प्रयागराज ब्यूरो । चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारी क्या नही करते। बीमारी की अप्लीकेशन लगाकर खुद को अनफिट साबित करते हैं। पिछले चुनावों में तो ऐसा ही होता आया है। लेकिन इस बार कुछ अलग ही देखने को मिला। प्रशासन द्वारा चुनाव ड्यूटी में अनफिट कर्मचारियों के मेडिकल के लिए बनाए गए बोर्ड के पास एक भी अप्लीकेशन नही पहुंची है। खुद बोर्ड के मेंबर भी हैरान हैं कि पिछले चुनावों ड्यूटी कटवाने के लिए लाइन लगती थी, तो इस बार ऐसा क्या हुआ कि कोई सामने ही नहीं आया।

एक सप्ताह पहले बना था बोर्ड
नगर निगम चुनाव में इस बार १०० वार्डों में चुनाव के लिए ६५०० कर्मचारियों को लगाया गया है। इनमें से कई ऐसे थे जो खुद को अनफिट बताकर चुनाव ड्यूटी से निजात पाना चाह रहे थे। इनकी अप्लीकेशन को देखकर प्रशासन ने सीएमओ की देखरेख में एक मेडिकल बोर्ड बना दिया, जिसे ऐसे कर्मचारियों का चेकअप कर रिपोर्ट देने को कहा गया था। यह बोर्ड एक सप्ताह पहले बनाया गया था।

फारवर्ड नही हुई अप्लीकेशन
मेडिकल बोर्ड का कहना है कि एक सप्ताह में एक भी अप्लीकेशन हमारे पास नही आई है। यह पहली बार हुआ है। सोर्सेज का कहना है कि प्रशासन के पास पहुंची अप्लीकेशन को मंजूर ही नहीं किया गया। उनको वापस कर दिया गया। यह कहा गया कि अगर आप अनफिट हैं तो अपने डिपार्टमेंट में मेडिकल लगाइए। वहां पर आप वर्किंग हैं और यहां पर चुनाव ड्यूटी से भाग रहे हैं। ऐेसे बहाने नही माने जाएंगे।

ऐेसे लगाई जाती है चुनाव ड्यूटी
बता दें कि सरकारी कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी लगाने के लिए प्रशासन ट्रेजरी से डाटा मांगता है।
यहां से एकूरेट डाटा लेकर उसे एनआईसी के पास भेजा जाता है।
यहां पर इन नामों की फाइल बनाकर उससे चुनाव ड्यूटी लगाई जाती है।
हाल ही में चुनाव आयोग ने निर्देश जारी कर एनआईसी के डाटा को सभी जिलों से मंगा लिया है।
ऐसे में लोकल लेवल पर चुनाव ड्यूटी काटना आसान नही रह गया है।
जिसकी भी ड्यूटी काटी जाती है, उसके बारे में आयोग खुद पूछताछ कर सकता है।
सोर्सेज बताते हैं कि कुछ कर्मचारियों की ड्यूटी काटी गई है, लेकिन उनको लेकर भी आयोग ने पूछताछ शुरू कर दी है।


क्या-क्या बनाए जाते थे बहाने
चुनाव ड्यूटी से निजात पाने के लिए सबसे ज्यादा अप्लीकेशन बीमारी को लकर होती थी। कर्मचारी तमाम डॉक्टरों से सर्टिफिकेट बनवाकर उसे मेडिकल बोर्ड के सामने पेश कर देते थे। इसकी सत्यता सामने आने पर बोर्ड उन्हें अनफिट कराकर एनआईसी को भेज देता था। इस प्रक्रिया में सैकड़ों कर्मचारियों को ड्यूटी से निजात मिल जाती थी जो इस बार नही हुई। इस बार मेडिकल बोर्ड में डॉ। नवीन कुमार गिरि, डॉ। अजय प्रियदर्शी और डॉ। अमृत लाल को शामिल किया गया था।

एक सप्ताह पहले मेडिकल बोर्ड बना था। हमारे पास एक भी कर्मचारी अपनी अप्लीकेशन लेकर नही आया है। जब कोई आएगा तभी जांच कर उसको अनफिट करार दिया जाएगा।
डॉ। नवीन गिरि, प्रभारी, मेडिकल बोर्ड