प्रयागराज (ब्यूरो)। दिन - शुक्रवार
समय - लगभग चार बजे
प्लेटफार्म नंबर - सात और आठ पर खड़ी दो ट्रेनें सारनाथ एक्सप्रेस छपरा टू दुर्ग और दूसरी गोरखपुर लोकमान्य तिलक
इन प्लेटफार्म के अंदर उतरने वाली सीढी पर दो लेडीज रेलवे कर्मचारी पर्ची लेकर खड़ी थी। ट्रेन पकडऩे पहुंच रहे यात्रियों की टिकट चेक कर रही थी। उसी दौरान छह लोग ट्रेन पकडऩे के लिए पहुचे। सभी को दोनों रेलवे कर्मचारी ने रोक लिया। किसी के पास कोई भी टिकट नहीं था। दोनों लेडीज कर्मचारी द्वारा बताया गया कि वेटिंग टिकट बन रहा है। इसको लेकर ट्रेन में सफर कर सकते हैं। इतना सुनते ही सभी खुश हो गए। क्योंकि उनको वेटिंग टिकट काउंटर से सफर करने के लिए नहीं मिल पा रहा था। छह लोगों द्वारा 42 सौ रुपये दिए गए। जिसके बाद उनको एक रसीद पर्ची थमाया गया। जिसपर रिपोर्टर ने सवाल किया तो दोनों ने बताया कि वेटिंग टिकट बनाया जा रहा है। रेलवे ने खुद परमिशन दिया है। यह बोलते हुये पूरी कटी हुई पर्ची की कार्बन कॉपी दिखाया गया ये देखिए कितने लोगों को काटा गया है। पूछताछ में एक लेडिज स्टाफ ने अपना नाम रंजना बताया।रिपोर्टर ने देखी पर्ची तो पूछे सवाल
यात्रियों को थमाई गई पर्ची को रिपोर्टर ने देखा तो वह जुर्माने की पर्ची थी। जिसपर सीआईटी से सवाल किया गया। जिसपर उन्होंने वेटिंग टिकट गलत शब्द इस्तेमाल किये जाने की बात कही। उसके बाद उन्होंने बताया कि ट्रेन में सफर के दौरान कोई बिना टिकट पाया जाता है तो उसका जुर्माना पर्ची काटी जाती है। सवाल अब यह उठता है कि अगर रेलवे खुद जुर्माना पर्ची काट कर ट्रेन में बैठने की परमिशन दे रहा है तो भीड़ बढऩा स्वाभाविक से बात है। जबकि उत्तर प्रदेश में जीका वायरस धीरे-धीरे पैर फैला रहा है। छोटी सी लापरवाही वायरस को दावत देने का काम होगा।
सीट किसी की बैठ कोई रहा था जबरन
एक ट्रेन के बिल्कुल आगे बोगी में कुछ लोग सीट पर बैठने को लेकर बहस कर रहे थे। रिपोर्टर द्वारा जानकारी लेने पर पता चला कि सीट जिनकी है। वह अपनी सीट पर ही नहीं बैठ पा रहे है। सीट से ज्यादा लोग बैठ गए है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा सवाल उठाना भी लाजमी है। अगर बिना सीट वालों को सफर करने की परमिशन दी जाती है तो यह आलम हर ट्रेनों में दिखेगा।