प्रयागराज ब्यूरो । मृतक का नाम संतोष कुमार सिंह बताया गया है। उम्र करीब 70 साल के आसपास थी। उन्होंने गोली कब मारी किसी को कुछ पता नहीं है। परिवार के लोगों ने पुलिस के पूछने पर बताया कि वे सुबह साढ़े नौ बजे के करीब कमरे में पहुंचे तो पता चला कि मौत हो चुकी है। वह मूल रूप से इंडस्ट्रियल एरिया थाना क्षेत्र के रामपुर गांव के रहने वाले थे। लोकप्रिय होने के चलते वह पब्लिक से भी जुड़े थे। इसी के चलते जनता ने उन्हें गांव का प्रधान भी चुना था। वर्तमान समय में वह मु_ीगंज स्थित शंकरगढ़ कोठी में रहने लगे थे।
साथ में रहते हैं बेटा-बहू
संतोष सिंह ने गांव छोड़ा तो मुट्ठीगंज में रहने वाले अपने पुत्र शरद सिंह के घर पर आकर रहने लगे थे। परिवारवालों के मुताबिक
पेट में लगी थी गोली
बेटे शरद सिंह ने जो पुलिस को बताया उसके मुताबिक गुरुवार सुबह लगभग 9:30 बजे सो कर उठे और पिता के कमरे में पहुंचे। वहां का दृश्य देख वह हतप्रभ रह गए। बिस्तर पर पिता की खून से लथपथ बॉडी पड़ी थी। गोली उनके पेट में लगी थी। बगल में उनकी लाइसेंसी रिवाल्वर पड़ी थी। मौके पर पहुंचे मुटृठीगंज एसओ आशीष चौबे ने फोरेंसिक टीम को जांच के लिए बुला लिया। फोरेंसिक टीम ने कमरे की पूरी पड़ताल की। कमरे की तलाशी ली गई। लेकिन, कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। मु_ीगंज पुलिस के मुताबिक जिस तरह से ब्लड सूख चुका था उससे घटना सुबह छह से सात बजे के बीच होने की संभावना है। घरवालों का कहना है कि उन्होंने गोली चलने की कोई आवाज नहीं सुनी। बुजुर्ग के आत्महत्या करने पर उनका कहना था कि वह इन दिनो बीमार रहा करते थे। इससे परेशान थे। आशंका है कि इसी के चलते उन्होंने यह कदम उठाया होगा।
जानलेवा बन रहा लाइसेंसी असलहा
कैंट थाना क्षेत्र के गंगानगर में शराब पार्टी के दौरान सात दिसंबर को सीआरपीएफ जवान पंकज त्रिपाठी उर्फ प्रशांत को लाइसेंसी बंदूक से गोली लग गई थी। साथियों ने उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने पर उन्हें लखनऊ के लिए रिफर कर दिया गया। वहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। असलहा उनका खुद का लाइसेंसी था। गोली कैसे चली यह आज भी रहस्य बना हुआ है। इस मामले में मृतक के तीन साथियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया है।
गंगापार के नवाबगंज क्षेत्र में 12 दिसंबर को लाइसेंसी असलहे से की गयी फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गयी। उसका नाम तारिक था। इसी दौरान गोली एक अन्य व्यक्ति को भी लगी। वह गोली चलाने वाले के परिवार का ही था। उसका नाम नावेद बताया गया। यहां फायरिंग आपसी विवाद को लेकर हुई थी।
पांच जुलाई 2022 को नैनी के अरैल इलाके में यजमानी के विवाद में तीर्थ पुरोहित आशीष तिवारी उर्फ बबुआ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बबुआ के भाइयों को भी गोली लगी थी। इस हत्याकांड को भी लाइसेंसी राइफल से अंजाम दिया गया था। नतीजा खुद की सुरक्षा के नाम पर असलहा लेने वाले अपराधी बनकर खुद जेल चले गये।
एडीए कालोनी में इसी साल रीवा रोड पर ढाबा चलाने वाले एक पिता ने अपनी बेटी और उसके ब्वॉयफ्रेंड को गोली मार दी थी। गोली लगने से जख्मी युवती पखवारे भर अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष करती रही जबकि उसके ब्वॉयफ्रेंड ने आन द स्पॉट दम तोड़ दिया था।
26 मई 2022 को सरायइनायत थाना क्षेत्र के दक्षिणी कोटवां निवासी 82 वर्षीय राघव प्रताप सिंह ने गोली मारकर खुदकुशी कर लिया था। वह पुलिस विभाग में दरोगा पद से सेवानिवृत्त हुये थे। इस घटना में भी दरोगा ने एक नली लाइसेंसी बंदूक का इस्तेमाल किया था।
12 मई 2022 को शाहगंज इलाके में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के 62 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी स्वर्ण सिंह बग्गी ने लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर लिया था। उन्होंने कुछ विवादों और घरेलू मुद्दों के कारण कदम उठाया था।