प्रयागराज (ब्यूरो)।जीएसटी को सरकार पुराने टैक्स सिस्टम का सरलीकरण बताकर लाई थी लेकिन यह कुछ मामलों में उस सिस्टम से कमजोर साबित हो रहा है। क्योंकि जीएसटी में तकनीकी सुधार की कोई गुंजाइश नही दी गई है। अगर रिटर्न दाखिल करते समय व्यापारी ने कोई गलत इंफार्मेशन भर दी और वह मिसमैच हो गया तो उसे इसका खामियाजा भविष्य में भुगतना पड़ सकता है। इस मामले को लेकर व्यापारी वर्ग लंबे समय से परेशान है और सरकार से सुधार का विकल्प दिए जाने की मांग कर रहा है।

इनकम टैक्स में तो सुधार की सुविधा है
जीएसटी से पहले देश में सर्विस टैक्स, वैट और एक्साइज ड्यूटी लगती थी।
इनका रिटर्न भरते समय अगर व्यापारी से कोई गलती हो जाती थी तो उसे सुधार का विकल्प दिया जाता था।
इसी तरह इनकम टैक्स रिटर्न भरने में अगर अदाकर्ता ने कोई गलत इनफार्मेशन डाल दी है तो उसे भी सुधारा जा सकता है।
फिर जीएसटी में ऐसा क्या है कि व्यापारियों को ऐसी राहत नही दी जा रही है।
व्यापारियों का कहना है कि सरकार उन्हे रोबोट समझ रही है कि उनसे कोई गलती हो ही नही सकती है।

यहां होती है सबसे ज्यादा गलतियां
व्यापारियों से रिटर्न भरते समय कुछ गलतियां अक्सर हो जाती हैं। जैसे टैक्स के तीनों वर्गों में एसजीएसटी, सीजीएसटी और आईजीएसटी में एक की बिक्री दूसरे वर्ग में दिखा देना। इनकी आईटीसी दूसरे वर्ग में क्लेम हो जाना। यह आम समस्याएं हैं लेकिन इनमें भी सुधार की सुविधा नही दी जा रही है। व्यापारियों का कहना है कि ऐसे हालात में जब टैक्स सरकार को मिल चुका है, ऐसे में व्यापारी पर फाइन लगाकर दंडित करना समझ नहीं आता है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें हर बार व्यापारी को ही निशाना बनना पडता है।
बॉक्स
एकतरफा न्याय कर रही सरकार
व्यापारियों का कहना है कि छह साल में सरकार ने जीएसटी के कानूनों में 1300 बदलाव कर दिए हैं। यह इसलिए कि कानून बनाते समय सरकार ने कई तकनीकी खामियां छोड़ दी थीं। इसलिए इनको आज तक सुधारा जा रहा है। लेकिन जब व्यापारी एक भी गलती करता है तो उसे एक भी मौका नही दिया जाता है। यह बात गले से नीचे नही उतरती है। इस वजह से व्यापारियों में आक्रोश पनप रहा है।

आए दिन खराब होता है पोर्टल
इतना ही नही, जीएसटी पोर्टल भी अक्सर खराब रहता है। वर्तमान में भी पिछले चार दिनों से इसकी स्पीड स्लो बनी हुई है। हर माह बीस तारीख से पहले रिटर्न भरने की टाइम लाइन होती है। लेकिन पोर्टल स्लो होने की वजह से कई व्यापारी चूक जाते हैं। बाद में उनको प्रतिदिन के हिसाब से भारी भरकम फाइन भरना पड़ता है। अक्सर इसको लेकर व्यापारी शिकायत दर्ज कराते हैं लेकिन पोर्टल में सुधार की प्रक्रिया नही की जा रही है।

सरकार ने व्यापारियों को रोबोट समझ रखा है। लगता है उनसे गलती नही हो सकती। खुद की गलतियों को छह साल से जीएसटी कानून में सुधारा जा रहा है। जबकि व्यापारियों की मांग है कि जल्द से जल्द रिटर्न मं सुधार का विकल्प लागू कर दिया जाए।
सुशांत केसरवानी, व्यापारी

तकनीकी गलती में सुधार का आप्शन देना चाहिए। व्यापारियों को इससे काफी राहत मिलेगी। कई बार होता है कि गलत जानकारी रिटर्न भरते समय फीड हो जाती है.् फिर सुधार नही होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रियंका, सीए