प्रयागराज (ब्‍यूरो)।

केस वन : सुलेम सराय निवासी धर्मवीर जायसवाल बताते हैं कि उनका पैसा जाते-जाते बच गया। साइबर थाने पहुंच कर उन्होंने शिकायत की और पैसा बच जाने का खुशी भी जाहिर की। साइबर थाने में दी गई लिखित शिकायत में उन्होंने बताया कि ऑनलाइन के जरिये होटल में एक रूम बुक कराया। बुकिंग करने के कुछ ही घंटे बाद एक फ्राड कॉल आया। कॉल करने वाले ने रूम बुकिंग करने पर दीपावली ऑफर में 300 रुपये रिटर्न करने की बात कही। मनी रिटर्न के लिए उनके मोबाइल नंबर पर एक लिंक भेजा। जैसे ही उन्होंने लिंक पर क्लिक किया तो पेमेंट रिसीव करने पर ओटीपी पिन मांगा। उन्होंने ओटीपी तक डाल चुके थे। बगल में बैठी पत्नी ने आवाज दी। पेमेंट रिसीव में ओटीपी कब से मांगने लगा है। कोई नया नियम आया है उनका दिमाग क्लिक किया और पूरी प्रोसेसिंग को कैंसिल कर दिया। थाने जाकर आये फ्रॉड नंबर के खिलाफ शिकायत की। अगर ओटीपी पिन डाल क्लिक कर देते तो उनके अकाउंट से 49 हजार रुपये कट जाते।

केस टू: तेलियरगंज निवासी इंदू देवी की उम्र साठ के ऊपर है। उनका बेटा गुजरात में नौकरी करता है। वह अपनी बेटी के साथ रहती है। बेटे ने त्योहार पर ऑनलाइन मां के लिए गिफ्ट भेजा था। जब उन्होंने गिफ्ट रिसीव किया तो उसके अगले दिन एक फ्रॉड कॉल आया। ऑनलाइन शॉपिंग पर वॉच फ्री मिलने की बात कही। जिसके लिए फ्राड कॉल ने पहले एड्रेस पूछा। फिर बातों में लेकर एटीएम की जानकारी ली। कार्ड के पीछे लिखे सीवीवी नंबर पूछा। आंख कमजोर होने के चलते चश्मा न मिलने पर बेटी से सीवीवी नंबर बताने को कहा। बेटी ने बोला फोन किसको सीवीवी नंबर की जानकारी दे रही हो। पूरी बात समझते ही बेटी ने मां के हाथ से फोन छीनकर कॉल काट दिया।

केस थ्री: झूंसी एडीए कॉलोनी निवासी प्रियांशु ने त्योहार एक तो नहीं बल्कि कई ऑनलाइन शॉपिंग की। इस दौरान खरीदे गए एक सामान पर 50 परसेंट कैश बैक का लालच वाला लिंक भेजा। उसको लगा जो सामान एक दिन पहले ऑर्डर किया था। उसी सामान पर ऑफर मिल रहा है। बिना सोचे लिंक पर क्लिक कर दिया। उतने ही देर में बैटरी डाउन होने के चलते फोन स्वाच ऑफ हो गया। फोन ऑन होने पर ध्यान से उसने लिंक को पढ़ा। लिंक पर नाम सर्वे मंकी डाट काम लिखा था। नेट पर जानकारी लेने पर पता चला कि सर्वे मंकी डाटकाम ठगी व मोबाइल हैक करने के लिए यूज किया जाता है। उसके बाद उन्होंने सीधे साइबर थाने से संपर्क किया।

इन बातों का भी रखें ध्यान
आप अपना ईमेल दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटर, मोबाइल या साइबर कैफे में खोलते हैं तो काम खत्म होने के बाद उसे निश्चित रूम से लॉग आउट कर दें। बैंक कार्यालय समेत अन्य कार्यों से जुड़े पासवर्ड को गुप्त रखें। समय-समय पर उसे बदलने की भी जरूरत है। अपनी निजी जानकारी किसी के साथ भी साझा न करें। अपने बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम या फोन बैंकिंग पिन, कार्ड का सीवीवी नंबर, समाप्ति तिथि किसी से शेयर न करें। दि हम साइबर अपराधियों के शिकार होते हैं तो सीधे पुलिस केस करना चाहिए। ताकि इसे अंजाम देने वाले पुलिस पकड़ में आ सकें।

इंटरनेट के माध्यम से जबरन वसूली, पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, कंप्यूटर से व्यक्तिगत डाटा हैक करना, अवैध डाउनलोडिंग, साइबर स्टॉकिंग जैसे अपराध होते हैं। इससे बचाव के लिए सावधान रहना चाहिए और अपनी जानकारी गोपनीय रखनी चाहिए। पिछले फेस्टिवल के दौरान इस बार लोग जागरूक हुए हैं। इसलिए साइबर अपराध में कमी आई है।
रजीव तिवारी, साइबर थाना प्रभारी प्रयागराज

20 अक्टूबर से छह नंबर तक डाटा आया सामने
07 केस मात्र पर्व से पंद्रह दिन के भीतर हुई है प्राप्त
01 लाख से ऊपर का एक भी केस फेस्टिवल के दौरान नहीं हुई प्राप्त
42 केस पिछले साल के पर्व पर पंद्रह दिन के भीतर हुई थी प्राप्त
17 केस इसमें से एक लाख रुपये से ऊपर का था