प्रयागराज (ब्यूरो)। सरकारी विभागों में पब्लिक को मिलने वाली सुविधाएं क्या निर्धारित समयावधि में मिल रही हैं? इनके लिए पब्लिक को चक्कर तो नही काटना पड़ रहा है। कोई कर्मचारी सेवा देने की आड़ में रिश्वत तो नही मांग रहा है? अभी तक इन सवालों के जवाब नही मिलते थे, बल्कि पब्लिक विभागों के चक्कर काटती थी। लेकिन अब ऐसा नही होगा। उप्र सरकार ने उप्र जनहित गारंटी अधिनियम 2011 को क्रियान्वित कर दिया है। अब सरकारी विभाग अगर पब्लिक को सेवाएं जारी करने में लेटलतीफी करेंगे तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी होगी। यह सजा अर्थदंड भरने से लेक विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।

क्या है जनहित गारंटी अधिनियम

यह अधिनियम 4 मार्च 2011 को नोटिफाइड हुआ था और इसके बाद ठंडे बस्ते में चला गया। इसके क्रियान्वयन पर कोई कार्रवाई नही की गई। लेकिन अब उप्र सरकार को लगा कि पब्लिक को जारी होने वाली सरकारी सेवाओं में लेटलतीफी विभागों की देन है। इस पर रोक लगाने के लिए इस अधिनियम को एक्शन मोड पर लाना होगा। 25 मई को सरकार ने इसे हरी झंडी दे दी। जिसकी सुनवाई और मानीटरिंग राजकीय कार्यालय निरीक्षणालय उप्र प्रशासनिक सुधार विभाग को करना है। प्रत्येक माह प्रदेश के प्रत्येक मंडल के कमिश्नर की मौजूदगी में मीटिंग में समीक्षा की जाएगी। इसमें डीएम और प्रशासनिक सुधार विभाग के मंडलीय अधिकारी शामिल रहेंगे।

400 से अधिक सेवाओं की मानीटरिंग

अधिनियम के तहत प्रदेश के 46 विभागों की 419 सेवाओं की मानीटरिंग की जाएगी। जिसमें दस कॉमन सेवाएं हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस अधिनियम को सिटीजन चार्टर का अपडेट वर्जन समझ सकते हैं। प्रत्येक विभाग में एक पदाभिहित अधिकारी सहित प्रथम और द्वितीय अपीलीय अधिकारी तैनात किया जाएगा। वह बताएगा कि विभाग में कितने प्रकरण आए और कितने लंबित हैं। लंबित प्रकरणों में संबंधित विभाग के एचओडी पर 500 से 5000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।

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एक दिन की भी देरी पड़ेगी भारी

एग्जाम्पल के तौर पर पेंशन स्वीकृति पर निर्णय 60 दिन, जीपीएफ पर निर्णय 30 दिन, मेडिकल लीव पास करने पर निर्णय लेने में 15 दिन की समयावधि निर्धारित है। इसी तरह वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 7 दिन निर्धारित हैं। लर्निंग और परमानेंट डीएल के सात-सात दिन निर्धारित हैं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि इनको जारी होने में लंबा समय लग जाता है। अधिकारी और कर्मचारी मनमानी करते रहते हैं, पब्लिक जैसे तैसे रिश्वत देकर अपना काम निकालती है। लेकिन अब ऐसे मामलों देरी करना संबंधित विभाग को भारी पड़ सकता है।

प्रयागराज है मुख्यालय, मंडलों में नामित हुए अधिकारी

प्रशासनिक सुधार विभाग का प्रदेश मुख्यालय प्रयागराज के शिक्षा निदेशालय में स्थित है। सीआईओ द्वारा प्रत्येक राजस्व मंडल में एक-एक निरीक्षक को तैनात किया गया है, जिनकी सहायता के लिए एक कनिष्ठ सहायक और एक अनुसेवक को तैनात किया गया है। यह निरीक्षक प्रत्येक विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के लंबित प्रकरणों की मानीटरिंग कर कमिश्नर को सूचित करेगा। जिस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

पब्लिक की भलाई के लिए प्रचार प्रसार जरूरी

इस संबंध में गुरुवार को प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सीआईओ वीके गंगवार और डिप्टी सीआईओ पंकज सक्सेना ने पत्रकारों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पब्लिक की भलाई के लिए अधिनियम बनाया गया है और इसका प्रचार प्रसार जरूरी है। इससे पब्लिक जागरुक होगी और विभाग में तैनात किए गए पदाभिहित सहित प्रथम और द्वितीय अपीलीय अधिकारी के पास जाकर अपने लंबित प्रकरणों की शिकायत दर्ज कराएगी। जिस पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।