प्रयागराज (ब्यूरो)। बताया गया कि यह दवा परिवार के सभी सदस्यों को छह माह तक लेनी होगी। यह उम्र के हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति को दी जाएगी। इससे दवा की डोज निर्धारित की जाएगी। अभी तक कई मामले ऐसे आए हैं जब जिनको फेफड़े की टीबी थी और उनके संपर्क में आने वाले संक्रमित हो गए हैं। यही कारण है कि सरकार चाहती है कि जिस घर में मरीज है, उस परिवार में सभी को प्रोटेक्टिव डोज उपलब्ध कराई जाएगी।

यूपी में चौथे नंबर पर है प्रयागराज

बता दें कि टीबी के मामले में प्रयागराज प्रदेश चौ थ नंबर पर है। यहां कुल 6300 मरीज हैं और इससे अधिक मरीज मथुरा, बरेली और आगरा में पाए जाते हैं। जबकि 2025 तक केंद्र सरकार ने शत प्रतिशत टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। ऐसे में लोगों को बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि टीबी को फैलने से रोका जाए।

15 लोगों को हो सकता है संक्रमण

टीबी का एक संक्रमित 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। यह लोग उसके संपर्क में आने वाले होते हैं। लेकिन अब मरीज के संपर्क में आने वालों की भी स्क्रीनिंग की जाएगी। फिर उनकी दवा चलाई जाएगी। इसके अलावा जिनमें टीबी के लक्षण नही दिखेंगे उनको प्रिवेंटिव दवाएं दी जाएगी। यी दवाएं टीबी के मरीज को भी प्रिवेंशन के तौर पर दी जाती है। यदि जांच में किसी सदस्य में टीबी के लक्षण पाए गए तो उसका पूरा इलाज डॉट सेंटर के माध्यम से किया जायेगा।

सरकार ने टीबी के इलाज के नियमों में बदलाव किया है। जिसके बाद अब टीपीटी के जरिए संपर्क में आने वालों को प्रोटेक्ट किया जाएगा। परिवार के सभी सदस्यों की स्क्रीनिंग किए जाने के बाद दवा उपलब्ध कराई जाएगी।

डॉ। एके तिवारी, जिला क्षय रोग अधिकारी प्रयागराज

डाट सेंटर के माध्यम से टीबी के मरीजों का सफल इलाज किया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि टीबी को जड़ से खत्म करा दिया जाए। इस केलिए तमाम माध्यमों से लोगों को जागरुक करने का प्रयास जारी है।

डॉ। नानक सरन, सीएमओ प्रयागराज