- ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी की अस्थियां संगम में विसर्जित
prayagraj@inext.co.in
PRAYAGRAJ: ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी की अस्थियां गुरुवार को त्रिवेणी संगम में विसर्जित की गईं। इस मौके पर ब्रह्माकुमारीज की क्षेत्रीय संचालिका मनोरमा दीदी, दारागंज केन्द्र प्रभारी कमल दीदी, बदायूं एसपी सिटी प्रवीण चौहान, बांदा जनपद के ज्वाइंट डेवलपमेंट कमिश्नर रमेश चंद्र पांडे, राजस्थान के लेबर आयुक्त आर यस वर्मा तथा ब्रह्माकुमारीज से जुडे तमाम भाई बहने संगम तट पर मौजूद रहे। कार्यक्रम में मास्क लगाने सहित कोविड महामारी से जुड़ी सभी गाइड लाइन का पालन किया गया। इस मौके पर दादी जी की अस्थियों को माउंट आबू से लेकर ब्रह्माकुमार राघव भाई, विजय भाई और रवि भाई प्रयागराज पहुंचे। जहां उन्हें संगम में प्रवाहित किया गया।
दादी के जीवन पर डाला प्रकाश
क्षेत्रीय संचालिका मनोरमा दीदी ने कहा कि कबीरदास जी ने कहा है, वृक्ष कबहु नहि फल भखैं, नदी न संचै नीर, परमारथ के कारने साधुन धरे शरीर यानी वृक्ष कभी अपना फल नहीं खाते, नदी अपना जल नहीं पीती इसी तरह साधु जन भी इस संसार में परमार्थ के लिए ही जीते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण थी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की वर्तमान प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी जी। दादी जी का संपूर्ण जीवन सभी के लिए मानवीय संवेदना का अभूतपूर्व आधार स्तंभ था। आप अंतरमुखता, त्याग, तपस्या, निरहंकारिता जैसे अनेक मानवीय गुणों से श्रृंगारित प्रतिमूíत रही। अपने जीवन द्वारा सर्व आत्माओं को आलोकित करने वाली मां वत्सला की तरह थी दादी हृदयमोहिनी। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।