुपये नगद

01 पेन ड्राइव

02 कार्ड रीडर

03 फॉर्म भारतीय कंपनियों के यूजर इनफार्मेशन के

08 फॉर्म शाही-पे कंपनी के

06 कूटरचित आधार कार्ड की छायाप्रति

04 पैन कार्ड की छाया प्रति

02 सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के प्रमाण पत्र

02 सíटफिकेट ऑफ बिजनेस कॅरेस्पॉन्डेंस 11 आधार कार्ड

(गिरफ्तारी और बरामदगी के बाद मुकदमा अपराध संख्या 517/2021 में आईपीसी की धारा 419/467/468/471बढ़ाई गयी है)

इतना ध्यान जरूर दें

कोई प्राइवेट आदमी एकाउंट खोलने के लिए एजेंट बनकर आपसे मिलता है तो पहला उसका पूरा डिटेल जरूर लें

ऐसे लोगों के टारगेट बुजुर्ग या अधेड़ उम्र के लोग होते हैं तो किसी को भी अपना आधार, पैन या एड्रेस प्रूफ न दें

खुद जाकर बैंक में चेक करें कि आपका खाता खोला जा रहा है या नहीं। सिर्फ एजेंट पर डिपेंड न रहें

एकाउंट खोलने के फॉर्म पर साइन कर दिया है तो यह जरूर देखें कि उस पर आपका ही मोबाइल नंबर मेंशन है या किसी और का

किसी दूसरे का मोबाइल नंबर अंकित है तो खाता खोलवाने से साफ इंकार कर दें

ऐसा न करने पर बिना कुछ किये भी आप गुनाहगार बन सकते हैं