प्रयागराज ब्यूरो । गंगा और यमुना नदी में बाढ़ के हालात की स्थिति अभी ठीक नहीं है। शहर में घुस रहे पानी को देखते हुए सारे गेट बंद कर दिए दिए गए हैं। आसमान में घुमड़ रहे बादल यदि बरस गए तो वह पानी शहर से निकल नहीं पाएगा। ऐसी सिचुएशन में घरों से प्रति दिन निकलने वाला हजारों क्यूसेक पानी कोढ़ में खाज बन जाएगा। घरों का यूज और संभावित बारिश का पानी निकालने के लिए लगाए गए पम्प ऐसे में नाकाफी साबित होंगे। बाढ़ के चलते जिंदगी को मुश्किलों से बचाने के लिए घरों में एक दो दिन कम से कम पानी यूज करना ही बेहतर होगा। हालांकि, प्रशासन के द्वारा सुरक्षा के बेहतर इंतजाम हर तरफ किए गए हैं। फिर भी प्रशासन द्वारा संभावित परिस्थितियों को देखते हुए आवाम से सहयोग व सतर्क रहने की अपील की गई है।

आश्रय स्थलों पर घर जैसी सुविधा
प्रशासन के द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के निगरानी में एडीआरएफ टीमें लगाई गई हैं। शहर के अंदर चारों तरफ सात आश्रय स्थल भी बना दिए गए हैं। जहां पर बाढ़ प्रभावित लोग परिवार संग बसर कर रहे हैं। इन आश्रय स्थलों पर टॉयलेट से लेकर पेयजल व खाने एवं नाश्ता और चाय तक की व्यवस्था मुख्त में दी जा रही है। नाश्ते में कभी पोहा चाय, तो कभी ब्रेड चाय व तला हुआ चना चाय, दोपहर के वक्त चावल कढ़ी या चावल रामजमा जैसे भोजन दिए जा रहे हैं। शाम के समय खाने में पूड़ी व सब्जी अचार आदि व इसके पहले चाय और नास्ते का भी प्रबंध किया गया है। यहां रहने वालों को सोने के गद्दा से लेकर पंखे तक के इंतजाम हैं। इतना ही नहीं, हर वक्त निगराने के प्रशासनिक टीमें हर आश्रय स्थल पर दिन रात लगाई हैं। चौबीसों घंटे इलाज के लिए डॉक्टर भी लगाए गए हैं। जिन आश्रय स्थलों पर टॉयलेट की संख्या कम है वहां अस्थाई टायलेट लगाए गए हैं। उधर, देर शाम गंगा नदी में बढ़ रहा पानी स्थित बताया गया। मगर आसमान में छाए बादलों से बारिश की संभावना बनी रही। ऊपर से गैर प्रदेशों में हो रही बारिश का पानी भी नदियों में आ रहा है। ऐसे हालात में पानी नदियों में कब बढऩे लगेगा किसी के लिए भी दावे से कुछ भी कह पाना मुश्किल हो गया है।



आश्रय स्थल और शरणार्थियों की संख्या
छोटा बघाड़ा एनीबसेटेंट स्कूल ऐलनगंज में बाढ़ प्रभावित परिवारों की संख्या ९८ और कुल ४९० व्यक्ति रह रहे हैं।
राजापुर कछार ऋषिकुल उ.मा.वि। राजापुर में मोहल्ले में ६० परिवार शरण लिए हुए हैं यहां कुल व्यक्ति की संख्या २३५ बताई गई है।
गंगानगर राजापुर के स्वामी विवेकानन्द इं.का। अशोक नगर में बाढ़ प्रभावित शरण लेने वाले २८ परिवारों के ११२० लोग हैं।
द्रोपदी घाट के लिए बनाए गए आश्रय स्थल कैंट हाईस्कूल सदर बाजार न्यू कैंट में शरणार्थी परिवारों की संख्या ६१ और व्यक्ति २६० हैं।
बेली कछार के ४७ परिवार के आश्रय स्थल सेंट जोसफ गल्र्स हा.से। स्कूल मम्फोर्डगंज में २१० व्यक्ति निवास कर रहे हैं।
बाढ़ मोहल्ला बेली कछार के ७७ परिवार के आश्रय स्थल महबूब अली इंटर कॉलेज स्टैनली रोड बेली चौराहा में ३१२ व्यक्ति बसर कर रहे हैं।
करेली बाग मोहल्ले के ०३ परिवार के १३ लोग बाढ़ प्रभावित हैं जो आश्रय स्थल यूनिटी पब्लिक स्कूल करेली में निवास कर रहे हैं।

बाढ़ पंम्पिंग स्टेशन व उसकी क्षमता
पंम्पिंग स्टेशन संख्या क्षमता
बक्शी बांध २२ ३२० क्यूसेक
मोरी गेट १० १२१ क्यूसेक
चाचर नाला ०८ ११० क्यूसेक
मम्फोर्डगंज ०५ ३५ क्यूसेक
यमुना बैंक रोड
गेट नंबर ०९ ०२ १० क्यूसेक
यमुना बैंक रोड
गेट नंबर १३ ०२ १० क्यूसेक
ईसीसी ०४ ३० एचपी
गेट नंबर १-५ ०५ ४७.५० एचपी


जानिए अपना शहर और कब आई बाढ़
गंगा और यमुना के जल के बीच बने टापू पर बसे इस शहर को लोग दोआबा के नाम से भी जाना करते हैं। वह कौन से वर्ष हैं जब बाढ़ की वजह से यहां हाहाकार मचा था? हम आप को ये बात बताएं इसके पहले यह जान लीजिए कि इस शहर का नाम इलाहाबाद कैसे पड़ा था। इतिहासकार बदायुंनी के मुताबिक वर्ष १५७५ में अकबर आकर यहां नया शहर बसाया था। बसाए गए इस शहर का नाम वह इलाहाबाद रखा। कुछ लोगों का कथन है यह शब्द इलावास का विकृत स्वरूप है। इला पुरुरवा ऐल की मां का नाम था। आवास संस्कृत भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ वास स्थान से है। कालांतर में यह प्रयागराज तदोपरांत इलाहाबाद हो गया था। खैर गंगा और यमुना नदियों की वजह से यहां बाढ़ आने का सिलसिला कोई नया नहीं है। यहां वर्ष १९४८, १९५६, १९६७, १९७१, १९७८, १९८३, २००१, २०१३, २०१६, २०१९, २०२१, व २०२२ में जबरदस्त बाढ़ आई थी। यह तथ्य जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण प्रयागराज द्वारा प्रकाशित बाढ़ प्रबंधन योजना की बुक से लिए गए हैं। यह वे वर्ष हैं जहां यहां गंगा और यमुना नदियों में बाढ़ की वजह से चारों तरफ हाहाकार मच गया था। हालांकि पिछले वर्ष २०२३ में नदियों का जलस्तर चलायमान रहा। मगर वर्ष २०२४ में गंगा और यमुना के कछारी व तराई वाले एरिया के रिहायसी इलाकों में पानी घुस गया है। जिससे सैकड़ों परिवार घर छोड़कर बाल बच्चों से प्रशासन द्वारा बनाए गए आश्रय स्थलों में बसर कर रहे हैं।

मदद के लिए यहां करें कॉल
प्रशासन के द्वारा बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए बाढ़ आपदा कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। बाढ़ प्रभावित इलाकों के जो लोग मदद लेना चाहते हैं वे ०५३२-२६४१५७७ व २६४१५७८ पर कॉल करके मदद ले सकते हैं।