- कारगिल विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों ने शहीद साथियों को किया याद
- वर्चुअल परिचर्चा में याद की कारगिल वार की परिस्थितियां
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PRAYAGRAJ: वीर सेनानी पूर्व सैनिक कल्याण समिति प्रयागराज की ओर से सोमवार को विजय दिवस मनाया गया। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर पूर्व सैनिकों ने कोविड 19 प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए वर्चुअल परिचर्चा का आयोजन भी किया। इस मौके पर चीफ गेस्ट पूर्व सुबेदार थल सेना और कारगिल युद्ध में शामिल रहे श्याम सुंदर सिंह पटेल रहे। अध्यक्षता पूर्व सूबेदार मेजर पी यन ओझा कारगिल युद्ध विजेता ने किया। इस मौके पर सबसे पहले कारगिल वार में शहीद हुए नायक लालमणि यादव के चित्र पर तथा कारगिल वीर शहीद हवलदार कंचन सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें सभी उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अíपत कर नमन किया। समिति के संरक्षक व चीफ गेस्ट श्याम सुंदर सिंह पटेल ने कहा कि कारगिल वीर शहीदों को शत-शत नमन करते हुए आप सभी को विजय दिवस की हाíदक शुभकामनाएं देता हूं।
समुद्र तल से 12000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा था युद्ध
कारगिल वार को याद करते हुए श्याम सुंदर पटेल ने कहा कि कारगिल का युद्ध समुद्र तल से 12000 फीट से लेकर 18000 फिट पर लड़ा गया था। वॉर के दौरान कई ऐसे एरिया थे। जहां सेना के जवान 24000 फीट तक हिमालय की पहाडि़यों पर माइनस 40 डिग्री टेंपरेचर देश की रक्षा के लिए संघर्ष किए थे। इन स्थानों पर आक्सीजन की कमी थी, लेकिन सेना के वीर जवान अपने जान की परवाह किए बगैर ही देश सेवा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटे। कारगिल युद्ध 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चला। 26 जुलाई को भारतीय सेना ने विजय हासिल की। उसके बाद से ही पूरा देश इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाता आ रहा है।
बेटों के साथ युद्ध में शामिल हुए थे मेयर ओझा
परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे कारगिल युद्ध विजेता पूर्व सूबेदार मेजर पी एन ओझा ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि मैं अपने दो बेटों के साथ युद्ध में शामिल था। हम तीनों अलग-अलग क्षेत्र की पोस्ट पर तैनात थे। युद्ध के दौरान वह लगातार अपने बेटों को साहस दिलाते थे कि घबराना नहीं, बहादुरी से युद्ध जीतना है। जिसकी सफलता विजय दिवस के रूप में आज हम मना रहे हैं। एचएफओ राम लखन प्रजापति कारगिल युद्ध विजेता ने कहा टाइगर हिल में वायु सेना के मिग 21, मिग 29 से बहुत बम बरसाए। तब जाकर हम विजय हासिल कर सके। उन दिनों के बम धमाकों की आवाज आज भी हम नहीं भूल पाते। परिचर्चा में श्याम सुंदर सिंह पटेल, राम लखन प्रजापति, पी एन ओझा, बी एन सिंह, लल्लन मिश्रा, रत्नेश द्विवेदी, आई सी तिवारी, बच्चालाल प्रजापति,जी यादव,जी सी पांडेय,यस एन मिश्रा, भगवान प्रसाद उपाध्याय आदि शामिल रहे। धन्यवाद ज्ञापन श्याम सुंदर सिंह पटेल ने किया।