प्रयागराज (ब्‍यूरो)। नीट एग्जाम के रिजल्ट में हुई अनियमितताओं को लेकर हर तरफ हल्ला मचा हुआ है। सबसे ज्यादा सवाल ग्रेस मार्क को लेकर उठ रहे हैं। एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का कहना है कि जो बच्चे नीट एग्जाम के दिन सेंटर पर देरी से पहुंचे थे, उनको गे्रस मार्क दिए गए हैं। अगर ऐसा है तो पांच मई को नीट के दिन मरम्मत के लिए शास्त्री ब्रिज को वनवे किया गया था। इस दौरान दर्जनों बच्चे जाम में फंसकर सेंटर देरी से पहुंचे थे और कईयों का एग्जाम भी छूट गया था। ऐसे एक्सपट्र्स का कहना है कि इन बच्चों को एनटीए की ओर से ग्रेस मार्क दिया जाना चाहिए।

कितनी देरी और क्या था मार्क देने का मानक
एक्सपट्र्स का कहना है कि एनटीए के मुताबिक 1500 से अधिक बच्चों को नीट में ग्रेस मार्क दिया गया है।
असलियत में यह संख्या हजारों में है।
खुद एनटीए भी सही आंकड़े नही दें पा रहा है।
बहुत से बच्चों के 218, 217 और 219 नंबर हैं।
यह किस प्रकार दिए गए हैं, यह भी एनटीए क्लीयर नही कर पाया है।
तर्क में यही बताया गया कि इन बच्चों को ग्रेस मार्क दिया गया है।
लेकिन देने का तरीका फिक्स नही है। यह भी बताया गया कि जो बच्चे सेंटर पर देरी से पहुुचे हैं उनको ग्रेस मार्क दिया गया है।
कितनी देरी से पहुंचने वालों के लिए स्टैंडर्ड तय किया गया था, यह भी नही बता पाए हैं।

किस गणित से डिवाइड किए गए मार्क
यह भी बताया जा रहा है कि जो लोग एग्जाम सेंटर पर बीस मिनट देरी से पहुेचे थे उनको ग्रेस मार्क दिया गया है।
यह नही बताया गया कि बीस मिनट में एक स्टूडेंट कितने क्वेश्चन हल कर सकता था।
बता दें कि तीन घंटे बीस मिनट के पेपर में कुल 180 प्रश्न हल करने थे। एक क्वेश्चन चार नंबर का था और गलत जवाब देने पर एक क्वेश्चन के बदले एक नंबर काटे जाने का प्रावधान था।
बावजूद इसके किस हिसाब से ग्रेस मार्क दिए गए, यह एनटीएन नही समझा सका है।

आफलाइन एग्जाम में नहीं है एलाऊ
सबसे बड़ी बात कि एनटीए ने पहली बार ग्रेस मार्क दिया है। जबकि आफलाइन एग्जाम में ग्रेस मार्क का प्रावधान नही नही है। यह मार्क ऑनलाइन एग्जाम में दिया जाता है। जिसमें कम्पयूटर में लगा कैमरा यह तय करता है कि स्टूडेंट कितनी देर से पहुंचा और उसे कितना कम समय मिला। लेकिन आफलाइन एग्जाम में लेटलतीफी के आधार पर ग्रेस मार्क देने का कोई पैमाना सेट नही किया जा सकता है। यह प्वाइंट नीट के रिजल्ट को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है।

कई सेंटर्स ने किया आब्जेक्शन
एनटीए का तर्क आने के बाद तमाम नीट एग्जाम सेंटर्स का कहना है कि उनके यहां भी एग्जाम देरी से शुरू हुआ था। इसलिए उनके यहां के अभ्यर्थियों को भी ग्रेस मार्क दिया जाना चाहिए। इन्ही अनियमितताओ की वजह से दोबारा नीट कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई हैं। जिन पर 8 जुलाई को सुनवाई होना बाकी है। इसके अलावा 67 बच्चों के एक साथ 720 नंबर पाकर रैंक वन में आना और एक ही सेंटर के सात बच्चों का इनमें शामिल होना, वाकई चिंता का कारण बना हुआ है।

मुझे याद है कि नीट वाले दिन शास्त्री ब्रिज वनवे था और कई बच्चे जाम में फंस गए थे। उनके बार बार कॉल आ रहे थे। इसको लेकर प्रशासन को भी सूचना दी गई थी। अगर एनटीए का तर्क सही है तो इन बच्चों को भी ग्रेस मार्क दिया जाना चाहिए। वैसे भी आफलाइन एग्जाम में ग्रेस मार्क का कोई औचित्य नही है। पहली बार एनटीए ने बिना किसी मानक के ग्रेस मार्क बांट दिया है।
ब्रजेश पांडेय

आखिर एनटीए बताए कि टाइम को मार्क से किस प्रकार से डिवाइड कर ग्रेस मार्क बांटे गए हैं। इसकी वजह से बेहतर नंबर पाने वालों की रैंक काफी नीचे चली गई है। उनको सरकारी कॉलेज मिलना मुश्किल हो गया है। कितने स्टूडेंट को दिया गया है यह भी पता नही है। एग्जाम के एक दिन पहले पेपर लीक को लेकर भी हंगामा होने लगा था, इसका जवाब भी एनटीए के पास नही है।
अमित त्रिपाठी

हजारों बच्चों का इस बार नीट रिजल्ट आने के बाद सपना टूटा है। किसी का चौथा तो किसी का पांचवा अटेम्प्ट था। बेहतर नंबर आने के बाद भी उनको रैंक काफी खराब हो गई है। अब वह कहां जाएं और एडमिशन ले, यह बताने वाला कोई नही है। पूरे फसाद की जड़ में ग्रेस मार्क सिस्टम है। पहली बार एनटीए ने इसे लागू किया और अब मानक भी नही बता पा रहे हैं। इसको लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।
डॉ। सुमंत सिंह