प्रयागराज (ब्यूरो)।गरीबों व अन्य जरूरतमंदों के लिए पांच रुपये में नाश्ता और दस रुपये में भरपेट भोजन की योजना यहां दो तीसरे साल भी संचालित नहीं हो सकी। अन्नपूर्णा नामक इस योजना का चूल्हा शहर में आज तक नहीं चल सका। जनोपयोगी इस योजना को संचालित करने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई थी। तत्कालीन महापौर रहीं अभिलाषा गुप्ता नंदी के द्वारा इसे जल्द से जल्द शुरू करने के भगीरथ प्रयास किए गए थे। नगर आयुक्त कार्यालय परिसर में नवाब युसूफ रोड की तरफ अन्नपूर्णा रसोइया घर बनाया गया था। उस वक्त बनाए गए इस रसोई घर पर करीब बीस लाख रुपये के खर्च होने की बात कही गई थी। मतलब यह कि योजना को संचालित करने के लिए लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। फिर भी आज तक इसका लाभ पात्र व्यक्तियों को नहीं मिल सका। पूरी योजना की फाइल नगर निगम की बिल्डिंग में धूल फांक रही है। योजना दम क्यों तोड़ गई इस सवाल का ठोस जवाब जिम्मेदार भी नहीं दे पा रहे हैं।

बीस लाख में बनाई गई थी रसोई
जनपद सहित आसपास के जिलों और गैर प्रदेशों से भी प्रयागराज में आकर मेहनत मजदूरी करते हैं। दिन भर काम धंधा से थक कर चूर कभी बना कर खा लेते हैं तो कभी नाश्ते पर ही रात बिता देते हैं। क्योंकि शहर में नार्मल दुकान पर भी 60 से 70 रुपये में एक थाली भोजन मिलता है। इतनी महंगी थाली में उनका पेट भी नहीं भरता और पैसे भी खर्च हो जाते हैं। ऐसे तमाम जरूरतमंद लोग इस शहर में हैं जिनके लिए 60 से 70 रुपये की नार्मल थाली वाला भोजन भी भर पेट कर पाना मुश्किल हो जाता है। किसी एक-दो दिन या एक मीटिंग वे इतना महंगा खाना खा भी लें तो इस थाली में उनका पेट भर मुश्किल होता है। दोनों मीटिंग इतनी महंगी थाली का खाना खाना उनके लिए संभव नहीं रहता। ऐसे जरूरतमंदों के लिए शासन ने 10 रुपये में भरपेट भोजन और 05 रुपये में नाश्ता देने की योजना चलाई थी। जानकार बताते हैं कि दो साल पहले आई इस योजना के संचालन की जिम्मेदारी नगर को दी गई थी। नगर निगम यहां अन्नपूर्णा रसोई के नाम से इसे संचालित करने का प्लान तैयार किया था। मेयर रहीं अभिलाषा गुप्ता नन्दी में इसे संचालित करने को लेकर पुरजोर कोशिश की थी। अन्नपूर्णा रसोई संचालित करने के लिए नगर आयुक्त कार्यालय परिसर में नवाब यूसुफ रोड की और रसोई तैयार किया गया था। नगर निगम के जानकारों की मानें तो इस रसोई घर को तैयार करने में करीब 20 लाख रुपये के खर्च हुए थे। दावा किया गया था कि इस रसोई से प्रति दिन 300 से 500 लोगों को 10 रुपये में भर पेट खिलाया जाएगा। प्लान था कि एक बार में इस रसोई के हाल में 70 से 80 लोग एक साथ बैठकर भोजन कर सकेंगे। खाना बनाने के लिए इस रसोई में काउंटर भी बनाया गया था। इस काउंटर पर बर्तन आदि की सफाई के लिए वाशबेसिन भी लगाई थी। भवन के पूरब दिशा में शौचालय का भी प्रबंध किया गया था। वर्ष 2021 में इस रसोई को पूरी तरह से संचालित करने का प्लान था। बीस लाख रुपये रसोई घर पर खर्च होने के बावजूद उसमें आज तक चूल्हा नहीं जल सका।


जानिए क्यों नहीं परवान चढ़ी योजना
इस अन्नपूर्णा रसोई के फ्लाप होने की जानकारी महंगाई को बड़ी वजह बता रहे हैं।
कहते हैं कि उस वक्त रसोई को संचालित करने के लिए टेंडर किया जाना था।
महंगाई को देखते हुए दस रुपये में भरपेट भोजन व पांच रुपये में नाश्ता कराने के लिए कोई संस्था टेंडर लेने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
प्राइवेट संस्थाओं का कहना था कि दस रुपये में भर पेट भोजन कराने पर खाद्यान्न का भी खर्च नहीं निकलेगा।
जेब झुलसाने वाली इस महंगाई में दस रुपये की इनकम में इस रसोई को चलाना संभव नहीं है।
यह रेट लागत का कम से कम तीस से चालीस रुपये कम है।
यही वजह है कि लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद यह योजना मूर्तरूप नहीं ले सकी।

अन्नपूर्णा रसोई को उस वक्त तैयार किया गया था। इसके बाद संचालन की जिम्मेदारी हमारे विभाग की नहीं थी। रसोई शुरू नहीं हो पाने के पीछे खाद्यान्न के प्रबंधन की बड़ी चुनौती थी। क्योंकि, दस रुपये में भर पेट खिलाना था। इस लिए इतने कम पैसे में कोई टेंडर लेने को उस वक्त राजी नहीं हुआ था।
सतीश कुमार
चीफ इंजीनियर नगर निगम