प्रयागराज ब्यूरो, एक दर्जन मरीजों में कुछ ऐसे भी हैं जो जन्मजात अंधता के शिकार थे और कभी उन्होंने इस दुनिया को नही देखा। उनके लिए दीपावली की छटा देखना किसी महान उत्सव से कम नही होगा। जबकि कुछ ऐसे भी थे जो किसी दुर्घटना या बीमारी की चपेट में आकर अपनी दोनों आंखों की रोशनी गवां चुके थे। उनके लिए भी यह दीपावली एक नया अनुभव लेकर आएगी। जानकारी के मुताबिक पिछले एक साल में कुल 62 लोगों का कार्निया प्रत्यारोपण किया गया है।
नेत्रदान करिए, एक हजार से अधिक है वेटिंग
यह कार्निया प्रत्यारोण मनोहरदास क्षेत्रीय नेत्र चिकित्सालय के डायरेक्टर डॉ। एसपी सिंह द्वारा किए गए हैं। वह हर साल दर्जनों लोगों के नेत्रों को रोशनी प्रदान करते हैं। लेकिन इसके लिए नेत्रदान होना बेहद जरूरी है। हॉस्पिटल के डॉ। जितेंद्र कुमार बताते हैं कि जो लोग जीवन रहते नेत्रदान की इच्छा जाहिर कर आवेदन करते हैं, मृत्यु के बाद उनका कार्निया दूसरे अंधता के शिकार व्यक्ति की आंखों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। जिससे वह देखने में सक्षम हो जाता है। वर्तमान में एक हजार से अधिक लोग वेटिंग में चल रहे हैं। उनकी आंखों को रोशनी तभी मिलेगी जब लोग नेत्रदान के लिए आगे आएंगे। फिलहाल ऐसे लोगों की संख्या अभी काफी कम है।
दो लोगों को मिलती है रोशनी
बता दें कि कार्निया प्रत्यारोपण के जरिए एक व्यक्ति की दोनों आंखों से दो व्यक्तियों को रोशनी प्रदान की जाती है। वेटिंग की लंबी लाइन को देखते हुए अंधता के शिकार व्यक्ति की एक ही आंख में कार्निया प्रत्यारोपित किया जाता है। प्राप्त दूसरा कार्निया अन्य व्यक्ति की एक आंख में प्रत्यारोपित होता है।
नेत्रदान करने वाले की मृत्यु के बाद सूचना मिलने पर हमारी टीम जाकर उसका कार्निया निकाल लेती है और फिर उसे अंधता के शिकार मरीज को प्रत्यारोपित किया जाता है। इस तरह से किसी मृतक की आंख से जीवित जरूरत मंद को रोशनी प्रदान की जाती है।
डॉ। एसपी सिंह, डायरेक्टर, मनोहरदास क्षेत्रीय नेत्र चिकित्सालय प्रयागराज