प्रयागराज (ब्यूरो)। पहले से प्राप्त इनपुट में बताया गया था कि सोशल मीडिया पर भड़काने वाली पोस्ट शेयर हो रही है। वॉच करना शुरू गया तो पता चला कि शेयरिंग तो हो रही है लेकिन कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है। इसी के चलते अफसर संवेदनशील हो उठे। मूवमेंट बढ़ा दिया गया। धर्मगुरुओं के साथ बातचीत शुरू हो गयी। इसको लेकर अब पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। अटाला से लेकर नुरुल्लाह रोड तक हुए बवाल के बाद अब लोग पुलिस-प्रशासन को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब पुलिस ने पहले से साजिश रचने, माहौल खराब करने की तैयारी करने, इंटरनेट मीडिया का सहारा लेकर अफवाह फैलाने सहित शांति-व्यवस्था में बाधा पहुंचाने वाले लोगों को ङ्क्षचहित कर लिया गया था तो फिर उनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अगर ऐसे शरारती तत्वों के विरुद्ध पहले ही निरोधात्मक या दूसरी कार्रवाई कर दी जाती तो शायद जुमे की नमाज के बाद शहर में ङ्क्षहसक प्रदर्शन नहीं होता। बवाल के मास्टरमाइंड जावेद अहमद उर्फ जावेद पंप समेत 64 अभियुक्तों को शनिवार रात नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया। चार नाबालिगों को बाल संप्रेक्षण गृह भेजा गया है। शनिवार शाम बालिग अभियुक्तों को जिला अदालत में रिमांड मजिस्ट्रेट नरेंद्र कुमार के समक्ष पेश किया गया। वहां पर मजिस्ट्रेट ने सभी को 14 दिनों के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया।