प्रयागराज (ब्यूरो)। दो साल का कुनबा एक पल में बिखर गया। मिंटो पार्क से जुड़ी यादें अब तस्वीरों में ही सिमट कर रह जाएंगी। मिलना होगा, चाय होगी, ठहाके होंगे पर नहीं होंगे चार यार शिवम, पंकज, मनीष और सत्यजीत। मिंटो पार्क में बगैर नागा इन सभी का रोजाना सुबह आना होता था। पहले चाय होती थी फिर क्रिकेट। आठ बजे निकलते समय सभी पहले से ही एक दूसरे को दूसरे दिन समय से आने के लिए टोक देते थे। मिंटो पार्क में सिद्धार्थ चटर्जी का रेस्टोरेंट है। सिदर्थ कीडगंज के रहने वाले हैं। करीब दो साल पहले कोरोना के बाद जब माहौल ठीक हुआ तो मिंटो पार्क में भीड़ जुटने लगी। इस भीड़ में एक एक कर शिवम केसरवानी, पंकज जायसवाल, मनीष जायसवाल, सत्यजीत चटर्जी, वरुण केसरवानी, अभिषेक तिवारी, पंकज सिंह, सौरभ जायसवाल, गुडडू यादव एक दूसरे के दोस्त बनते गए।
मिलने का अड्डा बन गया रेस्टोरेंट
कोरोना की वजह से सिद्धार्थ का रेस्टोरेंट बंद हो गया था। माहौल ठीक होने पर सिद्धार्थ ने रेस्टोरेंट खोला लेकिन ग्राहक उतने नहीं होते थे। इन दोस्तों की टीम जब रेस्टोरेंट पर बैठने लगी तो रेस्टोरेंट भी चल निकला। दोस्ती भले ही थी, मगर सब मिलकर सिद्धार्थ को खाने पीने के आइटम का पैसा देते थे। धीरे-धीरे सभी एक दूसरे के गहरे दोस्त हो गए। कोई एक न पहुंचे तो दूसरे उसको फोन करते। हाल चाल पूछते।
अब कौन कहेगा, क मे नय आए आज
मिंटो पार्क में सुबह किसी दोस्त के न आने पर मनीष जायसवाल उर्फ शिशु फोन कर जरुर उससे न आने का कारण पूछता था। फोन लगाने के बाद मनीष कहता था, क मे नए आए आज। इसके बाद न आने वाले दोस्त पर दूसरे दिन की चाय का जुर्माना भी लगाया जाता था। एक समय ऐसा भी आया कि सभी बगैर नागा किए समय से पार्क में पहुंचने लगे। इसके बाद रोजाना क्रिकेट खेलते।
सिद्धार्थ की बर्थ डे पार्टी मनाई पार्क में
सिद्धार्थ का जन्म दिन 23 मई को था। कई दोस्तों को उनके जन्म दिन के बारे में पता नहीं था। क्रिकेट खेलने के बाद जब सभी जाने लगे तो किसी ने फेस बुक देखा। उससे सिद्धार्थ के जन्म दिन का पता चला। इस पर आननफानन में केक मंगाया गया। केक काटकर बर्थ डे मनाया गया। जो साथी चले गए थे उन लोगों ने दूसरे दिन भी पार्टी की।
सभी दोस्तों के लीडर हैं सिद्धार्थ
सिद्धार्थ दुर्गा पूजा बारवारी कृष्णानगर के अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में सभी साथी सिद्धार्थ को लीडर मानते थे। चार साथियों की हादसे में मौत के बाद सिद्धार्थ बहुत परेशान हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि अब वे रेस्टोरेंट कैसे खोलें। घटना के बाद से सिद्धार्थ सामान्य नहीं हो सकें हैं।