प्रयागराज (ब्यूरो)। मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता के मुताबिक वली उल्ला गाजियाबाद जेल में निरुद्ध है। बताते हैं कि 28 अप्रैल 2001 से सम्बंधित है। जिले के फूलपुर थाने में इंस्पेक्टर रहे नरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा यह मुकदमा लिखा गया था। दर्ज किए गए मुकदमें वली उल्ला, वसी उल्ला व उवैद उल्ला एवं मुस्तकीम शामिल था। इन पर पाकिस्तानी आतंक वादियों से मिलकर देश के खिलाफ साजिश रचने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। पाकिस्तानी आतंक जैस ए मोहम्मद से मिलकर इनके जरिए भारत सरकार से युद्ध की तैयारी की जा रही थी। जेहाद के नाम पर पर्चा छपवा कर बंटाने व लोगों को सरकार एवं देश के खिलाफ भड़काने का काम किया गया था। बताया गया कि मामले के दो आरोपित जमानत पर बाहर हैं। जबकि वली उल्ला गाजियाबाद जेल में और चौथा मुस्तकीम पुलिस की पकड़ से बाहर है। इस प्रकरण में डीजीसी द्वारा कोर्ट में कुल 23 गवाह गुजारे गए हैं। तीस मार्च को कोर्ट में वली उल्ला के खिलाफ सफाई व साक्ष्य के बिन्दु पर बहस होगी।


आरोपितों द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने के लिए यह साजिश रची गई थी। इस मामले में अब तक की गई बहस व पेश के गए सुबूत एवं गवाहों के बयान आरोपित वली उल्ला को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त हैं।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी