प्रयागराज (ब्यूरो)। जिले में कई हत्याएं अवैध पिस्टल व तमंचे से हो चुकी हैं। इनमें चार घटनाएं काफी चर्चित रहीं। पिस्टल व तमंचा के बूते हो रही घटनाएं लोगों में गंभीर चिंता व सवाल का विषय बन गई हैं। प्रश्न है कि आखिर जिले में मौत के इस सामान की सप्लाई कर कौन रहा है? पुलिस पिस्टल व तमंचा की तस्करी करने वाले सरगना तक क्यों नहीं पहुंच पा रही है। हालांकि तस्करों के कई गुर्गे व इसे खरीदकर लेकर चलने वाले कई लोग पकड़े जा चुके हैं। जिले में एक जनवरी से 15 अप्रैल तक कुल 91 अवैध असलहे पकड़े गए। बरामद किए गए इन असलहों में तमंचा के साथ पिस्टल भी शामिल है। विभागीय रेकार्ड पर गौर करें तो इस साढ़े तीन महीने में तमंचे व पिस्टल संग 150 कारतूस भी बरामद की गई थी। दबी जुबान पुलिस के कुछ जवानों की मानें तो सप्लायर दस से बीस हजार रुपये में पिस्टल तक आसानी से लोगों को उपलब्ध करा देते हैं। सस्ते में व आसानी से मिल जाने के कारण आपराधिक किस्म के लोग इस गन का घटनाओं में धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं।
गन के लाइसेंस होल्डर बेच रहे कारतूस!
पिस्टल और तमंचा की तो बिहार और एमपी में मिनी फैक्ट्रियां संचालित हैं। सौदागर बेस्ट कारगीरों से इन असलहों का निर्माण कराकर बेचते हैं।
कई दफा यह बात पकड़े गए गैंग के गुर्गों ने स्वीकार भी किया है। मगर इन अवैध असलहों में प्रयोग के लिए कारतूस वह कहां से पाते हैं?
यह भी एक बड़ा सवाल है। कारतूस पिस्टल की हो या फिर तमंचे की। कोई भी हुनरमंद गन तो बना लेगा
मगर कारतूस एक ऐसी चीज है जिसे सरकारी फैक्ट्रिी व इंजीनियर के सिवाय कोई नहीं बना सकता।
कारतूस बनाने के का माद्दा व हुनर किसी भी प्राइवेट शख्स वह भी तस्करों के बस की बात नहीं है।
जानकारों की यदि इस बात को मान लिया जाय तो कुछ ही सही पर लाइसेंसी गन के मालिक व गन हाउस संचालक की भूमिका संदिग्ध हो जाती है।
पब्लिक ही नहीं पुलिस भी मानती है कि कुछ लाइसेंसी बंदूक व गन हाउस के संचालक ही हैं जो इन तस्करों के हाथ कारतूस की सप्लाई कर रहे हैं।
पुलिस को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। यदि गहना से छानबीन की जाय तो निश्चित रूप से चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
आम्र्स एक्ट में तीन साल तक की है सजा
क्राइम एक्सपर्ट अधिवक्ताओं से आम्र्स एक्ट के तहत हुई गिरफ्तारी पर सजा के बिन्दुओं को लेकर बात की गई। अधिवक्ताओं ने बताया कि अवैध तमंचा हो या फिर पिस्टल की बरामदगी। कार्रवाई आम्र्स एक्ट (धारा 3/25) के तहत ही पुलिस मुकदमा दर्ज करती है। इस धारा में गिरफ्तार किए गए शख्स को मिनिमम यानी कम से कम एक साल और अधिकतम तीन साल तक के सजा का प्राविधान है।
केस-1
होली के दिन शहर स्थित जार्जटाउन एरिया के अल्लापुर में डबल मर्डर की घटना हुई थी। इसमें एक शख्स ने दूसरे को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। यह देख गोली मारने वाले व्यक्ति को पब्लिक ने पीटकर मौत के घाट उतारा था।
केस-2
होली के दूसरे दिन खुल्दाबाद एरिया में भी गोली मार कर दो लोग मौत के घाट उतार दिए गए हैं। इस घटना में भी प्रयोग की गई पिस्टल अवैध थी। मौत के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। जांच में आज तक ठोस नतीजे नहीं आए हैं।
केस-3
धूमनगंज के मीरापट्टी हरवारा में घर के अंदर गोली मारकर दो लोग मौत के घाट उतार दिए गए। इस घटना में अवैध पिस्टल यूज की गई थी। मौके से पुलिस को कुल चार पिस्टल बरामद हुई थी। यह पिस्टल आरोपित को कहां से मिले और कैसे खरीदा यह बात अब तक मालूम नहीं चल सकी है।
केस-4
नैनी स्थित रेलवे फाटक के नीचे एक वेंडर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह घटना गुरुवार को हुई थी। इस वारदात में भी पुलिस के मुताबिक तमंचे का प्रयोग किया गया है। यह चौथी घटना है जिसमें मिले अवैध गन से कत्ल की वारदात को अंजाम दिया गया।
आम्र्स एक्ट की धारा में सजा के काफी सख्त प्राविधान हैं। इस एक्ट में कम से कम एक वर्ष व अधिकतम तीन साल की सजा का प्राविधान है। अदालत दोषी पाए जाने पर सजा के साथ जुर्माना भी लगा सकती है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी