प्रयागराज (ब्‍यूरो)। टैक्स के रूप में मोटी रकम देने के बाद भी लोग खुद को ठगा सा महसूस करते हैं। उनकी मांगों का निराकरण नहीं हो पाता। चुनाव आते हैं और जन प्रतिनिधि वोट पाकर मिनी सदन में पहुंच जाते हैं। चाहे मेयर हो या पार्षद। जीतने के बाद यह खुद को वीआईपी समझते हैं और आम जनता से दूरी बनाने लगते हैं। यही कारण है कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से नगर निगम चुनाव से पूर्व परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। रविवार को सिविल लाइंस कान्हा मोटर्स के प्रांगण में आयोजित हुए कार्यक्रम में व्यापारियों और आम जनता से अपनी समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जो प्रत्याशी उनकी सुनेगा, वोट उसी को दिया जाएगा।

कई साल पुराने दर्द से निकली टीस
आमतौर पर लोग टैक्स देते हैं और सुविधाएं नही मिलने पर शांत रहते हैं। अपना दर्द किसी स बयां नही कर पाते। जबकि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मंच प्रदान किया तो लोगों ने अपने दर्द को सामने रख दिया। उनका कहना था कि पानी, बिजली, पार्किंग, स्टीट लाइट, पार्क, सड़क जैसी मूलभूत जरूरतें पूरी होनी चाहिए। साफ सफाई समय से हो। टैक्स भी तर्क संगत वसूल किया जाना चाहिए। पांच गुना लिया जाने वाला टैक्स जेब को हल्का करता है, समस्याओं को नही।

किस बात का कामर्शियल टैक्स
लोगों का कहना थ कि नगर निगम किस बात का कामर्शियल हाउस टैक्स वसूल रहा है। रेजीडेंशियल का प्रति व्यक्ति ढाई और कामर्शियल का 1300 रुपए लिया जा रहा है। इतना बड़ा अंतर किस लिए। जबकि बदले में सुविधाएं दोनों को बराबर मिल रही हैं। विशाल कनौजिया ने कहा कि चुने गए पार्षदों को सबसे पहले सिविल लाइंस के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की तरफ ध्यान देना होगा। टिंबर व्यापारी शौकत अली ने कहा िकनगर निगम में भ्रष्टाचार चल रहा है। सर्वे में मनमानी टैक्स लगाया जा रहा है। कोई सुनवाई नही है। सरदार रनबीर सिंह ने बताया कि मैंने अपना पुराना पचास हजार हाउस टैक्स जमा किया था जिसकी इंट्री नही दिखाई जा रही है। जब पूछा गया तो सही जवाब नही मिला। इस समय 22 हजार टैक्स फिर मांगा जा रहा है। जब तक पुराना टैक्स क्लीयर नही होगा, नया टैक्स कैसे जमा कराया जाएगा। अनिल जुनेजा ने कहा कि सिविल लाइंस में खरीदारी करने आए आम ग्राहक की गाड़ी उठा ली जाती है लेकिन प्रशासन की गाडिय़ों को नही छुआ जाता। यहां कहां का इंसाफ है। मनीष साहू ने कहा कि सड़कों पर आवारा कुत्ते खतरनाक हो चले हंैं। इनका शिकार रोजाना दर्जनों लोग होते हैं।

लोगों का बढ़ा हुआ हाउस टैक्स और वाटर टैक्स माफ कर दिया जाना चाहिए। जहां पर जरूरी हो वहां पर दोबारा असेसमेंट होना चाहिए। ऐसा करने से जनता का टैक्स के नाम पर शोषण बंद हो जाएगा। जिसकी बहुत जरूरत है।
दिनेश सिंह, जिलाध्यक्ष, प्रयाग सर्राफा एसोसिएशन

कामर्शियल हाउस टैक्स वसूलते हैं तो उस तरह की सुविधाएं भी दी जानी चाहिए। पार्किंग के नाम पर अनाप शनाप पैसा लिया जा रहा है। अगर 5 रुपए टू व्हीलर और 15 रुपए फोर व्हीलर का किराया लिया जाए तो लोग प्रॉपरली पार्किंग का यूज करेंगे।
आशीष अरोड़ा, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

इतना बढ़ा हुआ कामर्शियल टैक्स वसूला जा रहा है लेकिन बदले में सुविधाएं नही मिल रही हैं। लोग पानी, बिजली, सड़क, पार्किंग, टायलेट और स्ट्रीट लाइट के लिए तरस रहे हैं। हम जितना टैक्स देते हैं उसका बीस फीसदी ही फैसिलिटी मिल रही है।
सुशील खरबंदा, अध्यक्ष, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

नगर निगम अधिक टैक्स ले रहा है और बदले में सुविधाएं नही दे रहा है। लेकिन पब्लिक भी जागरुक नही है। अगर हम खुद से अपडेट रहें तो अधिक टैक्स नही देना होगा। बहुत से लोग एक्सपर्ट की राय देकर टैक्स जमा कराते हैं।
रितेश सिंह, व्यापारी

मेरे खुद के हाउस टैक्स का मूल्यांकन का मामला है। मैनें नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन उसका कोई फायदा नही हुआ। हाउस टैक्स जमा कराने में राहत नही मिली। ऐसे में नगर निगम की कार्य प्रणाली में सुधार की जरूरत है।
शशांक जैन, व्यापारी

व्यापारी वर्ग सरकार को बहुत अधिक कामर्शियल हाउस टैक्स देता है। उसे आशा रहती है कि बदले में उसकी समस्याओं को दूर किया जाएगा। लेकिन इस दिशा में कोई काम नही होता है। व्यापारी आज भी परेशान है।
हर्षित अग्रवाल, व्यापारी

जो लोग बोरिंग का पानी पी रहे हैं उनसे भी जलकर वसूला जा रहा है। बहुत से लोग जिनका वाटर कनेक्शन नही है फिर भी भारी भरकम टैक्स लिया जा रहा है। इसका विरोध हो रहा है लेकिन अभी तक कोई फायदा नही हुआ है।
रजनीश केसरवानी, व्यापारी

हमारी शॉप पर अक्सर नगर निगम के लोग आते हैं। पता ही नही चलता कि वह किस तरह से असेसमेंट करते हैं। अगर उनको रोकने की कोशिश करो तो दाएं-बाएं से पैसे मांगने लगते हैं। समझ नही आता कि हम लोग क्या करें।
राजन सिंह, व्यापारी

सिविल लाइंस में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। अधिक शुल्क लिया जा रहा है। यही कारण है कि लोग पार्किंग के बजाय इधर उधर वाहन खड़ा करते हैं। नगर निगम को इस बारे में भी सोचना चाहिए।
डावर वकील, व्यापारी

सिविल लाइंस में ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान देना होगा। बारिश में तमाम जगह पानी भर जाता है। इसका कोई इलाज नही है। अब बारिश आने वाली है और इससे पहले नगर निगम को इस समस्या का इलाज खोजना होगा।
आरके साहू, व्यापारी

सड़कों पर गड्ढे एक बड़ी समस्या है। इससे वाहनों का नुकसान होता है और साथ ही लोगों की कमर की समस्या भी बढ़ती है। इस समय शहर की तमाम सड़के खुद की मरम्मत की मांग कर रही हैं।
संजीव जैन, बिल्डर

हमारे यहां टैक्स का ब्रेकेट कम है और टैक्स का रेट अधिक है। जबकि नगर निगम को टैक्स वसूलने वालों की संख्या बढ़ानी चाहिए न कि टैक्स। कई बार हमारी इनकम से हमारा कामर्शियल हाउस टैक्स मैच ही नही करता है। यह वाकई सोचने वाली बात है।
शिवशंकर सिंह, महामंत्री, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में नगर निगम पीछे है। जन प्रतिनिधि चुनकर जाते हैं लेकिन जनता की समस्याओं का समाधान नही करा पाते हैं। मेरी राय में उसकी प्रत्याशी को वोट देना चाहिए जो आम जनता और व्यापारियों की समस्याओं को समझे।
इंदर मध्यान, व्यापारी