गंगा में लगातार गिर रहा है 32 नालों का पानी
आसान नही होगा एनजीटी के फैसलों का पालन
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ALLAHABAD: एनजीटी ने गंगा में गंदगी डालने वालों पर जुर्माने का प्रावधान तो कर दिया लेकिन अब भी बड़ा सवाल यह है कि क्या गंगा में गंदगी जाना रुकेगी। इलाहाबाद में हालात खराब हैं तो इसलिए कि पब्लिक आस्था के नाम पर गंदगी लेकर जाती है और संगम किनारे के दुकानदारों पर कोई रोक नहीं है। नाले भी सीधे गंगा को मैली कर रहे हैं।
2020 तक गंगा होती रहेंगी मैली
इलाहाबाद में कुल 64 नाले ऐसे हैं जो सीधे गंगा में गिर रहे थे
इनमें से 32 को टैप किया जा चुका है
32 नालों को टैप किया जाना अब भी बाकी है
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत हाल ही केंद्र सरकार की एक कमेटी ने रिव्यू किया गया था
इसके बाद गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने 2019 तक 20 और 2020 तक बाकी बचे 12 नालों को टैप करने का वादा किया है। तब तक गंगा में गंदगी ऐसे ही गिरती रहेगी।
किस-किस पर लगाएंगे जुर्माना
एनजीटी के फैसले में गंगा किनारे कचरा फैलाने वालों पर पचास हजार रुपए जुर्माना करने का नियम बनाया गया है
इलाहाबाद में इस फैसले का पालन कराना आसान नही होगा
यहां गंगा के तट पर ही हर साल माघ मेला लगता है
इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां एक महीने तक प्रवास करते हैं
माघ मेले के दौरान भारी मात्रा में कचरा गंगा किनारे फैला रहता है
गंगा किनारे बस चुका है शहर
कई संस्थाओं का कचरा आज भी खुलेआम गंगा किनारे डंप किया
पहले से बना है नो डेवलपमेंट जोन का नियम
ट्रिब्यूनल का कहना है कि हरिद्वार से उन्नाव के बीच 500 किमी के दायरे में गंगा से सौ मीटर के रेडियस में कोई निर्माण नही कराया जाएगा। इलाहाबाद में पहले से हाईकोर्ट ने पांच सौ मीटर का नियम बना रखा है। गंगा से पांच सौ मीटर रेडियस में निर्माण पर रोक के बावजूद धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है। एडीए चाहकर भी कार्रवाई नही कर सकता क्योंकि कछार में हुए निर्माण को लेकर राजकीय आस्थान की जमीनों का मामला कोर्ट में लंबित है। लेकिन, नए निर्माण अभी भी जारी हैं।
इसीलिए हर साल आती है बाढ़
वर्तमान में धूमनगंज के मीरापट्टी एरिया बाढ़ की चपेट में है। महज तीन दिन की बारिश में यह इलाका जलमग्न हो गया है। कारण साफ है। यहां से गंगा नजदीक हैं और इलाके में पानी निकासी का स्थाई समाधान नही है। अस्थाई तौर पर बनाया गया तालाब बारिश में ओवर फ्लो हो गया और पानी नालों के जरिए घरों में चला गया। यही हाल सलोरी, बघाड़ा, ओम गायत्री नगर समेत दूसरे गंगा किनारे बसे इलाकों का है। यहां पर प्रतिबंधित एरिया में निर्माण होने से हर साल बाढ़ आती है।
गंगा सफाई को लेकर किए गए फैसलों का पालन कराया जाएगा। हमारी कोशिश पहले से गंगा को स्वच्छ रखने की है। इसके लिए नियमों का पालन कराया जा रहा है।
डॉ। आशीष कुमार गोयल,
कमिश्नर
64 नालों में 32 टैप हो चुके हैं। 32 को 2020 तक गंगा में गिरने से रोक दिया जाएगा। इसकी प्लानिंग तैयार हो चुकी है और नमामि गंगे के तहत रणनीति का कार्यान्वयन कराया जा रहा है।
जेपी मणि,
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई
गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए बिल्कुल सही कदम है। अगर नियम पर अच्छे से अमल किया जाएगा तो प्रदूषण रोकने का यह कारगर तरीका साबित होगा।
सोहित मिश्रा
नियम तो अच्छा है लेकिन यह कितने दिन फॉलो किया जाएगा और कौन गंदगी फैलानों वालों को पकड़ेगा। यह बड़ा सवाल है। इससे बेहतर गंगा किनारे कोई सेप्रेट कंपोस्ट बनाकर उसमे विसर्जन की स्वीकृति दी जाए।
विभूती सिंह राजपूत
यह इतना आसान नही है। कौन गंदगी फैलाने वालों की निगरानी करेगा। यह बहुत मुश्किल है। गवर्नमेंट तो वैसे भी दूसरों पर एक्शन लेने से बचती रहती है।
भारतेंद्र त्रिपाठी
फैसले का पालन होना चाहिए। बहुत से फैसले बने हैं लेकिन इनका कार्यान्वयन नही होता है। प्रशासन को सख्ती से लागू कराना होगा।
नरेंद्र गिरि,
अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
पचास हजार नहीं एनजीटी को एक लाख का जुर्माना लगाना चाहिए। लोगों का डर खत्म हो चुका है और अधिकारी भी नियमों को लेकर एक्टिव नही हैं।
मधु चकहा,
राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा
पूरे संगम एरिया में सरकार को सीसीटीवी कैमरा लगाना चाहिए। इससे गंदगी करने वालों की पहचान होगी।
तीर्थराज पांडेय,
संयोजक, प्रयागराज सेवा समिति
सरकार को इस फैसले का कार्यान्वयन सख्ती से कराना होगा। प्रशासनिक अधिकारियों को भी ऐसे लोगों ाके चिंहित करना होगा जो गंगा में गंदगी फैलाने के जिम्मेदार हैं।
आनंद गिरि, योग गुरु