प्रयागराज ब्यूरो । हमारे यहां की मार्केट में आपदा में अवसर की तलाश करने से नहीं चूकती। इसका सीधा सा उदाहरण आई फ्लू की दवाएं, सब्जियां और चावल है। इनके दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर इस सीजन में तेजी से फैले आंख के रोग कंजक्टवाइटिस की सस्ती दवाएं मार्केट से गायब हो गई है। इसकी जगह महंगे आई ड्राप ने ले ली है। इसी तरह टमाटर 200 रुपए किलो तक पहुंच गया है। जनता को मजबूरी में महंगाई को स्वीकार करना पड़ रहा है। कुछ इस तरह का खेल चावल के साथ भी हो रहा है। डिमांड अधिक होने व आवक कम होने से इसका स्टाक जमा किया जा रहा है।

मरीज बढ़े तो गायब हो गई सस्ती दवा

इस सीजन में आई फ्लू यानी कंजक्टवाइटिस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह से शहर के सरकारी अस्पतालों में रोजाना डेढ़ हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैँ। इसकी वजह से अस्पतालों में दवाओं की शार्टेज हो गई है। जिसका फायदा मार्केट ने उठाना शुरू कर दिया है। दवा की दुकानों से सस्ती आई ड्राप गायब होने लगी हैं। इनकी कीमत 15 से 25 रुपए के बीच है। इसकी जगह ब्रांडेड कंपनियों की महंगी दवाएं मिल रही हैं। एग्जाम्पल के तौर पर लीफोर्ड कंपनी का एंटी बायटिक आई ड्राप 70 रुपए, मैनकाइंड कंपनी का 86 रुपए और सिप्ला का आई ड्राप 185 रुपए का बिक रहा है। दूसरी ओर डॉक्टर्स एंटीबायटिक के साथ एंटीएलर्जिक और टियर ड्राप भी पर्चे पर लिख रहे हैं। इसकी वजह से तीनों दवाएं एक मरीज को मार्केट में 400 रुपए तक पड़ रही हैं। फिर भी आई फ्लू को ठीक होने में चार से पांच दिन का समय लग रहा है।

उडऩ छू हुए टमाटर, लहसुन और अदरक के दाम

टमाटर के दाम इस समय 200 रुपए प्रतिकिलो से अधिक पहुंच चुके हैं। जबकि थोक मंडी में इसकी कीमत 140 से 150 रुपए है। लेकिन फुटकर मार्केट में आकर काफी महंगा हो रहा है। जानकारों की माने तो इस समय बंग्लुरु से टमाटर आ रहा है। जिससे इसकी कीमत आसमान छू रही है। इसी तरह से लहसुन की कीमत थोक मंडी में 150 रुपए है और फुटकर में यह 250 रुपए प्रतिकिलो पहुंच चुकी है। इसी राह पर चल पड़ी अदरक की आवक इस समय कर्नाटक से हो रही है। थोक में यह 200 रुपए और फुटकर में 300 रुपए प्रतिकिलो बिक रही है। इन सब्जियों के दामों में बिचौलिए मौज कर रहे हैं। उधर पब्लिक का कहना है कि सरकार ने जो 70 रुपए प्रतिकिलो कीमत वाला टमाटर भेजा था वह आखिर कहां गया। इसको लेकर प्रशासन को जांच करनी चाहिए।

अब चावल खाना भी हुआ मुश्किल

दूसरी ओर मार्केट में चावल का रेट भी तेजी से बढऩे लगा है। बताया जा रहा है कि पिछले साल बारिश कम होने या देर से होने की वजह से चावल की फसल पर काफी फर्क पड़ा था। इसकी वजह से इस समय चावल की कीमत 10 से 20 रुपए प्रतिकिलो बढ़ गई है। जो चावल 30 रुपए प्रति किलो था वह 50 रुपए में बिक रहा है। जानकारों का कहना है कि चावल का आयात इस समय बिहार और उप्र के पश्चिमी शहरों से हो रहा है। जबकि प्रयागराज में पिछले साल देरी से बारिश होने से चावल की फसल कम हुई थी। इसका असर दिखने लगा है। बिचौलियों की मनमानी रही तो नवंबर में नया चावल आने से पहले दामों में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।

टमाटर बंग्लुरु से आयात हा रहा है इसकी वजह से उसके दाम काफी अधिक हो गए हैं। इसका फायदा उठाकर फुटकर मार्केट ने भी दाम बढ़ा दिए हैं। यही हाल अदरक और लहसुन का भी हो रहा है। इन सब्जियों के दाम सामान्य होने में अभी समय लग सकता है।

सतीश कुशवाहा, अध्यक्ष, मुंडेरा फल सब्जी मंडी

चावल भी इस समय बाहर से आ रहा है। इसकी वजह से इसके रेट में बढ़ोतरी हो रही है। जिनके पास स्टाक है वह भी रेट बढ़वाने में लगे हैं। इसका असर मार्केट पर पड़ रहा है। दीपावली तक चावल के रेट में राहत की गुंजाइश नही है।

सतीश केसरवानी, अध्यक्ष, गल्ला तिलहन व्यापार मंडल

सरकारी अस्पतालों में दवाएं समाप्त हो चुकी है। डिमांड अधिक होने से मार्केट में भी महंगी दवाएं बेचे जाने की जानकारी मिल रही है। इसका पता लगाया जाएगा। अगर स्टाक में है तो सस्ती दवाएं मरीजों को क्यों मुहैया नही कराई जा रही है।

संतोष पटेल, ड्रग इंस्पेक्टर, औषधि विभाग प्रयागराज