प्रयागराज ब्यूरो । सत्रह हजार 771 रुपये की नई टीवी खराब हो गई। रुपये देकर एक्सटेंशन वारंटी लेने के बाद भी दुकानदार टीवी खराब होने पर ठीक नहीं किया। बार-बार कहने पर टीवी बनाने के नाम पर जमा करा ली गई। इसके बाद कई साल बीत गए मगर खराब टीवी भी वापस नहीं की गई। टीवी के लिए ग्राहक दुकान का चक्कर काटकर थक गया। हर बार दुकान पर नए बहाने को सुनकर ग्राहक को खाली हाथ लौटना पड़ा। दुकानदार उसे टीवी के बजाय टेंशन देता रहा। आजिज आकर वह जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद यानी मुकदमा दाखिल कर दिया। इस केस की सुनवाई पूरे आठ साल तक चली। आठ वर्ष के बाद फैसला ग्राहक के पक्ष में आया। यह सब किसके साथ और कैसे हुआ? हम बताएं, इसके पहले आप के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर यह इंसाफ किसके दम पर मिला। दरअसल टीवी खरीद से लेकर वारंटी आदि के कागजात पीडि़त उपभोक्ता के पास मौजूद थे। यही वह डाक्यूमेंट थे जिसके आधार पर दुकानदार व कंपनी द्वारा तोड़े गए शर्त की बात साबित हुई।

खरीदें सामान पर रसीद जरूर लें
केस दायर करने वाले अतुल कमार कचहरी के पास पुराना कटरा में रहते हैं। उन्होंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग को खुद के साथ हुई चीटिंग का विस्तृत जानकारी लिखित रूप से दी। बताया कि 15 अगस्त 2014 को उन्होंने 17 हजार 771 रुपये की एलईडी टीवी खरीदने का प्लान बनाया। प्लान के मुताबिक वह सिविल लाइंस सरदार पटेल मार्ग स्थित प्रबंधक रिलायंस रिटेल लिमिटेड के पास पहुंचे। यहां उक्त पैसा देकर वे टीवी खरीद लिए। नई टीवी खराब होने पर एक वर्ष की वारंटी दी गई। बताया गया कि यदि 2096 रुपये जमा करेंगे तो स्कीम के तहत दो साल की वारंटी बढ़ जाएगी। वह 2096 रुपये रुपये जमा करके एक्स्टेंशन वारंटी स्कीम ले लिए। इस तरह टीवी की वारंटी 15 अगस्त 2017 तक मान्य बताई गई। वह नई टीवी लेकर घर आए और लगा दिए। कुछ दिन चलने के बीच टीवी बीच-बीच में खराब होने लगी। इस बात की खबर वह दुकानदार को दिए। वह छोटी-मोटी खराबी बताकर उसे सही करके चलाता रहा पर मूल समस्या ठीक नहीं कर पाया। जब वे फिर टीवी खराब होने की बात बताया तो दुकानदार उसे दुरुस्त कराने के नाम पर अपने यहां टीवी जमा करा लिया। टीवी जमा करने के बाद वे ठीक हुई या नहीं पता करने पहुंचे तो बताया गया कि मेनुफैक्चरिंग डिफेक्ट के चलते समस्या आई है। जिसे ठीक नहीं किया सकता क्योंकि पैनल ही खराब है नया लगाना होगा। कंपनी में पैनल की डिमांड भेजी गई है।
दुकानदार का काटता रहा चक्कर
उपभोक्ता ने कहा कि उसे न तो उसी कीमत में दूसरी टीवी दी गई और न ही उस टीवी को सही करके दिया गया। जमा कराई गई टीवी दुकानदार वापस नहीं किया। वह लगातार दुकानदार के पास चक्कर काटता रहा। हर बार उसे निराश होकर खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। यह स्थिति तब थी जब समस्या वारंटी डेट के अंदर की आई। दुकानदार व कंपनी की यह हरकत सेवा में कमी व उपभोक्ताओं से छल वाला है। लिहाजा उसे इंसाफ दिलाया जाय। इस केस में 19 नवंबर 2024 को आयोग के द्वारा निर्णय उपभोक्ता के पक्ष में सुनाया गया।


नई टीवी दें या ब्याज सहित पूरा पैसा
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष व सदस्य प्रकाश चंद्र त्रिपाठी द्वारा सुनाया गया फैसला दुकानदार व कंपनी को झटका देने वाला रहा। आयोग ने कहा कि निर्णय की तिथि से दो माह के अंदर पीडि़त को खराब एलईडी टीवी यदि परिवादी यानी पीडि़त के पास हो तो लेकर उसी रेट की दूसरी नई एलईडी टीवी उसे दी जाय। यह भी आदेश दिया गया है कि यदि विपक्षी यानी आरोपित दुकानदार व कंपनी उसे नई टीवी नहीं देती तो उसका पूरा पैसा 17 हजार 771 रुपये आठ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित मुकदमा दाखिल करने की स्थिति से भुगतान करे। साथ ही उपभोक्ता को मानसिक एवं खारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में पांच हजार रुपये और वाद यानी केस खर्च के रूप में दो हजार रुपये भी दें।