सिविल लाइंस बस स्टैंड पर सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां
रोडवेज कर्मचारी बरत रहे लापरवाही, सीट फुल होने के बावजूद खचाखच भर रहे यात्री
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में यात्रियों से लेकर कर्मचारी नजर आए बेपरवाह
कोरोना संक्रमण के मामले जिले में तेजी से बढ़ रहे हैं। इनके रोकथाम के लिए जहां प्रशासनिक अमला पूरी कवायद कर रहा है वहीं कुछ जगहों पर लोग अभी भी अपनी मनमानी कर रहे हैं। कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की टीम ने सिविल लाइंस स्टैंड से रवाना होने वाली बसों का रियलिटी चेक किया। यहां पर लोग बेपरवाह नजर आएं। सोशल डिटेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही थी। दो-चार लोगों को छोड़कर किसी ने भी मास्क नहीं लगाया था। रोडवेज कर्मचारी भी मास्क लगाना जरूरी नहीं समझे।
एक दूसरे पर टूट पड़ रहे थे लोग
सिविल लाइंस बस स्टैंड से रोजाना आधा दर्जन से अधिक रूटों के लिए बसों का संचालन होता है। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर कोविड-19 गाइडलाइन का कितना पालन हो रहा है। जब दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने दोपहर बसों में भीड़ के साथ पूरे परिसर का रियलिटी चेक किया तो हकीकत सामने आ गई। एक बस आजमगढ़ रूट के लिए रवाना हो रही थी। बसों के रूकते ही लोग एक-दूसरे पर चढ़ गए। सोशल डिस्टेंसिंग की बात छोडि़ए अधिकांश ने मास्क तक नहीं लगाया था। कुछ ने तो मास्क को गले पर लटका हुआ रखा था। वहीं बसों में सीट फुल होने के बावजूद लोग खड़े होकर सफर कर रहे थे। एक दूसरे से लोग सटे हुए थे। यह आलम कानपुर और वाराणसी रूट के बसों का भी था।
बजट को लेकर कर्मचारियों का रोना
बसों में सैेनिटाइजर की व्यवस्था न मिलने पर रोडवेज कर्मचरियों ने बजट न होने की बात बतलाई। उनका कहना है कि बजट नहीं है। रोज सैनिटाइजर और ग्लब्स की मांग की जाती है। लेकिन मिलता नहीं है। कर्मचारी ने बताया कि कोरोना के शुरुआत में हर बसों में एक डिब्बा सैनिटाइजर दिया था। खत्म होने पर तुरंत मिल जाता था। लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म हो गई है।
टिकट बनाते समय हर व्यक्ति के हाथ से नोट छूना पड़ता है। ग्लब्स तक की व्यवस्था नहीं है। पूछने पर अफसर कहते हैं कि बजट नहीं है।
मुंबई में काम करता हूं। ट्रेन पकड़कर प्रयागराज आया हृूं यहां से बस पकड़कर आजमगढ़ घर जा रहा हूं। कोरोना के बढ़ते मामलों और लॉकडाउन की वजह से मुंबई से लौट आया हूं।
रोशन कुमार, आजमगढ़ निवासी
मुंबई में डेली बेस पर काम करता हूं। वहां नाइट कफ्र्यू और लाकडाउन की वजह से काम मिलना बंद हो गया है। वहां मेरे कई दोस्त बीमार चल रहे हैं। इसलिए घर लौट रहा हूं। ट्रेन से प्रयागराज तक पहुंचा हूं।
सुनील, जौनपुर
खुद से सैनिटाइजर का शीशी खरीद कर रखना पड़ रहा है। ड्राइवर से ज्यादा रिक्स कंडक्टर के साथ है। हर व्यक्ति के पास टिकट बनाने व चेक करने के लिए जाना पड़ता है। ग्लब्स तक की व्यवस्था नहीं है।
अरूण कुमार, रोडवेज कंडक्टर
सवारियों को बुलाने के चक्कर में फेस से मास्क हटाना पड़ता है। कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुये घर जाने में डर लगता है। सरकार को कोरोना से बचाव के जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए।
- मुकेश कुमार रोडवेज कंडक्टर
52
सीट वाले बस में 70 से 72 लोग कर रहे सफर
42
सीट वाले बसों में 55 से 60 लोग कर रहे सफर
38
सीट वाले बस में 50 से 55 लोग कर रहे सफर
66
बसों का संचालन हो रहा गोरखपुर रूट पर
52
बसों का संचालन हो रहा वाराणसी रूट पर
21
बसों का संचालन हो रहा अंबेडकर नगर रूट पर
75
बसों का संचालन हो रहा फैजाबाद/सुल्तानपुर रूट पर
61
बसों का संचालन हो रहा लखनऊ रूट पर
91
बसों का संचालन हो रहा कानपुर रूट पर
13
बसों का संचालन हो रहा मंझनपुर/कौशाम्बी
कोविड-19 नियमों का पालन कराने के लिए कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है। किसी भी यात्री के पास मास्क नहीं है तो उसे टोकने के साथ रोकें। अगर किसी भी बस में कोविड-19 नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो उस बस का कंडक्टर और ड्राइवर जिम्मेदार होगा।
सीबी राम वर्मा, एआरएम सिविल लाइंस डिपो