प्रयागराज ब्यूरो । आज शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि है। आज अष्टमी का व्रत रखने वाले और नौ दिन उपवास करने वाले दोनों पारण करेंगे। कुछ लोग दशमी को भी पारण करते हैं। इसके लिए वह ज्योतिषाचार्यों की राय भी लेते हैं। पारण का भी अपना एक विधि विधान है। क्या है इसकी विधि? कब कर सकते हैं पारण। बता रही है दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह पेशकश।
आज प्रात:काल होगा पारण
नवरात्र के नौ दिन तक लोग तरह का उपवास करते हैं। एक जो पहले दिन और फिर अष्टमी तिथि को व्रत करते हैं। इसे चढऩा और उतरना कहा जाता है। इसके अलावा बहुत से लोग पूरे नौ दिन उपवास करते हैं। जो लोग इस बार दुर्गा अष्टमी का व्रत 22 अक्टूबर दिन रविवार को है और इसका पारण 23 अक्टूबर को प्रात: काल होगा। अत: अष्टमी का व्रत रखने वाले लोग 23 अक्टूबर को प्रात: काल पारण करें।
शाम तक रहेगी नवमी तिथि
नौ दिन व्रत रखने वालों के लिए तिथि के अन्त में पारण किया जाता है। 23 अक्टूबर नवमी सोमवार को शाम 3:10 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि आ जाएगी। दोपहर के बाद पारन नहीं करना चाहिए। इसलिए 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को दशमी तिथि के रहते प्रात: सूर्योदय 6:22 के बाद से दोपहर 12:50 के पहले तक नवरात्रि व्रत का पारण कर सकते हैं। बता दें कि उत्सव के अन्त मे भी पारण होता ह.ै नवमी को हवन के समय पूर्णाहुति हो जाती है। उत्सव पूर्ण हो जाता है। अत: 23 अक्टूबर सोमवार को हवन के बाद दोपहर के पहले पारण कर सकते हैं।
पारण करने की क्या है विधि
नवरात्रि की नवमी तिथि पर मंगलवार को मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करें। साथ ही 9 कन्या और कलश की पूजा भी करें। इसके साथ ही मां को हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाएं। इसके बाद कन्या पूजन और उनको भोजन कराने के बाद हवन करें। इसके बाद कलश का विसर्जन करें। अगर नवमी तिथि को नवरात्रि का पारण कर रहे हैं तो ऐसे में इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
नवमी और दशमी दोनों दिन पारण किया जा सकता है। बस विधि का ध्यान रखना होगा। जो लोग अष्टमी का व्रत हैं वह नवमी की सुबह पारण करें। जो नौ दिन का व्रत हैं जो नवमी और दशमी को पारण कर सकते हैं।
आचार्य बालकृष्ण त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य